मैं स्वयं मालिनी मेरी उम्र अब 27 साल, रंग गोरा, कद 5’6″, वजन 55 किलो है, दिखने में सेक्सी दिखती हूँ, मुझे देख कर किसी का भी दिल मुझ पर आ सकता है, कोई भी मुझे बांहों में लेने को मचल सकता है, मेरे उरोज मध्यम आकार के हैं, और चूतड़ मोटे हैंl
रमेश मेरा पति है, जिससे मेरी शादी आज से 4 साल पहले हुई थी, इनका रंग भी गोरा है, 6′ वजन 68 किलो है, अच्छे हैंडसम आदमी हैं, इनकी उम्र 29 साल है।
माही मेरी दो साल की बेटी है।
हेमंत- यह मेरी जिंदगी में आया पराया मर्द है, यह करीब 5’8″ लंबा, मोटे शरीर का आदमी है, इसका रंग सांवला है, वजन 70 kg है, इसकी उम्र करीब 35 साल है, यह बैंक में मैंनेजर के पद पर है।
रजनी- हेमंत की बीवी है, इसका रंग भी गोरा है, यह भरे भरे शरीर वाली कुछ नाटी सी औरत है, इसके स्तन बड़े बड़े हैं और भारी चूतड़ हैं। इसकी उम्र करीब 30 साल है।
सोनू- रजनी और हेमंत का 6 साल का बेटा है जो दूसरी कक्षा में है।
मेरे पिताजी का स्वर्गवास बहुत पहले ही हो चुका था जब मैं बहुत छोटी थी। मेरी माँ ने मुझे बहुत मुश्किल से पाला था, और केवल बारहवीं तक पढ़ाया था, उस समय मेरी उम्र 18 बरस की थी।
मेरी माँ मुझे आगे पढ़ाने की जगह मेरी जल्दी से शादी कर देने की सोच रही थी, पर गरीब बिन बाप की बेटी को अच्छा लड़का मिलना कठिन था, इस तरह दो साल निकल गए, मेरा शरीर भर गया था, जवानी की महक मेरे बदन से निकलने लगी, मेरी भी तमन्ना होने लगी कि कोई लड़का बाहों में भर कर मुझे चोदे।
आते जाते लोगों के फ़िकरे मुझे सुनाई पड़ने लगे, क्या लड़के, क्या अधेड़ सभी मुझे घूरते थे, ऐसा जान पड़ता था कि बस खा ही जायेंगे पर अपनी माँ की इज्जत और परेशानी को ध्यान में रखते हुए मैंने कभी किसी को लिफ्ट नहीं दी, मैं एक शरीफ लड़की की जिंदगी जी रही थी।
इस बीच एक दो शादी के रिश्ते आये, पर कुछ समय बाद एक लड़का अपने माँ बाप के साथ मुझे देखने आया इस लड़के का नाम रमेश था। इसके पिता रेलवे विभाग में काम करते थे, लड़का देखने में सुन्दर था उसके पिता ने मुझे पसंद कर लिया और बगैर दहेज़ के शादी के लिए हाँ कर दी। इन लोगो ने बताया कि रमेश किसी बड़ी कंपनी में काम करता है।
मेरी माँ बहुत खुश हो गई, उसके सर से एक जिम्मेदारी उतरने वाली थी। हम लोग सोच रहे थे कि काम बड़ी आसानी से हो गया, उन लोगों को शादी की जल्दी थी, सो मेरी शादी एक महीने के भीतर हो गई।
मैं अपने ससुराल आ गई। मैं बहुत खुश थी, मुझे एक सुन्दर और हैंडसम पति मिला था वह मुझे बहुत प्यार करता था। मुझ पहली बार चोदने का सौभाग्य मेरे पति को ही मिला।
पर मेरी असली परेशानी अब शुरू होने वाली थी, पति मुझे साथ लेकर उस शहर में आया जहाँ वो कंपनी में काम करता था। उसकी कमाई बहुत ज्यादा नहीं थी। हम एक छोटे से किराये के कमरे में रहने लगे पर मैं बहुत खुश थी, मुझे पति का पूरा प्यार (चुदाई) मिल रही थी।
तभी मुझे पता चलने लगा कि मेरे पति को शराब पीने की बुरी आदत है, वो तम्बाकू का गुटका भी खाते थे। पहले तो वो कुछ छिपाते थे, पर जब उनको भी पता चल गया कि मैं जान चुकी हूँ तो मेरे सामने ही शराब चलने लगी। उनके दोस्त भी शराबी थे वो उनके साथ शराब पीते थे और देर रात को घर आते थे।
मैं परेशान रहने लगी, कम्पनी भी कभी जाते थे, कभी नहीं। मैंने अपने ससुर से इस बात की शिकायत की पर उन्हें यह सब पहले से ही पता था, उन्होंने फिर भी रमेश को डाँटा, फटकार लगाई।
कुछ दिन ठीक रहने के बाद फिर वो ही बात, कमाई कम थी, ऊपर से शराब, घर चलाना मुश्किल हो गया। मेरे ससुर पैसे भेज देते थे पर उसमें से पति शराब में उड़ा देता था। मेरी माँ ने यह सुना तो सर पीट लियाl
रमेश की एक बात अच्छी थी, वो मुझे चाहता बहुत था। अब मुझे समझ में आया कि क्यों ये लोग बगैर दहेज़ के शादी के लिए राजी हो गए, और क्यों इन्हें शादी की जल्दी थी।
मेरे ससुर बार बार मुझे कहते- बेटी, किसी तरह इसे सुधार दो !
पर मैं क्या करती !
किसी तरह जिन्दगी चल रही थी, आये दिन कर्ज मांगने वाले आने लगे, इस बीच मैं गर्भवती हो गई। मुझ ससुर ने अपने पास बुला लिया। माही को जन्म देने के 3 माह बाद मैं वापस पति के पास आई तो फिर वही कहानी चालू हो गई।
हमारी बिल्डिंग के सामने एक छोटा बंगला था, जिसमें एक बैंक मैनेजर रहते थे जिनका नाम हेमंत था जो अपनी पत्नी रजनी और बेटे सोनू के साथ रहते थे। वो हमारी कभी कभी मदद क़र देते, उनकी बीवी भी हमारी मदद करती थी।
रमेश को सुधारने के सभी प्रयास विफल हो गए थे। इस बीच रजनी गर्भवती हो गई तो उसने मुझसे कहा- तुम काम में मेरी मदद कर दो तो मैं कुछ पैसे तुम्हें दे दिया करुँगी।
वैसे भी मैं उन लोगों के अहसान में दबी थी, मैं मान गई मैं सुबह से उनके घर चली जाती थी, बर्तन साफ, करना सफाई करना, खाना बनाना और सोनू को स्कूल भेजना ये सब मेरे काम थे।
माही भी यही रहती थी। हम हम लोग खाना भी यहीं खा लेते थे, और रात में अपने घर जाते थे। कुछ दिनों के बाद रजनी डिलीवरी के लिए अपनी माँ के घर गई, मैं हेमंत और सोनू के काम करने लगी।
जब घर पर मैं और हेमंत अकले होते तो मुझे शुरू में डर लगता था कि यह मुझसे शरारत की कोशिश न करे। वैसे तो वो सीधा आदमी था, पर जवान और खूबसूरत औरत पर मर्द की नीयत कब बदल जाये कोई नहीं बता सकता।
कुछ दिन बाद मैं समझ गई, कि यह बस यूँ ही देखता रहेगा जब तक मैं सावधान हूँ, यह कुछ नहीं कर सकता।
कभी कभी मेरे मन में भी चुदास उठती पर मैं अपने आप पर काबू रखे थी।
आखिर मेरी जिंदगी में वो खास दिन आ ही गया, मैं सोनू को स्कूल भेज चुकी थी, हेमंत भी ऑफिस जा चुके थे, माही सो रही थी। मैंने उसे गोद में लिया, हेमंत के घर पर ताला लगाया और अपने कमरे की ओर जाने लगी कि तभी रमेश का एक आवारा दोस्त आया, और बोला- भाभी, रमेश को पुलिस पकड़ कर ले गई है।
मेरे ऊपर बिजली टूट पड़ी, मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- कंपनी में लेन देन को लेकर किसी से मारपीट हो गई है, आप थाने जाकर पता करो !
मैंने माही को एक पड़ोस में दे दिया और थाने जाने लगी, पहली बार थाने जाने के कारण मुझे बहुत डर लग रहा था।
मैं जैसे ही थाने पहुँची, एक सिपाही ने पूछा- क्या काम है?
मैंने कहा- मेरे पति को पुलिस पकड़ कर लाई है।
वो बोला- तेरे आदमी का नाम क्या है?
मैं बोली- रमेश !
“अच्छा वो जो कंपनी में मारपीट में अन्दर है?”
मैंने कहा- हाँ !
मैंने कहा- वो कैसे छुटेंगे?
वो बोला- मैं कुछ नहीं कर सकता, साब से बात करो !
