Sunday 29 November 2015

स्त्री के जीवन की यादगार घटनाएँ Ladies Sex Facts

हर स्त्री के जीवन में अनेक घटनाएँ घटित होती हैं, उन में से कुछ घटनाएँ तो दुखी कर देती हैं, लेकिन कुछ बहुत सुखद और यादगार होती हैं !

मेरे जीवन में भी ऐसी ही एक सुखद और यादगार घटना हुई थी, जिसकी यादें आज भी ताज़ा हैं और उनकी याद आते ही मैं रोमांचित हो जाती हूँ। लेकिन उससे पहले मैं आपको अपना परिचय देना चाहूँगी!

मेरा नाम उर्मिला है, सब लोग मुझे “उर्मी” कहते है, मैं तेईस वर्ष की हूँ और भोपाल में रहती हूँ। लगभग तीन वर्ष पहले मेरी शादी हुई थी। शादी से पहले भी मैं बहुत ही सुन्दर दिखती थी, लेकिन शादी के बाद मेरा रंग रूप और भी ज्यादा निखर आया है, अब तो मैं एक अप्सरा से कम नहीं लगती हूँ !

मेरे पैमाने हैं 36-24-36, कद पांच फुट छह इंच, रंग बहुत गोरा, छाती उठी हुई और उस पर दो कसी हुई चूचियाँ, जिनके ऊपर मोटे काले अंगूरों जैसी घुन्डियाँ, बल खाती हुई कमर पतली, चौड़े नितम्ब, सुडौल जांघें और लंबी तथा पतली टाँगें ! नाभि के नीचे और टांगों के बीच में काले रंग के बालों के बीच में विराजमान मेरी संकरी सी गोरी चूत !

तीन वर्ष की शादी के बाद भी कोई बच्चा ना होने की वजह से अभी तक इस चूत में कोई बदलाव नहीं आया, अभी भी वह तीन वर्ष पहले जैसी कुंवारी और संकरी दीखती है ! आज भी जब मैं चुदती हूँ तो वही पहली रात जैसा ही आनन्द आता है !

यह घटना लगभग एक वर्ष पहले की है जब मेरी इक्कीस वर्षीया छोटी बहन अर्ची (अर्चना) की शादी, मथुरा में रहने वाले परिवार के तेईस वर्षीय कमल से हुई थी। कमल आगरा में एक कंपनी में इंजिनियर है और अर्ची के साथ आगरा में ही रहतें हैं। मेरी छोटी बहन भी मेरे तरह बहुत सुंदर है और उसका शरीर भी बहुत मादक है, हम दोनों बिल्कुल जुड़वाँ लगती हैं। कमल का कद छह फुट है, चौड़ी छाती है और वह स्वस्थ तथा बलिष्ठ पुरुष है ! नियमित योग और व्यायाम के कारण उसका सिक्स-पैक शरीर अत्यंत ही आकर्षक है !

शादी के तुरंत बाद कमल और अर्ची जब मेरे घर भोपाल में दो दिन के लिए रहने आये थे, तब मैंने उन्हें अपने साथ वाले बेडरूम में ही ठहराया था। दोनों बेडरूम के बीच में एक दरवाज़ा था, जिस में से एक दूसरे कमरे में हो रही आवाजें सुनाई देती थी और उस दरवाज़े के की-होल में से उस कमरे के अंदर का नज़ारा भी दिखाई देता था !

रात को जब मेरे पति सो गए, तब मैं उठ कर उस दरवाज़े के पास खड़े होकर दूसरे कमरे की आवाजें सुनने लगी। अंदर कमल अर्ची को चुदाई के लिए मना रहा था और वह कुछ नखरे दिखा रही थी !

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने की-होल में से देखा तो पाया कि कमरे की लाईट जल रही थी तथा कमल अर्धनग्न खड़ा था और अर्ची के कपड़े उतार रहा था। जब उसने अर्ची को पूरा नग्न कर दिया तब वह सीधा खड़ा हो कर अर्ची से उसका जांघिया उतारने को कहा।
अर्ची उठ कर बेड पर बैठ गई और उसका जांघिया नीचे करके उसमें से कैद लौड़े को आज़ाद कर दिया।

मैं तो उस लौड़े को देख कर दंग रह गई, कमल का लौड़ा आठ इंच लंबा और दो इंच मोटा था तथा उसका सुपारा तो ढाई इंच मोटा था ! लौड़ा एकदम तना हुआ था, उसके ऊपर की नसें फूली हुई थीं और उसका सुपारा बाहर निकला हुआ था।

