Sunday 29 November 2015

एक किरायेदार Hindi English Adult Sex Kamuk Stories

सर्द रात थी, कभी-कभी बाहर हाड़ को कंपा देने वाली बर्फीली हवाएँ पत्तों से टकरा कर रात की नीरवता को चीरती हुई डरावनी शोर उत्पन्न कर रही थी, यह शोर किसी बेबस की चीत्कार सी लग रही थी। यह भयावह शोर मेरे भीतर एक अनजानी सी सिहरन पैदा कर रहा था।

रात का एक बज रहा होगा, मैं कम्प्यूटर पर नेट-सर्फिंग कर रही थी, मुझे नींद भी नहीं आ रही थी। मेरा कमरा बहुत बड़ा है जिसे पापा ने बीच से लकड़ी के तख्तों से दो हिस्सों में विभाजित करवा दिया था एक हिस्सा मेरे पास था, दूसरी ओर एक किरायेदार रमाकांत पाण्डेय रहते हैं, वो हमारे पैतृक गाँव के रहने वाले हैं, वो दो महीने पहले ही हमारे घर पर किरायेदार के तौर पर आये थे। वो 48 वर्ष के हैं और यहाँ अकेले ही रहते हैं, उनका परिवार गाँव में ही है।

कम्प्यूटर को बंद करके जब मैं सोने जाने लगी तो तो मेरी नज़र अचानक लकड़ी वाली दीवार पर गई, तो मैं एकदम से डर गई, वहाँ पर एक काला, मोटा सा सांप जैसा कुछ नजर आया, मैंने डरते हुए नजदीक जाकर देखा तो पता चला कि वो लिंग था, किसी मर्द का पूर्ण उत्थित जननांग ! मैं समझ गई कि यह रमाकांत अंकल का ही हो सकता है।

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रमाकांत अंकल ऐसे होंगे। लकड़ी की दीवार में एक छेद है, जो लकड़ी की गाण्ठ निकल जाने से हो गया था, छेद को बंद करवाने की कभी जरूरत महसूस नहीं हुई थी।
मैं सहमते हुए उस लिंग के और नजदीक गई क्योंकि अब मेरा डर उत्सुकता में बदल गया था।

अंकल का लिंग अविश्वसनीय रूप से मोटा और काफी लम्बा था, लिंग एकदम गुस्सैल नाग की तरह फुफकारता हुआ, हिलता हुआ दिख रहा था। लिंग का सुपारा अत्यंत ही फ़ूला हुआ दिख रहा था, सूजा हुआ ऐसा लग रहा था। इतने विशाल, एकदम काले लिंग को देख कर मेरी चूत के दोनों ओंठ डर के मारे थरथर काँपने लगे, उसके घने बाल सिहरन के मारे एकदम झनझना कर खड़े हो गये, योनि से कुछ चिकना सा निकलने लगा।

फिर मैंने डरते हुए उस लिंग हल्के से स्पर्श किया, फिर डर थोड़ा कम हुआ तो मैंने उसको अपने हाथों से पकड़ लिया, वह विशाल लिंग मेरे हाथ के स्पर्श के बाद और भी मोटा और सख्त हो गया था, लिंग को पकड़ने में मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था।

फिर मैंने उत्सुकतावश लिंग के सुपारे के आवरण को हटाया तो मैं एकदम से डर गई क्योंकि वो एक अंडे जितना बड़ा था। इतना बड़ा सुपारा तो मैंने ब्लू-फिल्मों में भी नहीं देखा था। उसके छेद से कुछ चिकना सा तरल पदार्थ निकल रहा था, जिसे मैंने छू कर देखा तो मुझे वो चिपचिपा सा लगा।

यह सब करते हुए मेरे दिल की धड़कन एकदम से तेज हो गई, और गर्म सांसें चलने लगी थी, मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया, पैन्टी एकदम गीली हो गई थी।

अंकल के लिंग का अत्यंत विशाल सुपारा मुझे दिखने में बहुत ही प्यारा लग रहा था तो मैंने हिम्मत करते हुए सुपारे पर अपने गुलाबी, नाजुक होठों से एक चुम्बन ले लिया। मेरे चुम्बन लेने से लिंग का आकार और भी दैत्याकार हो गया।

ऐसा करने से मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई थी, मैंने अंकलजी के मोटे सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, चाटने से उनके लिंग से कुछ चिकना सा निकलने लगा था, जिसे मैं चाट गई फिर मैंने उसे थोड़ा सा मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, अत्यंत मोटा होने के कारण मैं उसे मुँह में ले ही नहीं पा रही थी।
तभी एक झटके से विशाल सुपारा मेरे होंठों को चीरते हुए मेरे मुख में घुस गया, मुँह में घुसने के बाद मैं उसे बहुत प्यार से अपनी जीभ से सहलाने लगी। थोड़ी देर के बाद फिर एक हल्का सा धक्का आया और आधा लिंग मेरे मुँह में घुस गया, इतने मोटे लिंग को मुझे अपने मुँह में लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी, लेकिन मैं उसे किसी तरह से चूस रही थी।

लिंग चूसते समय अनायास ही मेरा हाथ मेरी पैंटी में घुस कर अत्यंत घने बालों वाली योनि की फाँकों को सहलाने लगा था। करीब 10 मिनट तक चूसने के बाद उस लिंग ने मेरे मुँह में एक गर्म सी मलाई छोड़ दी, वैसे तो यह मेरा प्रथम अनुभव था परन्तु वो कहते हैं ना कि ‘शादी नहीं हुई तो क्या, बारातें तो बहुत देखी हैं !’ मैंने बहुत सी ब्ल्यू फ़िल्में देख रखी थी, और अन्तर्वासना की कहानियाँ तो हर रात मेरी हमबिस्तर होती थी, गर्म-गर्म मलाई का स्वाद मुझे कुछ अजीब सा लगा, मितली होने को भी हुई पर उसे मैं यौनामृत समझ कर पी गई।
अगले दिन सुबह जब मैं रमाकांत अंकल से मिली तो उन्होंने मुझसे इस तरह से बात की कि जैसे बीती रात कुछ भी नहीं हुआ था। सुबह ही मेरे मम्मी-पापा मुजफ्फरपुर चले गए क्योंकि आज वहाँ मेरे दादाजी के हर्निया का ऑपरेशन होने वाला था, घर में केवल मैं और निशा भाभी थी, भैया अपने ऑफिस के काम से दिल्ली गए हुए थे।

दिन भर मैं रात होने का इंतज़ार करने लगी, मेरे ध्यान में रमाकांत अंकल का मोटा लिंग आते ही मेरी मासूम योनि में कम्पन शुरू हो जाती और योनिरस निकलने लगता, दिन में तीन बार मैं अपनी पैंटी बदल चुकी थी।
रात करीब 10 बजे जब मैं अपने कमरे में आई तो मेरी नजर सबसे पहले उसी छेद पर गई, वहाँ पर सामान्यतः दिखने वाली रोशनी नहीं थी, मुझे लगा कि उस पार कोई है छेद के पास !इसका मतलब यह था कि छेद से अंकल मुझे देख रहे थे। परन्तु मैंने अपनी सामान्य गतिविधी जारी रखी, मैंने अपने सोने वाले वस्त्र पहनने थे तो मैं एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी। मैं जानबूझ कर छेद के सामने चली गई और अंकलजी को अच्छे से अपने नंगे जिस्म को दिखाने लगी, इतने में अंकलजी ने उस छेद से अपने सख्त लिंग को बाहर निकाल दिया, जिसे देखकर मेरे शरीर में जैसे एकदम से करंट दौड़ गया हो।