फिर बोला- यहीं खड़ी रह ! मैं बात करता हूँ।
वो मेरे को वहीं खड़ा कर अंदर गया, फिर आकर बोला- चलो साब बुला रहे हैं।
मैं थानेदार के कमरे में जाने लगी, वहीं से मुझे लॉकअप में बंद रमेश दिखाई दिया, वो बहुत उदास था, मुझे देख कर उसके आँखों में आँसू आ गए।
मैं थानेदार के कमरे में चली गई, वह बोला- मारपीट का केस है, आज शनिवार है, कल कोर्ट की छुट्टी है, सोमवार को जमानत करा लेना।
मैं रोने लगी तो वो बोला- साले पहले लफड़ा करते हैं, फिर बीवी को भेज देते है यहाँ रोने के लिए। ऐ ठाकुर ! इस लड़की को बाहर ले जाकर समझा दे।
ठाकुर नाम का एक हवलदार मुझे बाहर एक तरफ लेकर गया और बोला- देख लड़की, अभी केस लिखा नहीं है, एक बार एफ आई आर लग गई तो हम भी कुछ नहीं कर सकेंगे। तू पाँच हजार रुपये लेकर आ जा, साब को बोल कर पार्टी समझौता करा दूँगा। नहीं तो जिंदगी भर कोर्ट और वकील के चक्कर लगाती फिरेगीl
मैं चुपचाप कमरे पर आई, अपने ससुर को फोन किया, वो बोले- बेटा, आज की बस तो निकल गई, मैं कल शाम तक आऊँगा।
मैं वापस थाने गई, मैंने ठाकुर से कहा- पैसे कल तक आ जायेंगे।
वो बोला- ठीक है, मैं कल शाम तक पार्टी से समझौता करा दूंगा, तू अपने आदमी को छुड़ा लेना।
मैं वापस घर आई, मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था, तभी माही को तेज बुखार आने लगा, मेरे पास दवा व डाक्टर के लिए पैसे नहीं थे। तभी खिड़की से देखा कि हेमंत और सोनू आ रहे थे।
मुझे उनके लिए चाय और खाना बनाना था, मैं सोच रही थी कि ये लोग जल्दी कैसे आ गए।
मैं चाभी ले कर हेमंत के घर गई, रोने से मेरी आँखें सूज गई थी।
हेमंत बोला- मुझे ऑफिस में पता चला कि रमेश अंदर हो गया है, तुम बताओ कि बात क्या है?
मैंने हेमंत को सारी बात बता दी, वो बोला- ठीक है, कल छुड़ा लेंगे। तुम मेरे लिए चाय बना दो और खुद भी पी लेना। और खाना भी जल्दी बना दो।
मैंने कहा- माही को बहुत बुखार है।
उसने कहा- ठीक है, चाय पीकर माही को डाक्टर को दिखा देंगे।
मैं बोली- मेरे पास पैसे नहीं हैं।
हेमंत बोला- पैसे की फिकर मत करो, तुम चाय पीकर माही को लेकर आओ, मैं कार बाहर निकलता हूँ।
मैं चाय पीकर तैयार हो कर माही को ले आई, मैं सोनू माही और हेमंत कार से डाक्टर के पास गए, वहाँ बहुत भीड़ थी, काफी टाइम हो गया, दवाई वगैरह लेते करते रात के 8 बज गए।
तभी पुलिस की गाड़ियों की आवाज आने लगी, लोग भागने लगे, पूरी अफरा-तफरी मच गई, पता चला कि आगे कोई दंगा हो गया है इसलिए पुलिस ने कर्फ़्यू लगा दिया है।
हम कार लेकर घर चले तो पुलिस ने हमें उधर जाने नहीं दिया, बोले- रात भर शहर में कर्फ़्यू रहेगा, उस तरफ के इलाके में दंगे हो रहे आप नहीं जा सकते।
मैं हेमंत को बोली- अब क्या होगा?
हेमंत बोला- दूसरी तरफ से निकलते हैं।
पर पुलिस ने उधर से भी नहीं जाने दिया। रात के 9 बज गए।
तभी हेमंत बोला- सामने होटल है, वहीं चलते हैं, कुछ खाने को भी मिल जायेगा।
होटल थ्री स्टार था, महंगी था पर फिलहाल कोई रास्ता नहीं था, मैं, सोनू, माही, हेमंत होटल पहुँचे।
हेमंत बोला- आज यहीं रुकना पड़ेगा।
मैं चुपचाप सुनती रही। मैं कुछ कहने या करने की स्तिथि में नहीं थी। हेमंत से रिसेप्शन वाला बोला- साब, आप डबल बेड का एक रूम ले लो, आप, आपकी बीवी और बच्चे आराम से उसमें आ जायेंगे। रूम और ऐ सी है, टीवी लगा है, बाथरूम अटैच है।
वो मुझे हेमंत की बीवी समझ रहा था।
हेमंत बोला- ठीक है ! और जल्दी से सबके लिए रूम में ही खाना पहुँचा दो।
वो बोला- ठीक है सर।
एक नौकर हम सब को लेकर कमरे में गया, रूम बहुत अच्छा था। ऐ सी चालू होते ही कमरे में ठंडक होने लगी, मैंने पानी पिया तब जाकर इतनी परेशानी के बाद राहत मिली।
पर मुझे लग रहा था कि एक पराये मर्द के साथ मैं होटल के कमरे में थी। पर कोई दूसरा रास्ता नहीं था, हाथ मुँह धोकर सबने खाना खाया। दिन भर की परेशानी और पुलिस के चक्कर ने मुझे थका दिया था। माही और सोनू को भी नींद आ रही ही थी।मैंने उन्हें बिस्तर पर सुला दिया अब सोच रही थी कि मैं अगर बिस्तर पर सो गई, तो हेमंत कहा सोयेगा?
तभी हेमंत बोला- तुम बिस्तर पर सो जाओ, यह सोफा काफी बड़ा है, मैं यहाँ सो जाऊँगा। वैसे भी मैं टी वी देख रहा हूँ।
मैं चुपचाप बिस्तर पर सो गई। पर मन में डर लग रहा था कि कल जब सबको पता चलेगा तो लोग कैसी बात बनायेंगे।
थकान के कारण मुझे नींद लग गई।
अचानक माही के रोने से मेरी नींद खुल गई, मैं उसे दूध पिला कर चुप कराने लगी। तभी मेरा धयान गया कि सोनू तो सोफे पर सोया है और मेरी बगल में हेमंत सोया है, मैं सन्न रह गई।
वो अभी जाग रहा था, मुझे जगा पाकर वो बोला- मैं सोफे पर सो नहीं पा रहा था इसलिए इधर आ गया।
मैं कुछ बोलने के लायक नहीं थी, चुपचाप रही। मेरा गला सूख गया, जबान अटक गई।
अचानक माही के रोने से से मेरी नींद खुल गई, मैं उसे दूध पिला कर चुप कराने लगी। तभी मेरा धयान गया कि सोनू तो सोफे पर सोया है और मेरी बगल में हेमंत सोया है, मैं सन्न रह गई।
वो अभी जाग रहा था, मुझे जगा पाकर वो बोला- मैं सोफे पर सो नहीं पा रहा था इसलिए इधर आ गया।
मैं कुछ बोलने के लायक नहीं थी, चुपचाप रही। मेरा गला सूख गया, जबान अटक गई।
बगल में मर्द सो रहा था, इस अहसास से चूत में खुजली होने लगी, नींद नहीं आ रही थी, जवानी की आग भड़क रही थी, रमेश ने कई दिनों से मुझे नहीं चोदा था।
शायद यही हाल हेमंत का भी था, बाजू में जवान औरत सो रही है और आदमी का लंड खड़ा न हो ऐसा नहीं हो सकता। मेरा अपने आप पर से काबू छूटता जा रहा था। मैं सोच रही थी कि हेमंत पहल करे, वो भी इसी सोच में था।
पर आज तक मैंने उसे लिफ्ट नहीं दी थी, इसलिए डर रहा था।
तभी मुझे लगा कि हेमंत के एक पैर का पंजा मेरे पैर के पंजे से छू रहा है। सारे शरीर में करंट दौड़ गया, मेरी अन्तर्वासना भड़क उठी। मैंने वैसे ही उसे छूते रहने दिया, थोड़ी देर बाद उसने उसी पंजे से मेरा पंजे को धीरे से दबाया, मानो मुझसे इजाजत मांगी हो।
हेमन्त के साथ कुछ करने की लालसा इतनी प्रबल हो उठी कि मैं विरोध न कर सकी, मैंने हिम्मत कर उसी अंदाज में उसका पैर दबा दिया।
मेरी ओर से सकारात्मक प्रत्युत्तर पाकर उसकी हिम्मत बढ़ी और चूत की आग के आगे मुझे अपनी मर्यादा इज्जत का ख्याल न आया, पति थाने में, बेटी बीमार, सब भूल कर मैं एक गैर मर्द से चुदने को तत्पर हो उठी।
उसका पैर मेरे पैर से रगड़ खा रहा था। वो अपने पैर से मेरी साड़ी ऊपर कर रहा था, चुदाई की आग में मैं अंधी हो गई थी और मजे ले रही थी।
तभी उसका एक हाथ मेरे ब्लाउज़ के ऊपर आया और धीरे धीरे वो मेरी चूचियाँ दबाने लगा। कुछ देर बाद उसने मुझे बाहों में भरने की कोशिश की। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू कर उससे छुटने की कोशिश की, मैंने कहा- नहीं ई ई ई…
ये एक कमजोर इन्कार था।पर अब वो मानने वाला नहीं था, उसने मुझे क़स कर बाहों में भर लिया और लेटे लेटे मेरे गाल चूमने लगा। मेरा बदन खुद ब खुद ढीला पड़ने लगा, वो समझ गया कि बात बन गई।
मेरे इन्कार की आखिरी कोशिश असफल हो गई, मैं खुद ही उससे लिपटने लगी। उसने मुझे अलग कर साड़ी हटा दी, फिर ब्लाउज़ निकाल दिया, मैं पेटीकोट और ब्रा में थी। वो मुझसे लिपट गया, पीछे हाथ ले जा कर ब्रा के हुक खोल दिए, ब्रा नीचे ढलक गई। मैंने शर्म के मारे दूसरी तरफ मुँह कर लिया तो वो पीछे से चिपक गया और दोने हाथों से मेरे नंगे कबूतर दबाने लगा।
उसका लंड मेरे चूतड़ों की दरार में गड़ रहा था। इसके बाद उसने मुझे चित लिटाया, मेरे पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी पेंटी खींची।
मैंने एक फिर उसे रोकने की कोशिश की, पर उसने लगभग जबरन मेरी पेंटी उतार ली, अब मैं भी बगैर चुदे नहीं रह सकती थी, और कोई रास्ता भी नहीं था, बूबे दब चुके थे, पेंटी उतर चुकी थी।
अब उसने अपनी पैंट और अंडरवियर हटा कर अपना लंड निकाल लिया। वो मेरे पति के लंड जैसा ही बड़ा और मोटा था। उसने मेरी टांगें फैलाईं, पेटीकोट ऊपर कर दिया।
मैं बोली- किसी से मत कहना !