अर्ची पहले उस लौड़े को बड़े प्यार से अपने हाथों से मसलती रही, फिर उसने उसको अपने मुँह में डाल कर चूसना शुरू कर दिया। उधर कमल अर्ची की चूचियाँ दबा रहा था और उसकी घुंडियों को मसल रहा था।

कुछ देर के बाद कमल ने अर्ची को उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों के बीच में मुँह डाल कर उसकी चूत को चूसने तथा चाटने लगा। लगभग पांच मिनट के बाद अर्ची चिल्लाने लगी और कमल को चुदाई के लिए कहने लगी। कमल अर्ची की दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और उसने अपना लौड़ा उसकी चूत के मुँह पर रख कर एक धक्का दिया तथा आधा लौड़ा अर्ची की चूत के अंदर कर दिया। फिर उसने दूसरा धक्का लगाया और पूरा लौड़ा चूत में धकेल दिया !

अर्ची ने हल्की सी चीख मारी और कमल से लिपट गई ! इसके बाद अगले दस मिनट तक कमल उछल उछल अपना लौड़ा अर्ची की चूत के अंदर बाहर करता रहा और अर्ची भी उछल उछल कर कमल का साथ देती रही। दस मिनट के बाद अचानक कमल ने तेज़ी से चुदाई करने लगा और फिर दोनों ही चीखने चिल्लाने लगे तथा एकदम से अकड़ कर एक दूसरे पर ढेर हो गए। फिर दोनों अलग हुए, लाईट बंद कर दी और सो गए।
मैं भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और अभी अभी देखे नज़ारे के बारे में सोचने लगी !
मेरी चूत में खुजली शुरू गई थी, मैं भी चुदना चाहती थी, इसलिए मैं अपने पति से चिपट गई और उनके लौड़े को पकड़ कर मसलने लगी। मेरे पति का लौड़ा कमल के लौड़े के सामने कुछ भी नहीं था, मेरे पति का लौड़ा सिर्फ छह इंच लंबा और सवा इंच मोटा था और सुपारा तो डेढ़ इंच मोटा ही था तथा टोपी के अंदर ही रहता था !

मुझे अर्ची से ईर्ष्या हो रही थी, मैं भी कमल का लौड़ा अपनी चूत में डलवाना चाहती थी लेकिन उस समय के हालात और चूत की खुजली से मजबूर मैं अपने पति के लौड़े को ही जगाने लगी थी। मेरे मसलने पर लौड़ा तन गया और मेरे पति भी जाग गए !

मेरी चुदाई की इच्छा को समझते हुए उन्होंने अपने और मेरे कपड़े उतार दिए तथा अपने लौड़े को मेरे मुँह में देकर मेरी चूत को चूसने लगे। मैं तो पहले से ही गर्म थी इसलिए दो मिनट में ही मैंने पानी छोड़ दिया !

मेरी यह हालत देख मेरे पति ने मुझे सीधा लिटाया और अपने लौड़े को एक ही झटके में मेरी चूत में धकेल दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी। अगले दस मिनट में मैंने दो बार पानी छोड़ा और फिर जाकर मेरे पति ने अपने पिचकारी छोड़ी और मेरी आग शांत की।

इसके बाद हम सो गये, लेकिन क्योंकि मेरी संतुष्टि नहीं हुई थी इसलिए सपने में भी मुझे कमल का लौड़ा ही दिखाई देता रहा !

अगले दिन सुबह हम सब भोपाल घूमने गए, शॉपिंग भी की और खाना भी बाहर ही खाया। रात की गाड़ी से कमल और अर्ची वापिस आगरा चले गए और हम लोग वापिस अपने घर आ गए।

लेकिन उस रात को मैंने अपने जिंदगी में एक बदलाव देखा, मुझे दिन रात कमल के आठ इंच लंबे और दो इंच मोटे तथा ढाई इंच मोटे सुपारे के सपने आने लगे। कमल के लौड़े की चाहत में मुझे पति के छोटे और पतले लौड़े से संतोष मिलना भी बंद हो गया था। इसलिए कमल के लौड़े को पाने के लिए मेरी इतनी तड़प बढ़ गई थी और मैं कई बार उंगली, बैंगन या खीरे का प्रयोग करके अपने आप को संतुष्ट कर लेती थी !