मैं छेद के पास जाकर अंकल का लिंग पकड़ कर उसे बेतहाशा चूमने लगी फिर उसका सुपारा को खोल कर उसपर अपने होठों की एक गर्मा-गर्म छाप दी, उसे अपनी मुट्ठी में भींच कर आगे-पीछे करने लगी।
फिर मैं अंकल के लिंग को अपने जीभ से चाटने लगी। लिंग को चाटने से रह-रह कर मेरी चूत के दोनों कोमल ओंठ एकदम फड़कने लगे। मैं अंकल का लिंग अपने मुंह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगी। दीवार के दूसरी ओर से भी अंकल की सिसकारियाँ स्पष्ट सुनाई दे रही थी।

अब मैं इससे आगे कुछ करना चाह रही थी, मैंने अपने बिस्तर को उस लकड़ी की दीवार से सटा दिया और मैं दीवार के सामने अपनी टांगों को फैला कअर इस तरह बैठ गई कि अब अंकल का लिंग और मेरी योनि एकदम आमने-सामने थी। मैंने अपनी योनि की दोनों होंठों को चीर के उसे अंकलजी के लिंग पर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी तो मेरी योनि से योनिरस निकलने लगा।

अब मैंने अपनी 4 इंच लम्बी दरार वाली योनि को एकदम से चीर के अपनी चूत की छेद को अंकल के भीमकाय सुपारे पर एकदम से सटा कर उसे रगड़ने लगी, फिर मैंने थोड़ा ताकत लगा के उसे अपनी योनि में समाने का प्रयास किया परन्तु सुपारे का आकार बड़ा होने कारण अन्दर नहीं घुस पाया, मैंने 3-4 बार थोड़ा और ताकत लगा के प्रयास किया लेकिन हर प्रयास असफल ही गया।

उस समय मुझे लग रहा था कि कैसे मैं अंकलजी का पूरा लिंग अपने चूत में पूरा समा लूँ। उत्तेजना से मेरी पूरी जिस्म एकदम गर्म हो चुका था। तभी अंकल ने छेद से अपना लिंग निकाल लिया और छेद के पास अपना मुँह लाकर बोले- बेटी पायल, कान यहाँ लगा कर मेरी बात सुनो !

जब मैं अपना कान वहाँ पर ले गई तो अंकल ने कहा- पायल, मेरा लिंग बीमारी के कारण अत्यंत मोटा हो गया है, यह अब ऐसे तुम्हारी चूत में ऐसे नहीं घुसेगा। तुम अपनी योनि में ढेर सी वेसलीन लगा कर घोड़ी बनकर छेद में अपनी योनि को सटा दो। इस तरह से तुम्हारी योनि में मेरा लिंग घुस जायेगा।

फिर मैंने अपनी चूत में ढेर सारी वेसलीन लगा ली और छेद के आगे चूतड़ लगा कर घोड़ी बन गई।
फिर अंकल ने कहा- जब मैं अपना लिंग अन्दर घुसाऊंगा तो तुम्हें शुरू में दर्द होगा पर तुम जरा भी चिल्लाना नहीं, अपनी दाँत पर दाँत चढ़ा के अपना जबड़ा एकदम से भींच लेना, थोड़ी देर ही दर्द होगा, बाद में आनन्द आना शुरू हो जायेगा।

इसके बाद मैं घोड़ी बनकर छेद के पास अपनी चूत को एकदम से सटा दिया। फिर मेरी अत्यंत कसी हुई के चूत के दोनों पंखुड़ी जैसे कोमल ओठों को फैलाता हुआ अंकल का बेरहम सुपारा जैसे ही मेरी चूत में घुसा, मेरे मुँह से अचानक उईईई ईईईई माँ की चीख निकल गई।

तभी मैंने अंकल को बोला- अंकलजी, मुझे बहुत ही दर्द हो रहा है, आप जल्दी से अपना लिंग बाहर निकाल लो।

यह सुनकर अंकल एकदम घबरा गए और उन्होंने अपना लिंग बाहर निकलने का प्रयास किया परन्तु उनका लिंग बाहर नहीं निकला। लिंग का सुपारा मेरी तंग योनि में बुरी तरह फँस चुका था और अंकलजी के बहुत प्रयास करने के बाद भी निकल नहीं पा रहा था। मेरे तो होश ही एकदम उड़ गए थे, मेरी चूत में दर्द भी बहुत हो रहा था।
अब इस आफत की घड़ी में किसी की मदद भी नहीं ले सकती थी, तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि घर में तो मम्मी-पापा तो हैं नहीं, घर में तो केवल निशा भाभी है, भैया तो अपने ऑफिस के काम से दिल्ली गए हुए हैं।

सोचा कि अभी मुसीबत की घड़ी में भाभी से मदद ले लेती हूँ फिर भाभी से मैं और अंकलजी माफ़ी मांग लेंगे।
मेरा मोबाइल मेरे सामने ही था, मैंने भाभी को फ़ोन करके बोला कि भाभी अभी मैं एक बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गई हूँ, आप जल्दी से मेरे रूम में चली आओ।

भाभी ने ज्यों ही मेरे कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ का नजारा देख कर एकदम सन्न रह गई।
मैंने भाभी से कहा- भाभी,म आप चाहे बाद में मुझे कितना भी डांट लेना या पीट लेना लेकिन अभी मेरी मदद कर दो, आप अभी पीछे के कमरे में जाकर के रमाकांत अंकल से मेरी चूत में फँसा उनका लिंग निकालने का कोई उपाय पूछो।

भाभी जब अंकलजी के कमरे में गई तो अंकलजी ने गिड़गिड़ाते हुए भाभी से माफ़ी मंगाते हुए कहा- निशा बेटी, मुझे माफ़ कर दो।

तब भाभी ने गुस्से में कहा- माफ़ी आप बाद में माँगिएगा, पहले आप पायल की चूत में फंसा हुआ आपका वो निकालने का उपाय बताइये।

तो अंकल ने कहा- बहू, तुम पायल की कमर को पकड़ के थोड़ी ताकत लगाते हुए उसे मेरे लिंग की ओर धकेलना और जब मेरा पूरा लिंग उसकी योनि में घुस जायेगा तो तुम उसकी कमर को पकड़ के उसे आगे-पीछे करना, इससे थोड़ी देर में मेरा स्खलन हो जायेगा और मेरा लिंग छोटा होकर बाहर निकल जायेगा।

भाभी मेरे कमरे में चली आई, पहले उसने अंकल का मोटा लिंग को पकड़ के उसे छुड़ाने का प्रयास किया तो मेरी योनि में और भी दर्द होने लगा तो भाभी ने ऐसा करना छोड़ दिया फिर उसने मेरी पतली कमर को पकड़ के उसे लिंग की ओर धकेलने का प्रयास किया।