उसने हाँ में सर हिला दिया, वो लंड लेकर मेरे ऊपर चढ़ गया लंड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रख धक्का दिया, तो मेरी गर्म और गीली चूत में लंड आराम से समाता चला गया, मेरे मुँह से अह अह… निकलने लगी, बड़े दिनों बाद चुदाई का मजा आ रहा था।वो वो पहले धीरे धीरे धक्के मार रहा था। थोड़ी देर बाद मैं मजे लेने के लिए अपनी चूत नीचे से उछालने लगी।
वो बोला- डार्लिंग, मजा आ रहा है ना?
मैं कुछ नहीं बोली, चुपचाप चूत उछाल उछाल कर चुदाती रही।
वो अब जोर जोर से धक्के मारने लगा, जितनी जोर से वो धक्का मारता, उतना ही मजा आता। मेरे मुँह से सी सी सी सी निकलने लगा।
उसकी स्पीड बढ़ गई।
अह आह आह्ह…
उसका लंड पहले से भी ज्यादा कड़क हो गया, मेरी चूत में से फच-फच की आवाज आने लगी, उसके लंड से गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी तीन बार मेरी चूत में गिरी, मैं उससे चिपक गई, दो-तीन झटके मार कर उसका लंड शांत हो गया।
मैं करीब पांच मिनट तक उससे चिपकी रहीम फिर हट गई, वो भी हट गया।
मैं दूसरी तरफ मुँह कर सोच रही थी कि जो हुआ वो अच्छा हुआ या बुरा?
पर अब तो मैं चुद चुकी थी। अब कुछ नहीं हो सकता था, मैं थक चुकी थी चुदाई के बाद नींद आ गई।
सवेरा होने पर वेटर चाय ले कर आ गया। दोनों बच्चे भी जग गए, चाय पीकर हेमंत बोला- मैं कर्फ़्यू की स्थिति पता करता हूँ।
मैं उससे नजर नहीं मिला पा रही थी।
वो बाहर गया, फिर आकर बोला- आठ बजे तक हम यहाँ से घर के लिए निकल लेंगे।
रविवार होने से छुट्टी थी, हम सभी लोग हेमंत के घर पहुँचे। सभी मोहल्ले वाले अजीब नजर से मुझे देख रहे थे। उनकी आँखों में एक सवाल था कि रात भर मैं कहाँ रही। मेरी आँखें शर्म से नीची हो रही थी।
मैंने हेमंत के लिए खाना बनाना शुरू कर दिया। हेमंत बाज़ार चला गया फिर लौट कर आया तो उसने मुझे पी-नॉट की गोली दी और बोला- रात को प्रीकॉशन नहीं लिया न ! मैं शर्म से लाल हो गई पर सोचा कि इसे मेरा इतना तो ख्याल है।
खाना खाकर मैं अपने घर आ गई। शाम चार बजे मेरे ससुर आये, हमने थाने जाकर पाँच हजार रुपये दिए और रमेश को छुड़ा कर लाये। वो बहुत शर्मिंदा था पर नहीं जानता था कि उसकी बीवी दूसरे मर्द से चुद चुकी थी।
अगले दिन मेरे ससुर चले गए, रमेश की नौकरी जा चुकी थी। वो किराये का ऑटो चलाने लगा, पर उसकी आदत में कोई सुधार नहीं आया।
शाम चार बजे मेरे ससुर आये, हमने थाने जाकर पाँच हजार रुपये दिए और रमेश को छुड़ा कर लाये। वो बहुत शर्मिंदा था पर नहीं जानता था कि उसकी बीवी दूसरे मर्द से चुद चुकी थी।
अगले दिन मेरे ससुर चले गए, रमेश की नौकरी जा चुकी थी। वो किराये का ऑटो चलाने लगा, पर उसकी आदत में कोई सुधार नहीं आया।
अब मेरी मान-मर्यादा भंग हो चुकी थी। हेमंत से एक बार चुदने के बाद मैंने फैसला किया कि दुबारा ये सब नहीं होगा। पर यह ऐसी दलदल है जिसमें एक बार कोई लड़की गिर जाती है तो उसका संभलना मुश्किल हो जाता है।
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ, हेमंत मुझे नई नई साड़ियाँ देने लगा, सजने संवरने के साधन परफ़्यूम, कभी जेवर भी, आदि, कभी होटल में ले जाकर खाना खिलाना, कभी घुमाने ले जाना।
उसकी बीवी मायके में, मेरा पति शराबी, कभी घर आता, कभी नहीं, दोनों को खुली छूट मिल गई, मैं दिल ही दिल में हेमंत को चाहने लगी। पर रमेश आखिर मेरे पति था। मैं हमंत के साथ बदनाम होने लगी, घर पर या बाहर जहाँ भी मौका मिलता, हेमंत मुझे चोद लेता।
हेमन्त से ही मुझे ब्लू फ़िल्म और पोर्न साईट की जानकारी हुई। एक दिन हेमंत और मैं ब्लू फ़िल्म देख रहे थे, सोफे पर बैठे थे हेमंत ने अपना लंड निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया, मैं उसे हिलाने लगी।
उसने मेरा ब्लाउज उतारा और मेरे बूबे चूसने लगा, मेरी चूत सुलगने लगी। धीरे धीरे सारे कपड़े फर्श पर आ गए, हम दोनों के बदन पर एक धागा भी नहीं था, मेरा गोरा बदन चमक रहा था।
हेमंत ने मुझे घोड़ी बना दिया फिर मेरे कूल्हों पर चटाचट हाथ मारे, बोला- मालिनी, तेरे चूतड़ तो बड़े मोटे हैं, जब मैं पीछे से तुझे चोदूँगा तो बड़ा मजा आएगा !
वो घोड़ा बन कर मेरे ऊपर चढ़ गया, पीछे लंड को मेरी चूत पए जमा कर धक्का मारा, लंड चूत में घुसता चला गया, वो कुत्ते के समान कमर हिला कर मुझे चोदने लगा, मैं भी अपनी कमर हिला हिला कर आगे पीछे करने लगी और चुदने लगी।
मेरी पोन्द के ऊपर जब उसका धक्का पड़ता तो थप थप या टप टप की आवाज आती, यह स्टाइल उसे बहुत पसंद था।
इसके बाद जब भी वो मुझे चोदता, घोड़ी जरूर बनाता !
मेरा पसंदीदा स्टाइल यह था कि मैं हेमंत को चित लेटा देती और उसके पेट पर नंगी बैठ जाती। फिर पीछे हट कर उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत में डाल लेती, फिर उचक उचक कर खूब चुदाती।
मुझे दो जवान लण्डों से खेलने का मौका मिल रहा था पर दूर-दूर तक बदनामी हो रही थी, रमेश को भी शक था पर वो कुछ बोल नहीं पा रहा था।
पर मुझे सिर्फ एक बात की चिन्ता थी कि रमेश सुधर नहीं रहा था।
एक दिन की बात है रमेश शराब पी कर रास्ते में गिर गया।
मैं और हेमंत उसे लेने गए, देखा कि उसने बहुत ही ज्यादा पी रखी थी। सड़क पर गिरने से उसे सर व हाथ पर चोट आ गई थी। वो बेहोश था।
मैंने व हेमंत ने उसे उठाया फिर पास के डॉक्टर के पास ले गए। वहाँ से पट्टी करा कर घर लाये तो रात के दस बज रहे थे।
हेमंत ने कहा- मैं बाजार से खाना लेकर आता हूँ, तुम यहीं रमेश के पास रहो !