तीन माह के बाद एक दिन अर्ची का फोन आया और उसने बताया कि कमल अगले सोमवार को एक सप्ताह के लिए भोपाल में ट्रेनिंग के लिए आ रहा था और हमारे पास ही रहेगा।
मैंने उसे कहा कि यह तो अच्छी बात है और आग्रह किया कि वह भी साथ में आ जाये, तो वह कहने लगी कि शादी के बाद वह माँ और पिताजी के पास नहीं गई थी, इसलिए वह इन दिनों उनके पास मथुरा जा रही थी।

कमल अकेला ही आ रहा था यह सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई, मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मन की मुराद पूरी हो गई हो और मुझे कमल का लौड़ा मिल गया हो !

कमल को चोदने के लिए कैसे राज़ी किया जाए इसकी तरकीब सोचने लगी, लेकिन दो बातें समझ नहीं आ रहीं थी। पहली यह कि कमल चोदने को राज़ी भी होगा या नहीं और दूसरी कि मेरे पति के घर में होते हुए मैं और कमल चुदाई कैसे कर पायेंगे !

इसी उलझन में समय बीत गया और सोमवार सुबह कमल आ गया। मैंने इस बार भी कमल को अपने बेडरूम के बगल वाले बेडरूम में ही ठहराया और उसकी सुख सुविधा कि सभी वस्तुओं को खुद ही उस कमरे में रख दीं। कमल सुबह आने के बाद नहा धोकर तैयार हुआ और नाश्ता कर के ट्रेनिंग पर चला गया। दोपहर को मेरे पति जब घर आये तो उन्होंने बताया कि उन्हें उसी रात को व्यापार के सिलसिले में चार दिनों के लिए चेन्नई, बंगलोर और हेदराबाद जाना है और वह शुक्रवार सुबह तक ही वापिस आयेंगे।

उन्होंने कहा कि मैं उनका सामान तैयार कर के रख दूं ताकि वह शाम को घर से सामान लेते हुए हवाई अड्डे चलें जायेंगे।

पति के मुख से यह समाचार सुन कर मुझे लगा कि मेरी लाटरी निकल आई है, अपनी किस्मत पर बहुत खुशी हुई और मुझे लगा कि शायद भगवान भी यही चाहते हैं कि मैं कमल के दमदार लौड़े का खूब मज़ा लूँ !

पांच बजे मेरे घर पति आये और अपना सामन लेकर हवाई अड्डे चले गए। शाम छह बजे कमल आ गया और चाय पीकर अपने कमरे में आराम करने चला गया। मैंने भी उसे परेशान नहीं किया और आराम करने दिया क्योंकि मैं जानती थी कि मैं उसे रात को बहुत परेशान करने वाली थी।
आठ बजे मैं कमल के कमरे में गई तो देखा के वह गहरी नींद में सो रहा था। तब मैंने उसके और अपने कमरे के बीच वाले दरवाज़े की चिटकनी खोल दी। इसके बाद मैंने अपने कमरे में आकर उस दरवाज़े को खोल कर तस्सली भी कर ली और अपने कपड़े बदल कर नाइटी पहन ली।

रात नौ बजे मैंने कमल को जगाया और हम दोनों ने खाना खाया और कुछ देर बाहर गार्डन में टहलते रहे।

लगभग दस बजे हम अंदर आये तो मैंने कमल से पूछा कि क्या वह कॉफी पीयेगा तो उसने हाँ कह दी।

मैंने उसे कमरे में जाने को कहा और कॉफी बनाने चली गई। रसोई में मैंने गैस पर पानी उबलने के लिए रखा और जल्दी से अपनी नाइटी के नीचे पहनी हुई ब्रा और पैंटी उतार कर वहीं रसोई में रख दी। अब मैं चुदने के लिए मानसोक और शारीरिक तौर पर बिल्कुल तैयार थी, मेरी आँखों के आगे कमल का लंबा, मोटा और तगड़ा लौड़ा दिखाई देने लगा था और मेरी चूत में थोड़ी खलबली भी शुरू हो गई थी।

जैसे ही कॉफी बन गई, मैं उसे कमल के कमरे में ले गई तो देखा कि बेड पर उसका सामान बिखरा हुआ था और कमल सिर पकड़े बैठा हुआ था।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो उसने बताया- अर्ची ने रात के सोने वाले कपड़े तो बैग में रखे ही नहीं !