तो घप्प से अंकलजी का पूरा लिंग मेरी योनि के अन्दर तक घुस गया, मैं दर्द से एकदम चिल्ला उठी तो भाभी ने कहा- थोड़ा बर्दाश्त करो पायल।

उधर से अंकलजी ने कहा- शाबाश बेटी निशा, इसी तरह से धीरे-धीरे प्रयास करते रहो। तुम पायल की कमर को पकड़ के उसे धीरे-धीरे आगे-पीछे करो।

फिर भाभी ने मेरी पतली कमर को पकड़ के उसे अंकल के रॉड के आगे-पीछे पिस्टन की तरह करने लगी मेरी अत्यंत कसी हुई चूत की मांसपेशियों ने अंकल के गधे जैसे लिंग को एकदम दबोच रखा था।

भाभी मेरी नाजुक कमर को पकड़ के उसे लयबद्ध तरीके से आगे-पीछे कर रही थी। मेरे मुँह से दर्द और आनंद की मिली-जुली कराह निकल रही थी। थोड़ी देर के बाद मेरा दर्द कम हो गया और मुझे आनन्द की अनुभूति होने लगी।

भाभी मेरी कमर को पकड़ कर उसे खूब जोर-जोर से आगे-पीछे कर कर रही थी, कमरे में फच-फच की भद्दी सी आवाज़ चारों तरफ फ़ैल रही थी और उधर से अंकल की आनन्द भरी कराहट भी सुनाई पर रही थी।
भाभी ने मुझसे पूछा- पायल, चुदवाने में अब तुम्हें कोई दर्द महसूस नहीं न हो रहा है?

तो मैंने कहा- भाभी अब बिल्कुल दर्द नहीं हो रहा है, अब अच्छा लग रहा है।

ये सब देखते हुए लग रहा था कि भाभी भी बहुत उत्तेजित हो गई थी।

अब मैं खुद अपने नितम्ब आगे-पीछे करने लगी तो भाभी ने मेरी कमर को छोड़ दिया। मुझे अपनी चूत चुदवाने में इतना ज्यादा आनंद आ रहा था, जिसे मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती।

जब मैं अपनी नितम्ब को आगे-पीछे कर रही थी तो भाभी अंकल के कमरे में चली गई और उनसे बोला- अंकलजी, 10 मिनट हो गये हैं और अब और कितनी देर में आपका फॉल होगा?

तो अंकल ने कहा- बेटी, पायल की चूत तो अत्यंत ही कसी है, स्खलन तो अब तक हो जाना चाहिए था, अगर तुम थोड़ी मेरी मदद करोगी तो जल्द ही फॉल हो जाएगा।

निशा ने कहा- कैसी मदद चाहिए, अंकलजी?

तो अंकल ने- बहू, अगर अभी तुम मेरी अंडकोष को अपनी हाथों से सहलाओगी तो मेरा माल जल्द ही गिर जाएगा।

निशा भाभी भी मेरी चुदाई देखकर उत्तेजित हो गई थी, फिर भाभी ने शरमाते हुए अंकल के अंडकोष अपने गोरे-गोरे, नाजुक हाथों से सहलाने लगी।

भाभी के अंडकोष सहलाने के कारण अंकल को अत्यधिक उत्तेजना मिलने लगी। अंकल के अंडकोष को सहलाते हुए भाभी ने कहा- अंकली, आपके अंडकोष तो मेरे पति से बहुत बड़े हैं।
तो अंकल ने कहा- बेटी, मेरा लिंग बहुत ही बड़ा है इसलिए मेरे अंडकोष भी बड़े हैं।

फिर अंकल ने बोला- अच्छा बताओ बेटी, मेरे और तुम्हारे पति के तुलना में किसके अंडकोष ज्यादा सुन्दर हैं?
भाभी- अंकलजी, आपके अंडकोष ज्यादा सुन्दर हैं, बहुत प्यारे हैं दिखने में।

यह सुनकर अंकल ने कहा- बेटी निशा, एक बात बताओ, हम लोग हर सुन्दर और प्यारे चीज़ को चूम लेते हैं ना?

निशा- हाँ अंकलजी।

अंकल- तो फिर तुम मेरे अंडकोष भी चूमो ना, तुमने अभी इसे सुन्दर और प्यारा कहा है।
यह सुनकर भाभी का गोरा चेहरा शर्म से लाल हो हो गया।

अंकल- शर्माओ मत बेटी, जल्दी से किस करो तो मेरा फॉल भी जल्दी हो जायेगा।

फिर भाभी ने शर्माते हुए अंकल की टांगों के बीच उनके पीछे से घुस कर अंडकोष अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उस पर अपने नाजुक गुलाबी होठों से एक चुम्बन लिया।

अंकल ने कहा- बेटी, इस पर अपने होठों को रगड़ो तो मेरा जल्द ही फॉल हो जायेगा।

ऐसा सुनकर भाभी ने अंडकोष को पकड़ कर उसे अपने गुलाबी होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया, होठों पर गोली रगड़ने के कारण गोली गीली होकर भाभी के मुँह में घुस गई तो अंकल ने कहा- अपने मुँह से मत निकालना बेटी, गोली को चूसती रहो तो मेरा जल्दी ही फॉल हो जायेगा।

अपनी गोलियाँ चुसवाने में अंकल को असीम आनन्द आ रहा था। थोड़ी देर अंकल ने कहा- बेटी मेरी दोनों गोलियों को लेकर अपने मुँह में लेकर जल्दी से चूसो क्योंकि अब मेरा जल्द ही फॉल होने ही वाला है।
ऐसा सुनकर भाभी दोनों गोलियों को अपने मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी, इसके थोड़ी देर के बाद मेरे गर्भाशय पर गर्म-गर्म वीर्य की बौछार होने लगी।

अंकल का फॉल होते देख भाभी अंकल के कमरे से तुरंत निकल कर मेरे कमरे में आ गई। इतने तगड़े लंड से जबरदस्त चुदाई के बाद मैं एकदम थक गई थी और अपने बिस्तर पर निढाल पड़ी थी। भाभी भी सामने कुर्सी पर चुपचाप बैठी थी।

इतने में मेरे कमरे में रमाकांत अंकल आकर निशा भाभी के पैर पकड़ लिए और गिड़गिड़ाते हुए माफ़ी माँगने लगे तो भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, इस बार मैं आपको माफ़ कर देती हूँ पर आप आगे से ऐसा गलत काम पायल के साथ नहीं करेंगे।

अंकल- थैंक यू बेटी निशा, अब मैं आगे से ऐसा कोई गलत काम नहीं करूँगा।

अंकल- थैंक यू बेटी निशा, अब मैं आगे से ऐसा कोई गलत काम नहीं करूँगा।

फिर निशा भाभी ने अंकलजी से कहा- अंकलजी, मैं तो आपका इतना बड़ा लिंग देख के एकदम से डर गई थी, अभी तक मैं डर से सहमी हुई हूँ, मेरे पति से आपका लिंग दुगना लम्बा और दुगना मोटा है।