रमेश को होश नहीं आ रहा था, वो नशे में धुत्त था, मेरे घर में केवल एक रसोई और एक बड़ा कमरा है।
हेमंत खाना लेकर आ गया, हम दोनों हेमन्त के घर गए, दोनों बच्चे वहीं थे, सबने खाना खाया और बच्चों को सुला दिया।
बच्चों के सोने के बाद हेमन्त ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और चूमाचाटी करने लगा। लेकिन मेरा मन अपने पति में पड़ा था, सोच रही थी कि उसे होश आएगा तो अपने को अकेला पाकर क्या सोचेगा। यह सोच कर मैंने हेमन्त को कहा- आज नहीं ! मैं अपने घर जा रही हूँ।
यह कह कर मैं माही को गोद में उठाने लगी तो हेमन्त बोला- इसे यहीं सोने दो ! चलो मैं भी चल कर देखता हूँ कि रमेश की तबीयत कैसी है।
हेमन्त भी मेरे साथ मेरे घर आ गया। घर आकर देखा तो रमेश उसी तरह नशे में धुत्त सोया पड़ा है।
कमरे में बैठे बैठे हेमंत को क्या सूझा कि वो मुझे पकड़ कर चोदने के लिए मनाने लगा।
मैं बोली- रमेश यहीं है।
वो बोला- यह तो नशे में धुत्त है, इसे रसोई में सुला देते हैं, फिर अपन यहाँ कमरे में मस्ती करते हैं।
मैं मना करती रही पर वो नहीं माना, आखिर रमेश को रसोई में डाल कर मैं चुदने के लिए तैयार हो गई। वैसे भी जब रमेश पीकर आता था मैं उसके साथ नहीं सोती थी।
अब हेमंत मेरे करीब आया और खड़े खड़े ही मुझसे चिपक गया।
मैं बोली- जल्दी से काम निपटा कर चले जाओ।
तब हम दोनों बेड पर आ गए। मैं सोच रही थी कि जितने जल्दी हो इसे हल्का कर के यहाँ से निकाल दूँ।
मैंने चित लेट कर टांगें फैला दी पेटीकोट और साड़ी ऊपर कर दी, पेंटी नहीं पहनी थी तो मेरी चूत हेमंत के सामने थी।
पर हेमंत ने उसमें लंड डालने के बजाय मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे निकाल दिया।
मैं नीचे पूरी नंगी हो गई, घबरा कर मैंने कहा- यह क्या कर रहे हो? रमेश यही है।
वो बोला- उसे होश नहीं आएगा, मैं जल्दी ही काम निपटा लूँगा।
वो पेंट और अंडर वियर उतार खड़ा लंड लेकर मेरे ऊपर चढ़ गया, यह लंड मैं कई बार ले चुकी थी।
फिर हेमन्त मेरा ब्लाउज़ खोल कर कर मेरे बूबे दबाने लगा, पीने लगा तो मेरी चूत की आग भड़क गई, मैं भूल गई कि पति रसोई में सोया है, और चुदने के लिए मतवाली हो गई।
वो मेरे ऊपर चिपक गया, फिर हाथ से मेरी पीठ को कस कर पकड़ कर ऐसा पलटा कि मैं ऊपर और वो नीचे हो गया। मैं उस पर बैठ गई फिर अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर कर के उसका लंड अपनी चूत के मुँह पर रखा और बोली- धीरे से डालना !
यह सुन कर वो खुश हो गया। उसका लंड पहले से ज्यादा टाइट हो गया, उसने धीरे से धक्का मारा पर लंड अन्दर जाने के बजाय फिसल गया।
अब उसने अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर चूत पर जमाया और कुछ देर रुक कर अचानक जोर से धक्का मारा, कच से लंड अन्दर हो गया, मेरे मुँह हाय निकली- ओ उ उ उ उ उ उ उ उ… ये क्या कर दिया !
वो बेशर्मी से हंस दिया।
अब उसने लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया, मैं भी गर्म हो चुकी थी, उसके लंड पर अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी, मुझे मजा आ रहा था क्योंकि यह मेरा चुदने का मनपसंद स्टाइल था।
जब मैं काफी चुद चुकी तो हेमंत ने मुझे घोड़ी बना दिया और लंड लेकर मेरे ऊपर चढ़ गया। मेरी पोन्द के नीचे से लंड को चूत के मुँह पर रख कर धक्का मारा, वो मेरी चूत में घुस गया।
धीरे धीरे वो स्पीड बढ़ाता गया। अब मुझे वो कुत्ते की तरह से चोद रहा था। मैं भी अपने चूतड़ हिला कर उसका साथ दे रही थी, मेरा गोरा नंगा बदन दूध की तरह चमक रहा था।
मैं घोड़ी बनी हुई थी, तेजी से आगे पीछे होने के कारण मेरी चूचियाँ लटक कर हिल रही थी, मैं बड़ी जोर से चुदवा रही थी।फचफच लंड अंदर-बाहर हो रहा था, मेरी पोंद पर उसकी टॉप पड़ती तो टप टप… की आवाज आ रही थी, अहह अह्ह्ह की आवाज मेरे मुंह से निकालने लगी, आ..आ… आ… सी सी सी… करके मैं चुद रही थी।
हेमंत का लंड बहुत कड़क हो गया, उसका पानी निकलने वाला था। तभी मेरी नजर रसोई के दरवाजे पर गई, देखा कि रमेश खड़ा था, उसे कुछ कुछ होश था पर नजारा देख कर समझ गया कि मामला क्या है।
मैंने हमंत को ऊपर हटाने की कोशिश की पर वो पूरे ताव में था, वो लंड अन्दर करके मेरे ऊपर हो गया। मेरे पेट को जोर से पकड़ कर खींच लिया। मैं छुट न सकी वो तेजी से धक्का मारने लगा जब तक उसके लंड का पानी पूरी तरह नहीं छुट गया।
मैं अपने पति के सामने चुद गई, रमेश मुझे छुड़ाने आगे आया पर वो नशे के करण गिर गया।
मुझे चोद कर हेमंत चला गया, अब मुझे काटो तो खून नहीं ! रमेश नशे की हालत में मुझे गालियाँ देता रहा- मादरचोद ! छिनाल ! आदि
वो नशे और नीँद में सो गया, पर मुझे रात भर नींद नहीं आई।
सुबह रमेश करीब 10 बजे उठा, उठने के साथ ही झगड़ा शुरू हो गया। उसने लातों और घूंसों से मेरी पिटाई कर दी। मैं किसी को भी शिकायत नहीं कर सकती थी, वो अपनी गोरी सुनक्खी बीवी का दूसरे आदमी से चुदना बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि इतनी सुन्दर और चिकनी बीवी को दूसरा कोई उसकी आँखों के सामने ही चोद दे।
पर हिम्मत बटोर कर मैंने उसे पूरी बात बताई कि कैसे मेरा सम्बन्ध हेमंत के साथ हो गया। उसे इस बात का भी अहसास कराया कि अगर वो घर पर अच्छी तरह ध्यान देता तो यह नौबत नहीं आती, मेरी बर्बादी में उसकी शराब की आदत का भी दोष है।
मैंने उससे यह भी वादा किया कि आगे से मैं हेमंत के साथ सम्बन्ध तोड़ दूँगी, मैंने उसके सामने सर पर हाथ रख कर कसम खाई कि मैं हेमंत से सम्बन्ध तोड़ दूंगी।
रमेश को इस बात का अहसास था कि बात यदि खुलती है तो उसकी की भी बदनामी होगी इसलिए वो बात आगे नहीं बढ़ाना चाहता था।
रमेश अपना ऑटो लेकर चला गया, उसके जाते ही मैंने हेमंत को पत्र लिख कर सारी बात स्पष्ट कर दी तथा उससे सदा के लिए संबंध तोड़ लेने का फैसला उसे सुना दिया।
पत्र पोस्ट करके मुझे बड़ी शांति मिली। पर उस दिन के बाद रमेश बहुत उदास रहने लगा, उसे बहुत अफसोस हुआ कि सब बर्बादी का कारण उसकी शराब और बुरी आदत है। अक्सर वो अकले में रोया करता था।
मैंने एक दिन उससे पूछा तो वो बोला- मेरे कारण तुमने बहुत दुःख उठाए हैं और तुम्हारा पतन भी मेरे कारण हुआ है, मैं इन हालात को सुधारूँगा, मैं माही के सर पर हाथ रख कर कसम खाता हूँ कि आज से शराब और सारी बुरी आदतें त्याग देता हूँ।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हो गई मेरी जिंदगी में नया सवेरा आ गया, शाम को रमेश पूरी कमाई लेकर घर आया।
मैं अब खुश रहने लगी। रमेश सुधर चुका था पर मैं यहाँ बहुत बदनाम हो गई थी इसलिए हम लोगों की इस शहर में कोई वैल्यू नहीं थी।