शायद पहली बार सामान बाँधा था इसलिए उसने बैग में पेंट और कमीज तो रख दी थी, लेकिन बनियान और जांघियाँ भी नहीं रखे थे ! मैंने उसे कहा- इसमें परेशान होने की बात नहीं !

और मैंने उसे रात के लिए अपने पति की लुंगी दे दी।

काफी पीने के बाद मैंने कमल से कहा कि वह अपना बनियान और जांघियाँ उतार दे ताकि मैं उन्हें अभी धो दूँ ताकि सुबह तक सूख जाएँ ! वह कल वही पहन जाए और कल ही मैं उसके लिए नए बनियान और जांघियाँ ला दूँगी !

मेरी बात मान कर कमल कपड़े बदलने के लिए बाथरूम में घुस गया ! उसे अंदर गए अभी कुछ सेकण्ड ही हुए थे कि मैं भी बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर उसमे घुस गई।
मैंने देखा कि कमल बिल्कुल नंगा खड़ा मूत रहा था !

मुझे बाथरूम के अंदर देख कर वह हकबका गया और एकदम घूम गया !

मैंने उसे सँभालने का मौका ही नहीं दिया और मैं उसके पास जाकर उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा कि उसे घबराने और हैरान होने कि जरूरत नहीं है। मैंने उसे कंधों से पकड़ कर घुमाया और उसे अपने सामने कर उसके लौड़े को पकड़ लिया और बताया कि मैं उसके लौड़े को अच्छी तरह देखा हुआ है !

कमल अपने लौड़े को छुड़ाने की कोशिश करता रहा पर मैंने उसको नहीं छोड़ा। उस समय उसका लौड़ा छोटा सा हो रखा था इसलिए मैं उसको मसलने लगी और आगे पीछे हिला कर बड़ा करने लगी।देखते ही देखते उसका लौड़ा तन कर लोहे की छड़ जैसा हो गया, तब मैंने नीचे बैठ कर उसे अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी।

कमल तो बहुत मना करता रहा लेकिन मैं ही नहीं मानी और चुसाई चालू रखी। क्योंकि कमल को कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए वह वहीँ खड़ा खड़ा आह्ह… आह्ह्ह्ह… आह्ह… करता रहा !

फिर मैंने तेज़ी से चूसना शुरू किया और उसके ढाई इंच के टट्टों को भी हल्के हल्के मसलना शुरू कर दिया। मेरे ऐसा करने से चुसाई का असर दुगना हो गया और दो मिनट में ही कमल ने आह्ह्ह्ह्ह्… की ज़ोरदार आवाज़ निकलते हुए अपनी पिचकारी मेरे मुँह में छोड़ दी।
इसके लिए मैं तैयार थी और उसका बहुत ही स्वादिष्ट, कुछ नमकीन और कुछ खट्टा जैसा वीर्य रस मैंने गटागट पी लिया तथा लौड़े के छेद में से भी बचा हुआ रस चूस कर खींच लिया। फिर मैंने कमल के लौड़े और टट्टों को चाट कर साफ़ किया और उसे बेडरूम में जाने दिया।

इसके बाद मैंने कमल के बनियान और जांघिये को धोया और बेडरूम में पंखे के नीचे सूखने को फैला दिए। कमल ने बेड पर फैले सामान को समेट कर, लुंगी पहने बेड पर बैठा हैरान सा मुझे यह सब करते हुए देखता रहा था !

इसके बाद मैं उसके पास जाकर बैठ गई और उसका एक हाथ अपने हाथों में ले कर पूछा कि वह हैरान परेशान क्यों है?
तो उसने कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि कुछ देर पहले यह सब क्या और कैसे हुआ था!
उसने मुझसे पूछा कि मैंने उसका लौड़ा पहले कब देखा था तो मैंने उसे बताया कि जब वे लोग मेरे यहाँ आये थे तब उन्हें चुदाई करते हुए देखा था और मैंने उठ कर अपने कमरे वाला दरवाज़ा खोल कर उसे की-होल के बारे में सब बताया !
कमल मेरी बात सुन कर थोड़ा शरमाया और फिर मुस्करा कर कहा- दीदी, आप बहुत ही शातिर हैं !
फिर उसने मुझसे कहा- आपने मुझे और अर्ची को नग्न रूप में चुदाई करते हुए देख लिया, और अब मेरा लौड़ा चूस कर उसका रस भी पी लिया लेकिन मुझे अभी तक अपने किसी भी अंग के दर्शन नहीं कराये?
तब मैंने उसे इशारा किया कि इसके लिए उसे ही मेहनत करनी पड़ेगी और मैं कमरे के बीच में आँखें बंद करके खड़ी हो गई ! कमल उठ कर मेरे पास आया और मेरी नाइटी को ऊपर उठा कर उतार दिया। नाइटी के नीचे मुझे बिलकुल नग्न पा कर वह मेरी मंशा समझ गया कि मैं इस अवसर के लिए पहले से ही तैयार हो कर आई हूँ !