अंकल- बेटी, मेरे लिंग में बीमारी होने के कारण यह 10 इंच लम्बा और अत्यधिक मोटा हो गया है। पहले तो यह केवल 7 इंच लम्बा था।

अंकल ने महसूस किया कि निशा उनके लिंग की बातों में दिलचस्पी ले रही है।

फिर रमाकांत अंकल ने कहा- बेटी निशा, मेरा लिंग कोई साँप थोड़े न है जिसे देख कर तुम डर गई, लो अभी मैं तुम्हें अपना लिंग दिखा कर तुम्हारा डर समाप्त कर देता हूँ।

यह बात सुनकर भाभी शर्म से लाल हो गई और बोली- नहीं अंकलजी, उस समय तो मैंने मजबूरी में आपका लिंग देख लिया था पर अभी देखने में शर्म आएगी।

अंकल ने निशा को फुसलाते हुए कहा- डरो नहीं बेटी, एक बार देख लो, अगर तुम्हें देखने में अच्छा नहीं लगेगा तो मैं तुरंत बंद कर लूँगा।

निशा भाभी ने शरमाते हुए, सकुचाते हुए बोला- ठीक है अंकलजी, दिखाईये।

निशा भाभी की भैया के साथ शादी अभी दो महीने पहले ही हुई है। भाभी एकदम गोरी और अत्यधिक सुन्दर है, भाभी की जिस्म तो एकदम छरहरा है पर उनके उरोज और नितम्ब शरीर के अनुपात में अत्यंत बड़े हैं। कोई भी उनकी ओर देख के तुरंत आकर्षित हो जाता है।

भाभी की हाँ सुनते ही रमाकांत अंकल का लिंग उनके लुंगी के अन्दर खड़ा हो गया था। अंकल ने ज्योंही अपनी लुंगी खोली तो उनके 10 इंच लम्बा लपलपाते हुए लिंग को भाभी हक्की बक्की हो कर के विस्फरित नज़रों से देखने लगी।

भाभी अंकलजी का फनफनाया हुआ गधे जैसा लिंग देख के एकदम सिहर उठी। वो बहुत गौर से अंकल का लपलपाता हुआ लिंग देखने लगी। अंकल भाभी को गर्म होते देख कर भाभी से कहा- डरो नहीं बहू, लिंग को पकड़ कर देखो, इससे तुम्हारा डर ख़त्म हो जायेगा।
भाभी ने सकुचाते हुए अपने कोमल, नाजुक हाथ से अंकल का गधा जैसा मोटा लिंग पकड़ लिया। भाभी का हाथ अंकल के लिंग पर पड़ते ही उसका आकार और भी बड़ा हो गया।
फ़िर भाभी ने कहा- अंकलजी, यह तो बहुत ही मोटा है। मेरे पति का लिंग तो इसके तुलना में बहुत पतला है।

अंकल- बेटी, तुम्हे अब डर नहीं ना लग रहा है?

भाभी- नहीं अंकलजी, अब डर नहीं लग रहा है।

अंकल- बेटी, अभी तुम्हें मेरा लिंग पकड़ने में कैसा लग रहा है?

भाभी ने उत्सुकतावश अंकल से पूछा- अंकलजी, जरा अपने लिंग की टोपी खोल के दिखाओ तो, मुझे खोलने में शर्म लग रही है।

अंकल- शर्माओ मत बेटी, तुम खुद इसे खोल के देख लो।

फिर भाभी ने अंकल के लिंग की टोपी खोला तो उनके अंडे जितने बड़े सुपारे को देख कर अचंभित होकर बोला- ओ, माई गॉड ! यह तो किसी भी लड़की की योनि को एकदम से फाड़ देगा, पता नहीं पायल ने इसे कैसे बर्दाश्त कर लिया?

अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा- ऐसी बात नहीं है बेटी, क्या पायल की चूत फटी? मोटे लिंग से सम्भोग करवाने से किसी भी स्त्री को अत्यधिक आनन्द आता है।

भाभी- ना बाबा ना, इतने मोटे लिंग से तो मैं सम्भोग करवाने के बारे में सोच भी नहीं सकती हूँ।

अंकल- अरे बाबा, मैं तुम्हें मुझसे कोई सम्भोग करवाने को थोड़े न बोल रहा हूँ, मैं तो केवल तुम्हारा डर ख़त्म करना चाहता हूँ।

तभी भाभी ने देखा कि अंकल के लिंग के छिद्र से कुछ चिकना सा निकल रहा है तो अंकल से पूछा- अंकलजी, ये आपके लिंग के छिद्र से ये चिकना सा क्या निकल रहा है?

अंकल- बेटी, इस चिकनाई के कारण योनि में लिंग सुगमता से प्रवेश कर जाता है, कसी हुई भी योनि में जरा भी दर्द नहीं होता है। अंकल- बेटी इस चिकनाई को चाट कर देखो यह तुम्हें अत्यंत ही स्वादिष्ट लगेगा।
भाभी- अंकलजी, चाटने से कोई बीमारी नहीं न हो जाएगी?

अंकल- नहीं बेटी बिल्कुल नहीं कुछ होगा, ये चिकनाई तो प्रोटीन से भरी एक अत्यंत ही स्वास्थवर्धक चीज़ है।
ऐसा सुनकर भाभी अंकल के सुपारे पर लगी चिकनाई को अपने जीभ से चाटने लगी। भाभी के सुपारे चाटने से अंकल का सुपारी और भी बड़ा हो गया था।

अंकल- बेटी, सुपारा को चाटने के बजाय उसे अपनी मुँह में लेकर चूसो तो चिकनाई तुम्हारे मुँह में अच्छे से जायेगी।

भाभी- पर अंकल, आपका सुपारा तो अत्यंत ही बड़ा है, ये मेरे मुँह में नहीं जा पायेगा।

अंकल- पायल, इसे अपने मुँह में लेकर चूस चुकी है, यह अन्दर चला जायेगा बेटी।

ऐसा सुनकर भाभी अंकल का मोटा सुपारा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

अंकल- बहु, सुपारी चूसने में कैसा लग रहा है?

भाभी ने अपने मुँह से सुपारी निकाल कर बोला- अंकलजी, बहुत अच्छा लग रहा है !

तो अंकल ने कहा- बेटी, मेरे पूरे लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसो तो तुम्हें और भी अच्छा लगेगा।

ऐसा सुनकर भाभी अंकल का 10 इंच लम्बा लिंग अपने पूरे मुँह में लेकर चूसने लगी, और इधर अंकल ने धीरे से भाभी के बड़ी-बड़ी, कसी हुई चूचियों को अपने दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया।

भाभी भी पूरी मस्ती में आ गई थी इसलिए उसने कुछ नहीं बोला। फिर अंकल ने भाभी की चूचियाँ दबाना छोड़ कर भाभी की बालों को पीछे से पकड़ कर उसके मुँह में अपने लिंग को अन्दर-बाहर करने लगे, वो भाभी की मुँह को चूत की भांति चोद रहे थे। ऐसा करने से भाभी को थोड़ा दर्द होने लगा तो भाभी ने अपना मुँह लिंग से बाहर निकाल लिया।

थोड़ी देर सुस्ताने के बाद अंकल ने कहा- बेटी, तुम्हारी योनि कसी हुई है या खुली हुई है?