इसका भी हल जल्दी ही निकल गया, एक दिन रमेश आया और बोला- मुझे बंगलौर में एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई है। कंपनी रहने को फ्लैट भी दे रही है और पैसा भी अच्छा मिल रहा है। 15 दिन बाद हम सब बंगलौर चले जायेंगे।
मैं रमेश से लिपट गई और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
रमेश मेरा पति है, जिससे मेरी शादी आज से 4 साल पहले हुई थी, इनका रंग भी गोरा है, 6′ वजन 68 किलो है, अच्छे हैंडसम आदमी हैं, इनकी उम्र 29 साल है।
माही मेरी दो साल की बेटी है।
हेमंत- यह मेरी जिंदगी में आया पराया मर्द है, यह करीब 5’8″ लंबा, मोटे शरीर का आदमी है, इसका रंग सांवला है, वजन 70 kg है, इसकी उम्र करीब 35 साल है, यह बैंक में मैंनेजर के पद पर है।
रजनी- हेमंत की बीवी है, इसका रंग भी गोरा है, यह भरे भरे शरीर वाली कुछ नाटी सी औरत है, इसके स्तन बड़े बड़े हैं और भारी चूतड़ हैं। इसकी उम्र करीब 30 साल है।
सोनू- रजनी और हेमंत का 6 साल का बेटा है जो दूसरी कक्षा में है।
मेरे पिताजी का स्वर्गवास बहुत पहले ही हो चुका था जब मैं बहुत छोटी थी। मेरी माँ ने मुझे बहुत मुश्किल से पाला था, और केवल बारहवीं तक पढ़ाया था, उस समय मेरी उम्र 18 बरस की थी।
मेरी माँ मुझे आगे पढ़ाने की जगह मेरी जल्दी से शादी कर देने की सोच रही थी, पर गरीब बिन बाप की बेटी को अच्छा लड़का मिलना कठिन था, इस तरह दो साल निकल गए, मेरा शरीर भर गया था, जवानी की महक मेरे बदन से निकलने लगी, मेरी भी तमन्ना होने लगी कि कोई लड़का बाहों में भर कर मुझे चोदे।
आते जाते लोगों के फ़िकरे मुझे सुनाई पड़ने लगे, क्या लड़के, क्या अधेड़ सभी मुझे घूरते थे, ऐसा जान पड़ता था कि बस खा ही जायेंगे पर अपनी माँ की इज्जत और परेशानी को ध्यान में रखते हुए मैंने कभी किसी को लिफ्ट नहीं दी, मैं एक शरीफ लड़की की जिंदगी जी रही थी।
इस बीच एक दो शादी के रिश्ते आये, पर कुछ समय बाद एक लड़का अपने माँ बाप के साथ मुझे देखने आया इस लड़के का नाम रमेश था। इसके पिता रेलवे विभाग में काम करते थे, लड़का देखने में सुन्दर था उसके पिता ने मुझे पसंद कर लिया और बगैर दहेज़ के शादी के लिए हाँ कर दी। इन लोगो ने बताया कि रमेश किसी बड़ी कंपनी में काम करता है।
मेरी माँ बहुत खुश हो गई, उसके सर से एक जिम्मेदारी उतरने वाली थी। हम लोग सोच रहे थे कि काम बड़ी आसानी से हो गया, उन लोगों को शादी की जल्दी थी, सो मेरी शादी एक महीने के भीतर हो गई।
मैं अपने ससुराल आ गई। मैं बहुत खुश थी, मुझे एक सुन्दर और हैंडसम पति मिला था वह मुझे बहुत प्यार करता था। मुझ पहली बार चोदने का सौभाग्य मेरे पति को ही मिला।
पर मेरी असली परेशानी अब शुरू होने वाली थी, पति मुझे साथ लेकर उस शहर में आया जहाँ वो कंपनी में काम करता था। उसकी कमाई बहुत ज्यादा नहीं थी। हम एक छोटे से किराये के कमरे में रहने लगे पर मैं बहुत खुश थी, मुझे पति का पूरा प्यार (चुदाई) मिल रही थी।
तभी मुझे पता चलने लगा कि मेरे पति को शराब पीने की बुरी आदत है, वो तम्बाकू का गुटका भी खाते थे। पहले तो वो कुछ छिपाते थे, पर जब उनको भी पता चल गया कि मैं जान चुकी हूँ तो मेरे सामने ही शराब चलने लगी। उनके दोस्त भी शराबी थे वो उनके साथ शराब पीते थे और देर रात को घर आते थे।
मैं परेशान रहने लगी, कम्पनी भी कभी जाते थे, कभी नहीं। मैंने अपने ससुर से इस बात की शिकायत की पर उन्हें यह सब पहले से ही पता था, उन्होंने फिर भी रमेश को डाँटा, फटकार लगाई।
कुछ दिन ठीक रहने के बाद फिर वो ही बात, कमाई कम थी, ऊपर से शराब, घर चलाना मुश्किल हो गया। मेरे ससुर पैसे भेज देते थे पर उसमें से पति शराब में उड़ा देता था। मेरी माँ ने यह सुना तो सर पीट लियाl
रमेश की एक बात अच्छी थी, वो मुझे चाहता बहुत था। अब मुझे समझ में आया कि क्यों ये लोग बगैर दहेज़ के शादी के लिए राजी हो गए, और क्यों इन्हें शादी की जल्दी थी।
मेरे ससुर बार बार मुझे कहते- बेटी, किसी तरह इसे सुधार दो !
पर मैं क्या करती !
किसी तरह जिन्दगी चल रही थी, आये दिन कर्ज मांगने वाले आने लगे, इस बीच मैं गर्भवती हो गई। मुझ ससुर ने अपने पास बुला लिया। माही को जन्म देने के 3 माह बाद मैं वापस पति के पास आई तो फिर वही कहानी चालू हो गई।
हमारी बिल्डिंग के सामने एक छोटा बंगला था, जिसमें एक बैंक मैनेजर रहते थे जिनका नाम हेमंत था जो अपनी पत्नी रजनी और बेटे सोनू के साथ रहते थे। वो हमारी कभी कभी मदद क़र देते, उनकी बीवी भी हमारी मदद करती थी।
रमेश को सुधारने के सभी प्रयास विफल हो गए थे। इस बीच रजनी गर्भवती हो गई तो उसने मुझसे कहा- तुम काम में मेरी मदद कर दो तो मैं कुछ पैसे तुम्हें दे दिया करुँगी।
वैसे भी मैं उन लोगों के अहसान में दबी थी, मैं मान गई मैं सुबह से उनके घर चली जाती थी, बर्तन साफ, करना सफाई करना, खाना बनाना और सोनू को स्कूल भेजना ये सब मेरे काम थे।
माही भी यही रहती थी। हम हम लोग खाना भी यहीं खा लेते थे, और रात में अपने घर जाते थे। कुछ दिनों के बाद रजनी डिलीवरी के लिए अपनी माँ के घर गई, मैं हेमंत और सोनू के काम करने लगी।
जब घर पर मैं और हेमंत अकले होते तो मुझे शुरू में डर लगता था कि यह मुझसे शरारत की कोशिश न करे। वैसे तो वो सीधा आदमी था, पर जवान और खूबसूरत औरत पर मर्द की नीयत कब बदल जाये कोई नहीं बता सकता।
कुछ दिन बाद मैं समझ गई, कि यह बस यूँ ही देखता रहेगा जब तक मैं सावधान हूँ, यह कुछ नहीं कर सकता।
कभी कभी मेरे मन में भी चुदास उठती पर मैं अपने आप पर काबू रखे थी।
आखिर मेरी जिंदगी में वो खास दिन आ ही गया, मैं सोनू को स्कूल भेज चुकी थी, हेमंत भी ऑफिस जा चुके थे, माही सो रही थी। मैंने उसे गोद में लिया, हेमंत के घर पर ताला लगाया और अपने कमरे की ओर जाने लगी कि तभी रमेश का एक आवारा दोस्त आया, और बोला- भाभी, रमेश को पुलिस पकड़ कर ले गई है।
मेरे ऊपर बिजली टूट पड़ी, मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- कंपनी में लेन देन को लेकर किसी से मारपीट हो गई है, आप थाने जाकर पता करो !
मैंने माही को एक पड़ोस में दे दिया और थाने जाने लगी, पहली बार थाने जाने के कारण मुझे बहुत डर लग रहा था।
मैं जैसे ही थाने पहुँची, एक सिपाही ने पूछा- क्या काम है?
मैंने कहा- मेरे पति को पुलिस पकड़ कर लाई है।
वो बोला- तेरे आदमी का नाम क्या है?
मैं बोली- रमेश !
“अच्छा वो जो कंपनी में मारपीट में अन्दर है?”
मैंने कहा- हाँ !
मैंने कहा- वो कैसे छुटेंगे?
वो बोला- मैं कुछ नहीं कर सकता, साब से बात करो !