उसने मेरी नाइटी को वहीं फेंक कर मुझे अपनी गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया तथा मेरे करीब ही बैठ गया। वह अपने हाथ मेरी चूचियों पर फेरने लगा और अंगूठे तथा उंगली के बीच में घुंडियों को पकड़ कर मसलने लगा। फिर उसने अपना एक हाथ मेरी चूत के बालों पर रखा और अपने एक उंगली से मेरे छोले को रगड़ने और बड़ी उंगली को मेरी चूत के अंदर डाल कर हिलाने लगा।

मैं तो लौड़ा चूसने के समय से गर्म थी, कमल की उँगलबाजी से मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गई, मेरे से रहा नहीं गया तो मैंने उसकी लुंगी खोल दी और उसके लौड़े को पकड़ कर मसलने लगी। एक मिनट में ही उसका लौड़ा तन कर फौलाद का हो गया, तब मैं ऊँची हो कर कमल के लौड़े को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी, यह देख कमल उल्टा हो कर लेट गया और मेरी चूत में मुँह रख कर छोले को चाटने लगा और जीभ को चूत की गली में घुसाने और निकालने लगा।

मैं भी उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी। पांच मिनट के बाद जब मैं बहुत गर्म हो गई और मेरे मुँह से आहंह्ह… आहंह्ह… उहंह्ह… उहंह्ह्ह… आवाजें निकली और मेरी चूत ने सिकुड़ कर पानी छोड़ दिया। कमल ने सारा पानी पी लिया, चूत को चाट कर साफ़ कर दिया।

क्योंकि मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए मैंने उसे मेरी चुदाई करने का आग्रह किया। तब वह उठ कर मेरी टांगों के बीच में बैठ गया और मेरी चूत को देखने लगा।
मैंने पूछा- तुम मेरी चूत को क्यों घूर रहे हो?

तो उसने बताया कि उसे मेरी चूत बिल्कुल अर्ची की चूत जैसी ही लग रही थी बल्कि उससे भी कुछ संकरी लग रही थी और उसके लौड़े के चुदाई से कहीं फट गई और खून निकलने लगा तो क्या करेंगे।

यह सुन कर मुझे हंसी आ गई और मैंने कहा- अगर मेरी चूत अर्ची की चूत की जैसी है तो जैसे उसकी नहीं फटी वैसे मेरी भी नहीं फटेगी, और अगर अर्ची की चूत में उसका लौड़ा समां गया था तो उसी तरह मेरी चूत में भी समां जाएगा !

मैं उसके आठ इंच के लौड़े को अन्दर लेने के लिए बेताब थी इसलिए मैंने उसे चुदाई के लिए उकसाया तब उसने धीरे से मेरी चूत के मुँह पर लौड़े को रखा और एक ही झटके में सुपारा अन्दर घुसेड़ दिया !

उसके ढाई इंच मोटे सुपारे के लिए मेरी चूत काफी तंग थी, जैसे नई चूत हो और पहली बार चुद रही हो ! मुझे बहुत दर्द हुआ और मैं चीख उठी ऊईई ममाँआआ… म्म्म्मररर्र… गईई… हाएए… मेरीईइ… फटगईई… आहंहह्ह… उहंहह्ह… मार डाला !
मेरी चीखें सुन कर कमल रुक गया और मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर मुझे चुम्बन करता रहा !