भाभी- मुझे इस बारे में कोई आईडिया नहीं है अंकलजी।

अंकल- ठीक है बेटी, अभी अपनी योनि को मुझे दिखाओ तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम्हारी योनि कसी हुई है या खुली हुई है।

भाभी- मुझे अपने कपड़े खोलने में शर्म आ रही है अंकलजी, आप खुद ही मेरे कपड़े खोल के मेरी योनि को देख लीजिये।

फिर क्या था, अंधे को जैसे दो आँखें मिल गई हो, अंकल ने पहले भाभी की साड़ी को खोला फिर पेटीकोट को खोल दिया, फिर ब्लाउज को खोल दिया।

अब भाभी केवल ब्रा और पैंटी में थी। अंकल भाभी के ब्रा और पैंटी में उनके गदराये हुए गोरे-गोरे जिस्म को देख करके एकदम सन्न रह गये, और अपने लिंग को आगे-पीछे हिलाने लगे।

भाभी- अंकलजी, मुझे ब्रा और पैंटी में देख कर आप अपने लिंग को क्यों हिला रहे हैं?

अंकल- बेटी, तुम्हारे इतने सुन्दर जिस्म को देख के मैं अपने आपको नियंत्रित नहीं कर पा रहा हूँ।
भाभी- अंकलजी, मुझे आपके इरादे नेक नहीं लग रहे हैं, कहीं आप मेरे साथ सम्भोग करने को तो सोच नहीं रहे हैं।

अंकल- नहीं बेटी, मुझे गलत मत समझो, मैं तो केवल तुम्हारी योनि का निरीक्षण करना चाहता हूँ।

भाभी- ठीक है अंकलजी, कीजिये।

फिर अंकल ज्यों ही भाभी का पैंटी खोलने लगे तो भाभी ने शर्म से अपनी हाथों से अपने चेहरे को छिपा लिया। पैंटी उतारने के बाद रमाकांत अंकल भाभी की गोरी-गोरी, बिना बालों की एकदम चिकनी और एकदम पाव की तरह फूली हुई चूत को देख कर उनकी आँखें एकदम फटी की फटी रह गई।

अंकल ने भाभी के कोमल योनि को सहलाते हुए बोला- बेटी, तुम्हारी योनि तो अत्यंत ही सुन्दर है, तुम्हारा पति तो अत्यंत ही भाग्यशाली व्यक्ति है।

अंकल के योनि सहलाने से भाभी के जिस्म में एकदम करंट सा दौड़ गया।

फिर भाभी ने कहा- अंकलजी, अब आप मेरी योनि को देख के बताईये कि यह कसी हुई है या खुली हुई है?

अंकल- बेटी, ऐसे देखने से पता नहीं चलेगा, तुम्हे बिस्तर पर लेटा कर तुम्हारी योनि को चीर के देखना पड़ेगा।
ऐसा कह कर अंकल ने भाभी को अपने दोनों हाथों से उठा के बिस्तर पर लेटा दिया और फिर भाभी की दोनों टांगों को एकदम से फैला दिया।

फिर अंकल ने भाभी के योनि के दोनों फांकों के चीर के देखा, बीच का भाग एकदम गुलाबी था फिर अंकल ने भाभी की चूत को सूँघ करके उसकी मादक खुशबू को लिया फिर उसे चूम लिया।

भाभी- अंकलजी, अपने मेरी योनि पर चुम्बन क्यों लिया?

अंकल- बेटी, किसी सुन्दर चीज़ का चुम्बन लेना कोई अपराध है क्या? मैं तुम्हारे साथ सम्भोग थोड़े न कर रहा हूँ।

भाभी– ओ के, अंकलजी !

फिर अंकल ने भाभी के पाव जैसे फ़ूली हुई योनि को अपने दोनों हाथों से चीर के उसके बीच के गुलाबी भाग को अपने जीभ से कुत्ते की तरह चाटने लगे, इधर भाभी के मुँह से आनन्द भरी सिसकारी निकलने लगी।
अंकल के भाभी के चूत को चाटे जाने से भाभी की चूत से मलाई निकलना शुरू हो गया, जिसे अंकल प्यार से चाट-चाट कर खाने लगे। भाभी की मुँह से सी-सी की आवाज़ निकल रही थी।

थोड़ी देर के बाद भाभी ने अंकल से कहा- अंकलजी, अब जल्दी सा मेरी चूत का निरीक्षण करके बतलाइये कि मेरी चूत कसी हुई है या ढीली है?

यह सुनकर अंकल ने चूत की मलाई खाना छोड़ कर भाभी की दोनों टांगों को फैला कर उनकी चूत को चीर कर उसका निरीक्षण करने लगे।

थोड़ी देर के बाद अंकल बोले- बहू, ऐसे तुम्हारी चूत को चीर कर देखने से पता नहीं चल रहा है, तुम्हारी चूत के छेद पर पर मुझे अपने लिंग का सुपारा को रगड़ कर चेक करना पड़ेगा।

भाभी- ठीक है अंकलजी, पर मेरी चूत के अन्दर आपका लिंग नहीं जाना चाहिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अंकल- नहीं बेटी बिल्कुल अन्दर नहीं जायेगा, मैं पूरी सावधानी बरतूँगा।

ऐसा बोल कर अंकल ने भाभी के चूत के दोनों गुलाब की पँखुरी जैसे ओठों को फैला कर अपने लिंग का सुपारा को रगड़ने लगे। अंकल भाभी के चूत के पूरी फाँक पर ऊपर से नीचे तक अपने सुपारे को रगड़ रहे थे।

भाभी भी मस्ती में आकर आह-ऊहह करने लगी। भाभी को मस्ती में आया देखकर के अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, केवल रगड़ने से कुछ पता नहीं चल रहा है, तुम्हारी चूत में केवल अपना सुपारा घुसा के चेक करूँ क्या? मैं तुम्हें चोदूँगा नहीं।

भाभी- ठीक है अंकलजी, पर मेरी चूत के अन्दर आपका लिंग नहीं जाना चाहिए।

अंकल- नहीं बेटी बिल्कुल अन्दर नहीं जायेगा, मैं पूरी सावधानी बरतूँगा।

ऐसा बोल कर अंकल ने भाभी के चूत के दोनों गुलाब की पँखुरी जैसे ओठों को फैला कर अपने लिंग का सुपारा को रगड़ने लगे। अंकल भाभी के चूत के पूरी फाँक पर ऊपर से नीचे तक अपने सुपारे को रगड़ रहे थे।

भाभी भी मस्ती में आकर आह-ऊहह करने लगी। भाभी को मस्ती में आया देखकर के अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, केवल रगड़ने से कुछ पता नहीं चल रहा है, तुम्हारी चूत में केवल अपना सुपारा घुसा के चेक करूँ क्या? मैं तुम्हें चोदूँगा नहीं।

ऐसा सुनकर भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, पर आप अपना लिंग सुपारे से ज्यादा आगे मत घुसाना।