फिर बोला- यहीं खड़ी रह ! मैं बात करता हूँ।
वो मेरे को वहीं खड़ा कर अंदर गया, फिर आकर बोला- चलो साब बुला रहे हैं।
मैं थानेदार के कमरे में जाने लगी, वहीं से मुझे लॉकअप में बंद रमेश दिखाई दिया, वो बहुत उदास था, मुझे देख कर उसके आँखों में आँसू आ गए।
मैं थानेदार के कमरे में चली गई, वह बोला- मारपीट का केस है, आज शनिवार है, कल कोर्ट की छुट्टी है, सोमवार को जमानत करा लेना।
मैं रोने लगी तो वो बोला- साले पहले लफड़ा करते हैं, फिर बीवी को भेज देते है यहाँ रोने के लिए। ऐ ठाकुर ! इस लड़की को बाहर ले जाकर समझा दे।
ठाकुर नाम का एक हवलदार मुझे बाहर एक तरफ लेकर गया और बोला- देख लड़की, अभी केस लिखा नहीं है, एक बार एफ आई आर लग गई तो हम भी कुछ नहीं कर सकेंगे। तू पाँच हजार रुपये लेकर आ जा, साब को बोल कर पार्टी समझौता करा दूँगा। नहीं तो जिंदगी भर कोर्ट और वकील के चक्कर लगाती फिरेगीl
मैं चुपचाप कमरे पर आई, अपने ससुर को फोन किया, वो बोले- बेटा, आज की बस तो निकल गई, मैं कल शाम तक आऊँगा।
मैं वापस थाने गई, मैंने ठाकुर से कहा- पैसे कल तक आ जायेंगे।
वो बोला- ठीक है, मैं कल शाम तक पार्टी से समझौता करा दूंगा, तू अपने आदमी को छुड़ा लेना।
मैं वापस घर आई, मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था, तभी माही को तेज बुखार आने लगा, मेरे पास दवा व डाक्टर के लिए पैसे नहीं थे। तभी खिड़की से देखा कि हेमंत और सोनू आ रहे थे।
मुझे उनके लिए चाय और खाना बनाना था, मैं सोच रही थी कि ये लोग जल्दी कैसे आ गए।
मैं चाभी ले कर हेमंत के घर गई, रोने से मेरी आँखें सूज गई थी।
हेमंत बोला- मुझे ऑफिस में पता चला कि रमेश अंदर हो गया है, तुम बताओ कि बात क्या है?
मैंने हेमंत को सारी बात बता दी, वो बोला- ठीक है, कल छुड़ा लेंगे। तुम मेरे लिए चाय बना दो और खुद भी पी लेना। और खाना भी जल्दी बना दो।
मैंने कहा- माही को बहुत बुखार है।
उसने कहा- ठीक है, चाय पीकर माही को डाक्टर को दिखा देंगे।
मैं बोली- मेरे पास पैसे नहीं हैं।
हेमंत बोला- पैसे की फिकर मत करो, तुम चाय पीकर माही को लेकर आओ, मैं कार बाहर निकलता हूँ।
मैं चाय पीकर तैयार हो कर माही को ले आई, मैं सोनू माही और हेमंत कार से डाक्टर के पास गए, वहाँ बहुत भीड़ थी, काफी टाइम हो गया, दवाई वगैरह लेते करते रात के 8 बज गए।
तभी पुलिस की गाड़ियों की आवाज आने लगी, लोग भागने लगे, पूरी अफरा-तफरी मच गई, पता चला कि आगे कोई दंगा हो गया है इसलिए पुलिस ने कर्फ़्यू लगा दिया है।
हम कार लेकर घर चले तो पुलिस ने हमें उधर जाने नहीं दिया, बोले- रात भर शहर में कर्फ़्यू रहेगा, उस तरफ के इलाके में दंगे हो रहे आप नहीं जा सकते।
मैं हेमंत को बोली- अब क्या होगा?
हेमंत बोला- दूसरी तरफ से निकलते हैं।
पर पुलिस ने उधर से भी नहीं जाने दिया। रात के 9 बज गए।
तभी हेमंत बोला- सामने होटल है, वहीं चलते हैं, कुछ खाने को भी मिल जायेगा।
होटल थ्री स्टार था, महंगी था पर फिलहाल कोई रास्ता नहीं था, मैं, सोनू, माही, हेमंत होटल पहुँचे।
हेमंत बोला- आज यहीं रुकना पड़ेगा।
मैं चुपचाप सुनती रही। मैं कुछ कहने या करने की स्तिथि में नहीं थी। हेमंत से रिसेप्शन वाला बोला- साब, आप डबल बेड का एक रूम ले लो, आप, आपकी बीवी और बच्चे आराम से उसमें आ जायेंगे। रूम और ऐ सी है, टीवी लगा है, बाथरूम अटैच है।
वो मुझे हेमंत की बीवी समझ रहा था।
हेमंत बोला- ठीक है ! और जल्दी से सबके लिए रूम में ही खाना पहुँचा दो।
वो बोला- ठीक है सर।
एक नौकर हम सब को लेकर कमरे में गया, रूम बहुत अच्छा था। ऐ सी चालू होते ही कमरे में ठंडक होने लगी, मैंने पानी पिया तब जाकर इतनी परेशानी के बाद राहत मिली।
पर मुझे लग रहा था कि एक पराये मर्द के साथ मैं होटल के कमरे में थी। पर कोई दूसरा रास्ता नहीं था, हाथ मुँह धोकर सबने खाना खाया। दिन भर की परेशानी और पुलिस के चक्कर ने मुझे थका दिया था। माही और सोनू को भी नींद आ रही ही थी।मैंने उन्हें बिस्तर पर सुला दिया अब सोच रही थी कि मैं अगर बिस्तर पर सो गई, तो हेमंत कहा सोयेगा?
तभी हेमंत बोला- तुम बिस्तर पर सो जाओ, यह सोफा काफी बड़ा है, मैं यहाँ सो जाऊँगा। वैसे भी मैं टी वी देख रहा हूँ।
मैं चुपचाप बिस्तर पर सो गई। पर मन में डर लग रहा था कि कल जब सबको पता चलेगा तो लोग कैसी बात बनायेंगे।
थकान के कारण मुझे नींद लग गई।
अचानक माही के रोने से मेरी नींद खुल गई, मैं उसे दूध पिला कर चुप कराने लगी। तभी मेरा धयान गया कि सोनू तो सोफे पर सोया है और मेरी बगल में हेमंत सोया है, मैं सन्न रह गई।
वो अभी जाग रहा था, मुझे जगा पाकर वो बोला- मैं सोफे पर सो नहीं पा रहा था इसलिए इधर आ गया।
मैं कुछ बोलने के लायक नहीं थी, चुपचाप रही। मेरा गला सूख गया, जबान अटक गई।
अचानक माही के रोने से से मेरी नींद खुल गई, मैं उसे दूध पिला कर चुप कराने लगी। तभी मेरा धयान गया कि सोनू तो सोफे पर सोया है और मेरी बगल में हेमंत सोया है, मैं सन्न रह गई।
वो अभी जाग रहा था, मुझे जगा पाकर वो बोला- मैं सोफे पर सो नहीं पा रहा था इसलिए इधर आ गया।
मैं कुछ बोलने के लायक नहीं थी, चुपचाप रही। मेरा गला सूख गया, जबान अटक गई।
बगल में मर्द सो रहा था, इस अहसास से चूत में खुजली होने लगी, नींद नहीं आ रही थी, जवानी की आग भड़क रही थी, रमेश ने कई दिनों से मुझे नहीं चोदा था।
शायद यही हाल हेमंत का भी था, बाजू में जवान औरत सो रही है और आदमी का लंड खड़ा न हो ऐसा नहीं हो सकता। मेरा अपने आप पर से काबू छूटता जा रहा था। मैं सोच रही थी कि हेमंत पहल करे, वो भी इसी सोच में था।
पर आज तक मैंने उसे लिफ्ट नहीं दी थी, इसलिए डर रहा था।
तभी मुझे लगा कि हेमंत के एक पैर का पंजा मेरे पैर के पंजे से छू रहा है। सारे शरीर में करंट दौड़ गया, मेरी अन्तर्वासना भड़क उठी। मैंने वैसे ही उसे छूते रहने दिया, थोड़ी देर बाद उसने उसी पंजे से मेरा पंजे को धीरे से दबाया, मानो मुझसे इजाजत मांगी हो।
हेमन्त के साथ कुछ करने की लालसा इतनी प्रबल हो उठी कि मैं विरोध न कर सकी, मैंने हिम्मत कर उसी अंदाज में उसका पैर दबा दिया।
मेरी ओर से सकारात्मक प्रत्युत्तर पाकर उसकी हिम्मत बढ़ी और चूत की आग के आगे मुझे अपनी मर्यादा इज्जत का ख्याल न आया, पति थाने में, बेटी बीमार, सब भूल कर मैं एक गैर मर्द से चुदने को तत्पर हो उठी।
उसका पैर मेरे पैर से रगड़ खा रहा था। वो अपने पैर से मेरी साड़ी ऊपर कर रहा था, चुदाई की आग में मैं अंधी हो गई थी और मजे ले रही थी।
तभी उसका एक हाथ मेरे ब्लाउज़ के ऊपर आया और धीरे धीरे वो मेरी चूचियाँ दबाने लगा। कुछ देर बाद उसने मुझे बाहों में भरने की कोशिश की। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू कर उससे छुटने की कोशिश की, मैंने कहा- नहीं ई ई ई…
ये एक कमजोर इन्कार था।पर अब वो मानने वाला नहीं था, उसने मुझे क़स कर बाहों में भर लिया और लेटे लेटे मेरे गाल चूमने लगा। मेरा बदन खुद ब खुद ढीला पड़ने लगा, वो समझ गया कि बात बन गई।
मेरे इन्कार की आखिरी कोशिश असफल हो गई, मैं खुद ही उससे लिपटने लगी। उसने मुझे अलग कर साड़ी हटा दी, फिर ब्लाउज़ निकाल दिया, मैं पेटीकोट और ब्रा में थी। वो मुझसे लिपट गया, पीछे हाथ ले जा कर ब्रा के हुक खोल दिए, ब्रा नीचे ढलक गई। मैंने शर्म के मारे दूसरी तरफ मुँह कर लिया तो वो पीछे से चिपक गया और दोने हाथों से मेरे नंगे कबूतर दबाने लगा।
उसका लंड मेरे चूतड़ों की दरार में गड़ रहा था। इसके बाद उसने मुझे चित लिटाया, मेरे पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी पेंटी खींची।
मैंने एक फिर उसे रोकने की कोशिश की, पर उसने लगभग जबरन मेरी पेंटी उतार ली, अब मैं भी बगैर चुदे नहीं रह सकती थी, और कोई रास्ता भी नहीं था, बूबे दब चुके थे, पेंटी उतर चुकी थी।
अब उसने अपनी पैंट और अंडरवियर हटा कर अपना लंड निकाल लिया। वो मेरे पति के लंड जैसा ही बड़ा और मोटा था। उसने मेरी टांगें फैलाईं, पेटीकोट ऊपर कर दिया।
मैं बोली- किसी से मत कहना !