जब मैं शांत हो गई तब उसने दूसरा झटका मारा और आधा लौड़ा मेरे अंदर घुसेड़ दिया, मुझे एक बार फिर बहुत ही तीखा दर्द हुआ और एक बार फिर मेरी चीखें निकलने लगी ऊई ईई ममाँआआ… म्म्मरर्र… गईई… हाएए… मेरीई ईइ… फटगईई… आहंह्ह… उहंह्ह्ह…! कमल थोड़ी देर फिर रुका और जैसे ही मेरी सांस में सांस आई उसने एक और झटका लगा कर लौड़े को पूरा मेरी चूत के अंदर पहुंचा दिया। इस बार तो मेरी चूत में अत्यंत ही तीखा दर्द हुआ और मैं दर्द के मारे तड़प उठी, मेरे पसीने छूटने लगे, मेरी आँखों में से पानी निकल आया, मेरा पूरा बदन कांपने लगा और मेरी चीखें पूरे कमरे में गूंजने लगी ! कमल झट से मेरे ऊपर लेट गया और मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर मेरी चीखों को चुप करा दिया !

पांच मिनट वैसे ही लेटे रहने के बाद मैंने अपने होश में आई और कमल से आगे बढ़ने को कहा, तब उसने धीरे धीरे हिलना शुरू किया और बहुत ही प्यार से लौड़े को चूत के अंदर बाहर करने लगा ! उसका लौड़ा मेरी कसी चूत में बुरी तरह से फंसा हुआ था इसलिए बहुत ही अच्छी रगड़ मार रहा था जिससे मुझे बहुत मज़े आने लगे थे !

जब मेरी चूत सिकुड़ने लगी तो मैं बोल उठी- कमल, मजा आ रहा है ज़रा तेजी से करो, ज़रा जल्दी जल्दी करो !
यह सुन कर कमल चालू हो गया और झटके पे झटके लगाने लगा, उसने मेरे दोनों पैरों को ऊपर उठा अपने कंधों पर रख दिए और झटके लगाता रहा। मेरी चूत में आनंद के लहरें उठने लगी, बार बार गीली होने लगी जिससे लौड़े का अंदर बाहर जाने की रगड़ का आनंद चार गुना हो गया था।

पन्द्रह मिनट की तेज रगड़ाई के बाद कमल का लौड़ा चूत के अंदर ही फड़फड़ाया और मेरी चूत भी जोर से सिकुड़ी, मैं और कमल दोनों एकदम से अकड़ गए और दोनों के मुँह से आहंह्ह… आहंह्ह्ह… उहंहह्ह… उहंहह्ह… की आवाजें निकली ! इसके साथ ही मेरी चूत में बाढ़ आ गई और वह मेरी चूत के पानी और कमल के लौड़े से छूटे रस से लबालब भर गई !

कमल तो इतना आनंदित हुआ कि पागलों की तरह मुझे चूमने लगा और मैं भी उसे बहुत देर तक चूमती रही।

बारह बजने वाले थे इसलिए हम दोनों ने उठ कर एक दूसरे को साफ़ किया और फिर दोनों मेरे कमरे में आ गए !

बेड पर लेट कर कमल मेरी चूचियों को मुँह में लेकर मैं उसके लौड़े को हाथ में पकड़ कर सो गए !

कमल तो इतना आनंदित हुआ कि पागलों की तरह मुझे चूमने लगा और मैं भी उसे बहुत देर तक चूमती रही।

बारह बजने वाले थे इसलिए हम दोनों ने उठ कर एक दूसरे को साफ़ किया और फिर दोनों मेरे कमरे में आ गए !

बेड पर लेट कर कमल मेरी चूचियों को मुँह में लेकर, मैं उसके लौड़े को हाथ में पकड़ कर सो गए !

रात दो बजे मेरी नींद खुली, कमल के लौड़े को अपने हाथ में देख कर एक बार फिर चूत मरवाने के लिए ललचा उठी। मैंने कमल को होंठों पर चूम लिया और उसके लौड़े को मुँह में ले कर तेज़ी से चूसने लगी !

एक मिनट में कमल भी जाग गया और उसका लौड़ा भी तन गया। मैंने कमल को सीधा किया और अपनी टाँगें चौड़ी कर के उसके मुँह के ऊपर बैठ गई तथा उसे चूत चूसने को कहा। पांच मिनट चूत चुसवाने के बाद मैं उसके तने हुए लौड़े को चूत में फंसा कर मैं चीखती चिल्लाती हुई उछल उछल कर चुदने लगी !