फिर अंकल ने भाभी की टांगों को फैला दिया और उससे कहा- बहू, अपनी चूत को जरा अपनी दोनों हाथों से चीरों क्योंकि तुम्हारा छेद अत्यंत तंग लग रहा है।
ऐसा सुनकर भाभी ने अपनी दोनों हाथों से अपनी चूत को चीर के उसे फैला दिया, फिर अंकल ने भाभी की चूत में उंगली घुसा के उसकी थोड़ी सी मलाई निकली और अपने भयंकर सुपारा पर लगाया।

फिर अंकल ने भाभी की चूत पर अपना सुपारा रख के उसे धकेला तो सुपारी भाभी की कसी हुई चूत में नहीं घुसा तो अंकल ने भाभी के चूतड़ को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़े जोर से धक्का दिया तो अंकल का विशाल सुपारा भाभी की चूत की दोनों कोमल होठों को बेरहमी से रौंदता हुआ अन्दर घपाक से घुस गया और दर्द के मारे भाभी के मुँह से उईईईइ माँ की आवाज़ निकल पड़ी।

अंकल ने कहा- बेटी, डरो नहीं, अब और दर्द नहीं होगा।

ऐसा बोलकर अंकल भाभी के नाजुक चूत में धीरे-धीरे अपना सुपारा अन्दर-बाहर करने लगे।
भाभी की छोटी सी तंग चूत में घुसा हुआ अंकल का विशाल सुपारा का नजारा देखने में बहुत अजीब सा लग रहा था, लग रहा था जैसे कि भाभी की चूत फट जाएगी। अंकल का सुपारा अन्दर-बाहर हो रहा था और भाभी कराहें ले रही थी।

फिर थोड़ी देर के बाद भाभी की कराहट सिसकारी में बदल गई, लग रहा था कि भाभी को अब मजा आने लगा था। थोड़ी देर के बाद भाभी ने मस्ती में अपने चूतड़ को थोड़ा ऊपर उठा दिया तो अंकल का थोड़ा सा लिंग और अन्दर घुस गया।

भाभी की चूतड़ को ऊपर उठाते देख कर अंकल समझ गए कि निशा पूरी मस्ती में आ गई है अब यह मेरा पूरा लंड खा जाएगी।

फिर अंकल ने सोचा कि इस तरह उसकी चूत में पूरा लिंग घुसाने से कहीं वो मुझ पर चोदने का कोई इल्ज़ाम न लगा दे अतः अंकल ने कहा- बेटी, ऐसे मुझे तुम्हारी चूत का निरीक्षण करने में दिक्कत हो रही है इसलिए मैं बिस्तर पर लेट जाता और तुम मेरे लिंग पर बैठ कर अपनी योनि में केवल मेरा सुपारा घुसा के उसे अन्दर-बाहर करना तो मुझे तुम्हारी चूत के बारे में अच्छा से पता चल जायेगा।

निशा भाभी की वासना जागृत हो चुकी थी, भाभी बिस्तर से खड़ी हुई और अपनी चूचियों को ब्रा से आजाद कर दिया। अंकल भाभी के बड़े-बड़े, सुडौल चूचों को देख कर एकदम दंग रह गये।

भाभी जब बाथरूम जाने के लिए मुड़ी तो उसके अत्यन्त बड़े नितम्बों को देख कर अंकल के दिल धड़कन अचानक बढ़ गई।

भाभी जब बाथरूम से आई तो अंकल ने कहा- बेटी, चूचियों को दबाने से चूत का मुँह थोड़ा फ़ैल जाता है, जिससे चूत में आसानी से लिंग के सुपारे का प्रवेश हो जायेगा।

यह सुनकर भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, आप मेरी चूचियों को दबा लीजिये पर इसे आप ज्यादा जोर से मत दबाइयेगा क्योंकि ये बहुत ही टाइट हैं, जोर से दबाने से दर्द होने लगता है।

अंकल- ठीक है बेटी, आराम से दबाऊंगा।

फिर अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, तुम अपने चूतड़ों की दोनों फाँकों को फैला कर मेरे गोद में मेरे लिंग पर बैठ जाओ, फिर मैं तुम्हारी चूचियों को दबाऊँगा।

ऐसा सुनकर भाभी अपने विशाल चूतड़ों को चीर कर उसे अंकल के मोटे लिंग पर रखकर गोद में बैठ गई। अब अंकल आगे अपने हाथ बढ़ा कर भाभी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया, उनके निप्पलों को चुटकी से मसलना शुरू कर दिया।भाभी ने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली और मीठी-मीठी कराहें लेने लगी।

फिर अंकल भाभी को अपने गोद में आमने-सामने बिठा कर उनकी निप्पल को चुसना शुरू कर दिया। भाभी तो मानो आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी।

निशा भाभी की चूचियों को कुछ देर तक दबाने के बाद अंकलजी ने निशा से कहा- बेटी, अब मैं लेट जाता हूँ और तुम मेरे लिंग पर बैठ जाओ और फिर मैं तुम्हारी चूत का निरीक्षण करता हूँ, बेटी मेरे लिंग पर सावधानी से बैठना, केवल सुपारा ही अपने चूत में घुसाना।
इसके बाद अंकल लेट कर अपने खड़े लिंग को सीधा करके अपनी हाथों से पकड़ लिया, निशा भाभी ने अपनी चूत की संकरे से छेद को अंकल के भयंकर सुपारा पर रख कर धीरे से बैठ गई, अंकल का मोटा सुपारा भाभी की चूत को फैलाता हुआ उसमें घुस गया तो अंकल ने कहा- बहू, अब तुम अपने कूल्हों को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करो तो मैं पता करता हूँ कि तुम्हारी चूत कितनी टाइट है।

भाभी धीरे-धीरे अपनी गांड को ऊपर-नीचे करने लगी, तभी अंकल ने पूछा- बेटी, दर्द नहीं न हो रहा है?

भाभी- नहीं अंकलजी !
अंकल- बेटी गांड को ऊपर-नीचे करने में करने में कैसा लग रहा है है?

भाभी ने शरमाते हुए कहा- अंकलजी, अच्छा लग रहा है।

अंकल- बहुत अच्छे, पर बेटी जरा ध्यान से अपने चूतड़ को ऊपर-नीचे करना करना, कहीं सुपारे से ज्यादा लंड तुम्हारे चूत में न घुस जाये।

भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया, वो मस्ती की लहरों पर सवार थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने देखा की निशा अपने चूतड़ को नीचे दबाते हुए लिंग को अपने चूत और घुसा रही है। अंकल की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।

अंकल का आधा लिंग निशा के चूत में घुस गया था, फिर निशा ने थोड़ा ताकत लगते हुए अंकल के पूरे लिंग को अपनी अत्यंत तंग चूत में पूरा समा लिया। अंकल को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि निशा ने अपनी छोटी से चूत में उनका पूरा 10 इंच लम्बा लिंग समाहित कर लिया है।

अपने टाइट चूत में पूरा लिंग सामने के बाद निशा ने थोड़ी देर सुस्ताया फिर अपनी कसी हुई चूत से रमाकांत अंकल को घपाघप चोदने लगी। निशा भाभी अपने बड़े चूतड़ों को खूब ऊपर-नीचे कर रही थी, चूतड़ ऊपर-नीचे करने में भाभी की बड़ी-बड़ी चूचियाँ बहुत भद्दे तरीके से हिल रही थी। भाभी की अत्यंत कसी चूत होने के कारण घप-घप की बहुत भद्दी आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी।

चुदाई के कारण भाभी की चूत की खुशबू चारों तरफ फ़ैल गई थी। अंकल और भाभी दोनों के मुँह से आह-ऊह की आवाज़ निकल रही थी।

तभी अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, तुम यह क्या कर रही हो? मेरे लिंग को अपनी चूत में पूरा समा के मुझे चोद रही हो?