उसने हाँ में सर हिला दिया, वो लंड लेकर मेरे ऊपर चढ़ गया लंड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रख धक्का दिया, तो मेरी गर्म और गीली चूत में लंड आराम से समाता चला गया, मेरे मुँह से अह अह… निकलने लगी, बड़े दिनों बाद चुदाई का मजा आ रहा था।वो वो पहले धीरे धीरे धक्के मार रहा था। थोड़ी देर बाद मैं मजे लेने के लिए अपनी चूत नीचे से उछालने लगी।
वो बोला- डार्लिंग, मजा आ रहा है ना?
मैं कुछ नहीं बोली, चुपचाप चूत उछाल उछाल कर चुदाती रही।
वो अब जोर जोर से धक्के मारने लगा, जितनी जोर से वो धक्का मारता, उतना ही मजा आता। मेरे मुँह से सी सी सी सी निकलने लगा।
उसकी स्पीड बढ़ गई।
अह आह आह्ह…
उसका लंड पहले से भी ज्यादा कड़क हो गया, मेरी चूत में से फच-फच की आवाज आने लगी, उसके लंड से गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी तीन बार मेरी चूत में गिरी, मैं उससे चिपक गई, दो-तीन झटके मार कर उसका लंड शांत हो गया।
मैं करीब पांच मिनट तक उससे चिपकी रहीम फिर हट गई, वो भी हट गया।
मैं दूसरी तरफ मुँह कर सोच रही थी कि जो हुआ वो अच्छा हुआ या बुरा?
पर अब तो मैं चुद चुकी थी। अब कुछ नहीं हो सकता था, मैं थक चुकी थी चुदाई के बाद नींद आ गई।
सवेरा होने पर वेटर चाय ले कर आ गया। दोनों बच्चे भी जग गए, चाय पीकर हेमंत बोला- मैं कर्फ़्यू की स्थिति पता करता हूँ।
मैं उससे नजर नहीं मिला पा रही थी।
वो बाहर गया, फिर आकर बोला- आठ बजे तक हम यहाँ से घर के लिए निकल लेंगे।
रविवार होने से छुट्टी थी, हम सभी लोग हेमंत के घर पहुँचे। सभी मोहल्ले वाले अजीब नजर से मुझे देख रहे थे। उनकी आँखों में एक सवाल था कि रात भर मैं कहाँ रही। मेरी आँखें शर्म से नीची हो रही थी।
मैंने हेमंत के लिए खाना बनाना शुरू कर दिया। हेमंत बाज़ार चला गया फिर लौट कर आया तो उसने मुझे पी-नॉट की गोली दी और बोला- रात को प्रीकॉशन नहीं लिया न ! मैं शर्म से लाल हो गई पर सोचा कि इसे मेरा इतना तो ख्याल है।
खाना खाकर मैं अपने घर आ गई। शाम चार बजे मेरे ससुर आये, हमने थाने जाकर पाँच हजार रुपये दिए और रमेश को छुड़ा कर लाये। वो बहुत शर्मिंदा था पर नहीं जानता था कि उसकी बीवी दूसरे मर्द से चुद चुकी थी।
अगले दिन मेरे ससुर चले गए, रमेश की नौकरी जा चुकी थी। वो किराये का ऑटो चलाने लगा, पर उसकी आदत में कोई सुधार नहीं आया।
शाम चार बजे मेरे ससुर आये, हमने थाने जाकर पाँच हजार रुपये दिए और रमेश को छुड़ा कर लाये। वो बहुत शर्मिंदा था पर नहीं जानता था कि उसकी बीवी दूसरे मर्द से चुद चुकी थी।
अगले दिन मेरे ससुर चले गए, रमेश की नौकरी जा चुकी थी। वो किराये का ऑटो चलाने लगा, पर उसकी आदत में कोई सुधार नहीं आया।
अब मेरी मान-मर्यादा भंग हो चुकी थी। हेमंत से एक बार चुदने के बाद मैंने फैसला किया कि दुबारा ये सब नहीं होगा। पर यह ऐसी दलदल है जिसमें एक बार कोई लड़की गिर जाती है तो उसका संभलना मुश्किल हो जाता है।
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ, हेमंत मुझे नई नई साड़ियाँ देने लगा, सजने संवरने के साधन परफ़्यूम, कभी जेवर भी, आदि, कभी होटल में ले जाकर खाना खिलाना, कभी घुमाने ले जाना।
उसकी बीवी मायके में, मेरा पति शराबी, कभी घर आता, कभी नहीं, दोनों को खुली छूट मिल गई, मैं दिल ही दिल में हेमंत को चाहने लगी। पर रमेश आखिर मेरे पति था। मैं हमंत के साथ बदनाम होने लगी, घर पर या बाहर जहाँ भी मौका मिलता, हेमंत मुझे चोद लेता।
हेमन्त से ही मुझे ब्लू फ़िल्म और पोर्न साईट की जानकारी हुई। एक दिन हेमंत और मैं ब्लू फ़िल्म देख रहे थे, सोफे पर बैठे थे हेमंत ने अपना लंड निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया, मैं उसे हिलाने लगी।
उसने मेरा ब्लाउज उतारा और मेरे बूबे चूसने लगा, मेरी चूत सुलगने लगी। धीरे धीरे सारे कपड़े फर्श पर आ गए, हम दोनों के बदन पर एक धागा भी नहीं था, मेरा गोरा बदन चमक रहा था।
हेमंत ने मुझे घोड़ी बना दिया फिर मेरे कूल्हों पर चटाचट हाथ मारे, बोला- मालिनी, तेरे चूतड़ तो बड़े मोटे हैं, जब मैं पीछे से तुझे चोदूँगा तो बड़ा मजा आएगा !
वो घोड़ा बन कर मेरे ऊपर चढ़ गया, पीछे लंड को मेरी चूत पए जमा कर धक्का मारा, लंड चूत में घुसता चला गया, वो कुत्ते के समान कमर हिला कर मुझे चोदने लगा, मैं भी अपनी कमर हिला हिला कर आगे पीछे करने लगी और चुदने लगी।
मेरी पोन्द के ऊपर जब उसका धक्का पड़ता तो थप थप या टप टप की आवाज आती, यह स्टाइल उसे बहुत पसंद था।
इसके बाद जब भी वो मुझे चोदता, घोड़ी जरूर बनाता !
मेरा पसंदीदा स्टाइल यह था कि मैं हेमंत को चित लेटा देती और उसके पेट पर नंगी बैठ जाती। फिर पीछे हट कर उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत में डाल लेती, फिर उचक उचक कर खूब चुदाती।
मुझे दो जवान लण्डों से खेलने का मौका मिल रहा था पर दूर-दूर तक बदनामी हो रही थी, रमेश को भी शक था पर वो कुछ बोल नहीं पा रहा था।
पर मुझे सिर्फ एक बात की चिन्ता थी कि रमेश सुधर नहीं रहा था।
एक दिन की बात है रमेश शराब पी कर रास्ते में गिर गया।
मैं और हेमंत उसे लेने गए, देखा कि उसने बहुत ही ज्यादा पी रखी थी। सड़क पर गिरने से उसे सर व हाथ पर चोट आ गई थी। वो बेहोश था।
मैंने व हेमंत ने उसे उठाया फिर पास के डॉक्टर के पास ले गए। वहाँ से पट्टी करा कर घर लाये तो रात के दस बज रहे थे।
हेमंत ने कहा- मैं बाजार से खाना लेकर आता हूँ, तुम यहीं रमेश के पास रहो !