तो भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- इतने भी भोले मत बनो, अंकलजी, आप बहुत ही चालाक आदमी हो, मुझे ललचाने के लिए आपने अपना गधा जैसा मोटा लिंग दिखा दिया और अब बहुत भोले बन रहे हो, इतना मोटा और लम्बा लंड देखकर तो कोई भी लड़की एकदम पागल हो जाएगी। मैं तो बहुत लकी हूँ जो मुझे इतना बड़ा लिंग का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आई लव यू अंकल जी !

ऐसा सुनकर अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा- बेटी, अब बताओ, तुम्हें मुझसे से ज्यादा मजा आ रहा है कि अपने पति से आता है?

निशा- अंकलजी, मेरे पति का साइज़ तो आपसे आधा है, आपको चुदवाने में तो मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द मिल रहा है। अब तो मैं आपसे खूब चुदवाऊंगी।

अंकल- निशा बेटी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझ जैसे बदसूरत, बुड्ढे आदमी के 10 इंच लम्बे काले लंड पर एक 22 साल की गोरी, ख़ूबसूरत लड़की बैठकर उसे अपने गुलाबी चूत में पूरा समा कर अपनी गांड ऊपर-नीचे करके मुझे घपाघप चोदेगी। मैं तो एक अत्यंत ही भाग्यशाली व्यक्ति हूँ।

निशा- अंकलजी, मैं भी बहुत खुशनसीब हूँ, इतना विशाल लंड का सौभाग्य तो बिरले को ही प्राप्त होता है। आपका लंड तो देखते ही मेरी चूत से पानी निकलने लगा था।

फिर अंकल ने भाभी को लिटा दिया और उनकी टांगों को फैला कर चूत को चौड़ा कर दिया, फिर चूत के छेद पर थूक लगाकर अपना सुपारा चूत के छेद पर रख के जोर से धक्का मारा, भाभी दर्द से चिल्ला उठी।

अंकल का आधा लिंग भाभी की चूत में समा चुका था फिर थोड़ी देर रुकने के बाद अंकल ने एक जोर का धक्का मारा तो अंकल का 10 इंच लम्बा पूरा लिंग भाभी की चूत में घच से घुस गया, इसके बाद अंकल ने धीरे-धीरे अपने लिंग को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
फिर थोड़े देर के बाद अंकल ने भाभी की पतली कमर को पकड़ कर बेरहमी से जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिया।

निशा ‘मम्मी- उई मम्मी’ बोलकर कर आनंद भरी कराह ले रही थी। बीच-बीच में अंकल का मोटा लिंग भाभी के तंग चूत में फँस जाता था तो अंकल जोर का धक्का मारकर उसे छुड़ाते जिससे भाभी कराह उठती।

अंकल भाभी की दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबोचे हुई उनकी चूत को घपाघप चोद रहे थे। करीब 15 मिनट बाद अंकल का फॉल हो गया। भाभी बिस्तर पर से उठकर बाथरूम में अपनी चूत धोने चली गई।

भाभी जब बाथरूम से आई तो उनके गदराए हुए अत्यंत विशाल नितम्ब को देखकर अंकल के मुंह में पानी आ गया, अंकल ने कहा- निशा, तुम्हारे चूतड़ तो बहुत बड़े हैं, क्या इसे तुम्हारे पति ने तुम्हारे साथ गुदा-मैथुन करके इसे बड़ा कर दिया है?

ऐसा बोलते हुए अंकल भाभी के बड़े-बड़े नितम्ब सहलाने लगे।
भाभी- नहीं अंकलजी, मैंने आज तक गुदा-मैथुन नहीं करवाया है, ये कुदरती बड़े हैं।

अंकल- बेटी, तुम्हारे नितम्ब बहुत ही सुन्दर हैं, मुझे इसे प्यार करने का बहुत मन कर रहा है, तुम जरा बिस्तर पर घोड़ी बन जाओ तो मैं तुम्हारी गदराए हुए नितम्बों को प्यार करूँगा।
ऐसा सुनकर भाभी बिस्तर पर अपने दोनों घुटनों और हथेलियों के बल घोड़ी बन गई। अंकल ने पहले भाभी के बड़े-बड़े चूतड़ों को खूब सहलाया, उन पर ढेर सारा चुम्बन भी लिया, फिर भाभी के चूतड़ों की दोनों फाँक को फैलाया तो उसके गुलाबी छेद देख कर एकदम दंग रह गए और उसने कहा- बेटी, तुम्हारा गुलाबी गुदा द्वार तो दिखने में अत्यंत ही सुन्दर है, कोई भी इसे देख के एकदम पागल हो जायेगा।

अपने गुदा द्वार की प्रशंसा सुनकर भाभी ने अंकल को धन्यवाद बोला। अंकल ने चूतड़ों के बीच के छेद को सूंघा तो उसकी खुशबू पाकर उनका लिंग एकदम फनफना कर खड़ा हो गया।
फिर अंकल ने छेद पर एक चुम्बन लिया फिर उसे चीर कर छेद को चाटने लगे। अंकल के चाटना शुरू करते ही भाभी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

भाभी की छेद की कुछ देर चाटने के बाद अंकल ने भाभी के गुदा द्वार में अपनी एक उँगली घुसा के उसे आगे-पीछे करने लगे तो भाभी के मुँह से सीत्कारें निकलने लगी।

अपनी उंगली को अंदर-बाहर करते हुए पूछा- बेटी, कैसा महसूस हो रहा है?

निशा- मजा आ रहा है अंकलजी !

अंकल- बेटी, इसमें मेरा मोटा लिंग घुसवाओगी तो स्वर्ग जैसा आनन्द मिलेगा।

यह सुनकर भाभी ने डरते हुए बोली- ना बाबा ना, चूत के मुकाबले गुदा-द्वार तो अत्यंत छोटा और काफी संकुचित होता है और आपका सुपारा तो भयंकर मोटा है, मुझे अपनी गांड नहीं फड़वानी है।

फिर अंकल ने उसे फुसलाते हुए कहा- डरो नहीं बेटी, तुम्हारा नितम्ब तो अत्यंत ही बड़ा है, वो मेरा पूरा 10 इंच आसानी से खा जायेगा और फिर मैं तुम्हारे छेद में ढेर सारा वैसलिन लगा दूंगा और बहुत धीरे-धीरे घुसाऊंगा और तुम्हें जरा भी दर्द होगा तो मैं अपना लिंग तुरंत बाहर निकाल लूँगा।

तब भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, पर धीरे-धीरे आराम से घुसाइएगा।

अंकल- ठीक है बेटी, अब तुम घोड़ी बन जाओ।

भाभी के घोड़ी बनने के बाद अंकल ने उनके चूतड़ों की दोनों फाँकों को फैला कर उसके छेद में ढेर सी वेसलिन लगाई और उसके बाद भाभी के गाण्ड के छेद पर अपना मोटा सुपारा को रगड़ने लगे फिर अंकल ने छेद में थोड़ा सा सुपारा घुसाने के बाद भाभी की पतली कमर को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा तो अंकल का मोटा सुपर भाभी के सिकुड़न-सलवटों वाले गुलाबी छेद को फैलाता हुआ गप्प से अन्दर घुस गया।

भाभी दर्द से चिल्ला उठी तो अंकल ने झट से अपना लिंग बाहर निकाल लिया।

लिंग को बाहर निकालने के थोड़ी देर के बाद अंकल ने भाभी को पुचकारते हुए कहा- बेटी, अब दर्द कैसा है?

भाभी- अब दर्द बहुत कम हो गया है, अंकलजी।

फिर थोड़ी देर के बाद अंकल ने कहा- ऐसा करो बेटी, मैं लेट जाता हूँ और तुम अपनी गांड का छेद मेरे लिंग पर रख के धीरे-धीरे बैठो, इससे तुम्हें बहुत ही कम दर्द होगा।
भाभी ने डरते हुए कहा- ठीक है मैं कोशिश करती हूँ पर मुझे दर्द हुआ तो मैं लिंग पर से उठ जाऊँगी।

अंकल- ठीक है बेटी, अब मैं लेटता हूँ और तुम अपनी गांड को चीर कर अपनी गुलाबी छेद को मेरे सुपारा पर रख कर धीरे-धीरे बैठो।

अंकल बिस्तर पर लेट गए और मुट्ठी से अपना लिंग पकड़ लिया। फिर भाभी ने अंकल के फ़नफ़नाये हुए भयंकर, काले सुपारे पर अपने विशाल नितम्बों को चीर कर अपने गांड के गुलाबी छेद को रखकर धीरे से बैठी तो अंकल का सुपारा भाभी के कसे, सिकुड़न-युक्त छेद को फैलाते हुए घप्प से छेद के अंदर घुस के गांड के छल्ले में फँस गया।

भाभी अचानक दर्द से चिहुंक उठी तो अंकल ने भाभी को कहा- डरो मत बेटी, शुरू में दर्द होगा पर जब मेरा पूरा लंड तुम्हारी गांड में समा जायेगा तो बिल्कुल दर्द नहीं होगा और तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा।

भाभी ने करहाते हुए कहा- अंकलजी, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी, मुझे बहुत डर लग रहा है।

तब अंकल ने भाभी को फुसलाते हुए कहा- डर मत पगली, चूत में भी तो शुरू में घुसवाने में थोडा दर्द हुआ था पर बाद में तुम्हे कितना मज़ा आया था।

भाभी- वो बात तो है अंकलजी, ठीक है मैं धीरे-धीरे बैठती हूँ ताकि ज्यादा दर्द न हो। फिर भाभी थोड़ा जोर लगाकर बैठी तो अंकल का 2 इंच लंड गांड में और घुस गया।
भाभी को अत्यंत दर्द होने लगा और वह करहाते हुए अंकल के लंड पर से उठने लगी, ऐसा करते देख कर अंकल ने भाभी की पतली, नाजुक कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे नीचे अपनी ओर जबरदस्ती खींचने लगे। अंकल ताकत लगा कर जैसे-जैसे भाभी को नीचे खींच रहे थे वैसे-वैसे अंकल का वेसलीन लगा हुआ लंड भाभी की गांड के तंग छेद में घुसता जा रहा था।

भाभी दर्द से चिल्ला रही थी पर अंकल ने उसकी परवाह किये बिना उसके गांड में अपना 10 इंच लम्बा लंड पूरा घुसा दिया। भाभी की आँखों से आँसू निकल रहे रहे थे पर अंकलजी उसकी परवाह किये बगैर अपने चूतड़ उचका-उचकाकर भाभी की गांड में अपने दैत्याकार लंड को अंदर-बाहर करने लगे।

थोड़ी देर के बाद भाभी की कराहट मादक सिसकारियों में बदल गई। पाँच मिनट तक धक्के लगाने के बाद अंकल थक कर रुक गये तो भाभी अपनी गांड को ऊपर-नीचे करने लगी।
ऐसा करते देख कर अंकल ने प्रसन्नता से कहा- शाबाश मेरी मुन्नी, अब मज़ा आ रहा है ना निशा बेटी?

निशा ने लजाते हुए कहा- हाँ अंकलजी, आप बहुत अच्छे हैं।

अंकल- बेटी अब मेरे लंड पर रोज बैठोगी ना?

निशा- बिल्कुल अंकल जी, अब तो मैं रोज अपने दोनों छेदों को आपके लण्ड पर रख कर बैठूंगी।

ऐसा बोलने के बाद भाभी अपने चूतड़ तेजी से ऊपर-नीचे करने लगी और अंकल ने भाभी के गांड में अपनी गर्म-गर्म वीर्य की बौछार कर दी। इस तरह अंकल ने छह महीने तक अपने भीमकाय लंड से मुझे और मेरी भाभी की चूत और गांड को चोद-चोद कर अत्यधिक बड़ा बना दिया है। आज मैं उन्नीस साल की ही उम्र में एक अत्यंत बड़े चूत और विशाल नितम्ब की मालकिन हूँ।

अंकल ने मेरी चूत और गांड के छेद को अत्यंत ही बड़ा कर दिया है, पाठको, आप मेरी झालरदार चार इंच लम्बी चूत और चालीस इंच बड़े नितम्ब देखकर एकदम दंग रह जाएँगे।

5 comments:

  1. hy
    my name is Ali
    i m from Pattoki
    meri koe girl friend ni hy q k main bht drta ho lrki ko line marty huey or kbhi kisi ka pecha ni kiya
    main kasm kha k khta ho k main such bol rha ho
    main beautiful and handsome boy ho
    ager koe lerki mj sy dosti krna chahti hy to mera cell no nechy hy
    mery pas imo or whats up bhi hy
    wo num main apko bad main don ga
    main bs pyar krna chahta ho
    koe bhi young aunti ho ya lerki
    mjsy dosti krna chahti ho to rabta kry
    jo mjy apni hr qism ki tasveer send kr skti ho main waada krta ho koe pic leakout nhen ho gi
    pllllllllllzzzzzzzzzz aik br zror atbr kr k daikhain main bura lerka ni ho ns pyar ka pyasa ho
    mer age 20 hy
    or main aik studnt ho
    or dosti k liye hr bat man ny ko tyar ho
    main bs date pr jana jana chahta apni girl friend ko pyar krna chahta ho
    mjy us sy lov ho gya to shDi bhi kro ga
    plzzzzz ager koe lrki dosti krna chahti jy to zror rabta kry
    +923047701909

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