रमेश को होश नहीं आ रहा था, वो नशे में धुत्त था, मेरे घर में केवल एक रसोई और एक बड़ा कमरा है।
हेमंत खाना लेकर आ गया, हम दोनों हेमन्त के घर गए, दोनों बच्चे वहीं थे, सबने खाना खाया और बच्चों को सुला दिया।
बच्चों के सोने के बाद हेमन्त ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और चूमाचाटी करने लगा। लेकिन मेरा मन अपने पति में पड़ा था, सोच रही थी कि उसे होश आएगा तो अपने को अकेला पाकर क्या सोचेगा। यह सोच कर मैंने हेमन्त को कहा- आज नहीं ! मैं अपने घर जा रही हूँ।
यह कह कर मैं माही को गोद में उठाने लगी तो हेमन्त बोला- इसे यहीं सोने दो ! चलो मैं भी चल कर देखता हूँ कि रमेश की तबीयत कैसी है।
हेमन्त भी मेरे साथ मेरे घर आ गया। घर आकर देखा तो रमेश उसी तरह नशे में धुत्त सोया पड़ा है।
कमरे में बैठे बैठे हेमंत को क्या सूझा कि वो मुझे पकड़ कर चोदने के लिए मनाने लगा।
मैं बोली- रमेश यहीं है।
वो बोला- यह तो नशे में धुत्त है, इसे रसोई में सुला देते हैं, फिर अपन यहाँ कमरे में मस्ती करते हैं।
मैं मना करती रही पर वो नहीं माना, आखिर रमेश को रसोई में डाल कर मैं चुदने के लिए तैयार हो गई। वैसे भी जब रमेश पीकर आता था मैं उसके साथ नहीं सोती थी।
अब हेमंत मेरे करीब आया और खड़े खड़े ही मुझसे चिपक गया।
मैं बोली- जल्दी से काम निपटा कर चले जाओ।
तब हम दोनों बेड पर आ गए। मैं सोच रही थी कि जितने जल्दी हो इसे हल्का कर के यहाँ से निकाल दूँ।
मैंने चित लेट कर टांगें फैला दी पेटीकोट और साड़ी ऊपर कर दी, पेंटी नहीं पहनी थी तो मेरी चूत हेमंत के सामने थी।
पर हेमंत ने उसमें लंड डालने के बजाय मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे निकाल दिया।
मैं नीचे पूरी नंगी हो गई, घबरा कर मैंने कहा- यह क्या कर रहे हो? रमेश यही है।
वो बोला- उसे होश नहीं आएगा, मैं जल्दी ही काम निपटा लूँगा।
वो पेंट और अंडर वियर उतार खड़ा लंड लेकर मेरे ऊपर चढ़ गया, यह लंड मैं कई बार ले चुकी थी।
फिर हेमन्त मेरा ब्लाउज़ खोल कर कर मेरे बूबे दबाने लगा, पीने लगा तो मेरी चूत की आग भड़क गई, मैं भूल गई कि पति रसोई में सोया है, और चुदने के लिए मतवाली हो गई।
वो मेरे ऊपर चिपक गया, फिर हाथ से मेरी पीठ को कस कर पकड़ कर ऐसा पलटा कि मैं ऊपर और वो नीचे हो गया। मैं उस पर बैठ गई फिर अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर कर के उसका लंड अपनी चूत के मुँह पर रखा और बोली- धीरे से डालना !
यह सुन कर वो खुश हो गया। उसका लंड पहले से ज्यादा टाइट हो गया, उसने धीरे से धक्का मारा पर लंड अन्दर जाने के बजाय फिसल गया।
अब उसने अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर चूत पर जमाया और कुछ देर रुक कर अचानक जोर से धक्का मारा, कच से लंड अन्दर हो गया, मेरे मुँह हाय निकली- ओ उ उ उ उ उ उ उ उ… ये क्या कर दिया !
वो बेशर्मी से हंस दिया।
अब उसने लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया, मैं भी गर्म हो चुकी थी, उसके लंड पर अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी, मुझे मजा आ रहा था क्योंकि यह मेरा चुदने का मनपसंद स्टाइल था।
जब मैं काफी चुद चुकी तो हेमंत ने मुझे घोड़ी बना दिया और लंड लेकर मेरे ऊपर चढ़ गया। मेरी पोन्द के नीचे से लंड को चूत के मुँह पर रख कर धक्का मारा, वो मेरी चूत में घुस गया।
धीरे धीरे वो स्पीड बढ़ाता गया। अब मुझे वो कुत्ते की तरह से चोद रहा था। मैं भी अपने चूतड़ हिला कर उसका साथ दे रही थी, मेरा गोरा नंगा बदन दूध की तरह चमक रहा था।
मैं घोड़ी बनी हुई थी, तेजी से आगे पीछे होने के कारण मेरी चूचियाँ लटक कर हिल रही थी, मैं बड़ी जोर से चुदवा रही थी।फचफच लंड अंदर-बाहर हो रहा था, मेरी पोंद पर उसकी टॉप पड़ती तो टप टप… की आवाज आ रही थी, अहह अह्ह्ह की आवाज मेरे मुंह से निकालने लगी, आ..आ… आ… सी सी सी… करके मैं चुद रही थी।
हेमंत का लंड बहुत कड़क हो गया, उसका पानी निकलने वाला था। तभी मेरी नजर रसोई के दरवाजे पर गई, देखा कि रमेश खड़ा था, उसे कुछ कुछ होश था पर नजारा देख कर समझ गया कि मामला क्या है।
मैंने हमंत को ऊपर हटाने की कोशिश की पर वो पूरे ताव में था, वो लंड अन्दर करके मेरे ऊपर हो गया। मेरे पेट को जोर से पकड़ कर खींच लिया। मैं छुट न सकी वो तेजी से धक्का मारने लगा जब तक उसके लंड का पानी पूरी तरह नहीं छुट गया।
मैं अपने पति के सामने चुद गई, रमेश मुझे छुड़ाने आगे आया पर वो नशे के करण गिर गया।
मुझे चोद कर हेमंत चला गया, अब मुझे काटो तो खून नहीं ! रमेश नशे की हालत में मुझे गालियाँ देता रहा- मादरचोद ! छिनाल ! आदि
वो नशे और नीँद में सो गया, पर मुझे रात भर नींद नहीं आई।
सुबह रमेश करीब 10 बजे उठा, उठने के साथ ही झगड़ा शुरू हो गया। उसने लातों और घूंसों से मेरी पिटाई कर दी। मैं किसी को भी शिकायत नहीं कर सकती थी, वो अपनी गोरी सुनक्खी बीवी का दूसरे आदमी से चुदना बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि इतनी सुन्दर और चिकनी बीवी को दूसरा कोई उसकी आँखों के सामने ही चोद दे।
पर हिम्मत बटोर कर मैंने उसे पूरी बात बताई कि कैसे मेरा सम्बन्ध हेमंत के साथ हो गया। उसे इस बात का भी अहसास कराया कि अगर वो घर पर अच्छी तरह ध्यान देता तो यह नौबत नहीं आती, मेरी बर्बादी में उसकी शराब की आदत का भी दोष है।
मैंने उससे यह भी वादा किया कि आगे से मैं हेमंत के साथ सम्बन्ध तोड़ दूँगी, मैंने उसके सामने सर पर हाथ रख कर कसम खाई कि मैं हेमंत से सम्बन्ध तोड़ दूंगी।
रमेश को इस बात का अहसास था कि बात यदि खुलती है तो उसकी की भी बदनामी होगी इसलिए वो बात आगे नहीं बढ़ाना चाहता था।
रमेश अपना ऑटो लेकर चला गया, उसके जाते ही मैंने हेमंत को पत्र लिख कर सारी बात स्पष्ट कर दी तथा उससे सदा के लिए संबंध तोड़ लेने का फैसला उसे सुना दिया।
पत्र पोस्ट करके मुझे बड़ी शांति मिली। पर उस दिन के बाद रमेश बहुत उदास रहने लगा, उसे बहुत अफसोस हुआ कि सब बर्बादी का कारण उसकी शराब और बुरी आदत है। अक्सर वो अकले में रोया करता था।
मैंने एक दिन उससे पूछा तो वो बोला- मेरे कारण तुमने बहुत दुःख उठाए हैं और तुम्हारा पतन भी मेरे कारण हुआ है, मैं इन हालात को सुधारूँगा, मैं माही के सर पर हाथ रख कर कसम खाता हूँ कि आज से शराब और सारी बुरी आदतें त्याग देता हूँ।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हो गई मेरी जिंदगी में नया सवेरा आ गया, शाम को रमेश पूरी कमाई लेकर घर आया।
मैं अब खुश रहने लगी। रमेश सुधर चुका था पर मैं यहाँ बहुत बदनाम हो गई थी इसलिए हम लोगों की इस शहर में कोई वैल्यू नहीं थी।
इसका भी हल जल्दी ही निकल गया, एक दिन रमेश आया और बोला- मुझे बंगलौर में एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई है। कंपनी रहने को फ्लैट भी दे रही है और पैसा भी अच्छा मिल रहा है। 15 दिन बाद हम सब बंगलौर चले जायेंगे।
मैं रमेश से लिपट गई और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
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