दस मिनट में ही हम दोनों अकड़ गए और दोनों की चीखों के साथ हमारा रस छूट गया। एक बार फिर मेरी चूत में बाढ़ आ गई थी, जैसे ही मैंने लौड़े को चूत से बाहर निकाला तो चूत के अंदर से सारा रस बाहर निकल कर कमल के ऊपर फ़ैलने लगा। मैंने उस रस को अपने हाथ से कमल के पेट और छाती पर फैला दिया और फिर उसके ऊपर लेट कर अपने आप पर भी उस रस का लेप होने दिया और उसी तरह लेटे लेटे हमें नींद आ गई।

सुबह पांच बजे कमल की नींद खुली तो उसने मुझे अपने ऊपर चिपका हुआ पाया और जब उसने मुझे हटाने की कोशिश की तब मेरी भी नींद खुल गई। मेरे पूछने पर कि वह इतनी जल्दी क्यों उठ गया, उसने अपनी छोटी उंगली उठा कर बताया कि उसे मूत आया है।
मूत तो मुझे भी आया था इसलिए मैं भी उठ कर उसके साथ बाथरूम में चली गई, वहाँ जाकर मैंने कमल का लौड़ा पकड़ कर उसे मूत कराया और इसके बाद मैं पॉट पर बैठ कर मूतने लगी। कमल को मैंने पकड़ कर अपने सामने खड़ा कर लिया था और उसका लौड़ा मुँह में डाल कर चूसने लगी।

कमल ने ऐसा करने से मना किया और कहा कि अगर अब चुदाई करेंगे तो मुझे पछताना पड़ेगा, लेकिन मैं नहीं मानी और उसे मजबूर कर दिया। मूतने के बाद हम कमल के बेड पर जाकर चूसा चुसाई करने लगे और फिर कमल मेरे ऊपर चढ़ गया तथा एक ही झटके में पूरा लौड़ा मेरी चूत के अंदर तक उतार दिया !

उसके बाद कमल ने आक्रमण शुरू कर दिया और राजधानी गाडी की स्पीड से मेरी चुदाई करने लगा। क्योंकि रात में वह तीन बार झड़ चुका था इसलिए उसे इस बार छूटने में देर लग रही थी। मेरी चूत का पांच बार पानी निकलने के बाबजूद भी वह नहीं झड़ा और छटी बार जब मैं झड़ने को थी तब उसका लौड़ा भी फड़फड़ाया और हम दोनों चीखते तथा चिल्लाते हुए एक साथ ही छूटे !

फिर हमने बाथरूम में जा कर एक दूसरे को साफ़ किया और दोनों कमल के बेड पर ही जा कर सो गए!

सुबह आठ बजे जब हमारी नींद खुली तो मैं उठ कर अपने कमरे में जाने लगी, लेकिन मुझसे चला ही नहीं गया ! मेरी चूत और उसके आस पास के क्षेत्र में बहुत जलन हो रही थी। मैंने झुक कर देखा तो पाया कि मेरी चूत सूज कर लाल हो चुकी थी। मैं समझ गई कि कमल ने अपने लौड़े से इसे रगड़ रगड़ कर इसका यह हाल कर दिया है। मैं चूत पर हाथ रख कर, टाँगें चौड़ी करके किसी तरह अपने कमरे में गई और क्रीम लेकर चूत और उसके आस पास के क्षेत्र में लगाई और फिर उसी तरह अपनी टाँगें चौड़ी कर के रसोई में जा कर कमल के लिए नाश्ता बनाया !
कमल तैयार होकर रसोई में आया तो मैंने उसे नाश्ता दिया। तब उसने मेरी हालत देख कर हंस कर बोला कि उसने तो मुझे सावधान किया था कि अगर मैंने चुदाई की जिद नहीं छोड़ी तो मुझे पछताना पड़ सकता है।

जब मैंने पूछा कि उसे कैसे मालूम था कि यह होने वाला है, तो उसने बताया कि शादी के बाद दूसरी रात को अर्ची ने भी बार बार चुदने की जिद की थी और अगले दिन भी उसके साथ भी ऐसा ही हुआ था।

नाश्ता करके कमल मुझे गोद में उठा कर अपने कमरे में ले गया, बेड पर लिटा दिया और मेरी टाँगें चौड़ी करके गीले कपड़े से मेरी चूत और उसके आस पास के क्षेत्र को साफ़ किया। फिर उसने अपने बैग में से एक मलहम की टयूब निकाली और उसमें से मलहम निकाल कर चूत और उसके आसपास के क्षेत्र पर दवाई लगाई। फिर उसने मलहम की टयूब मेरे हाथ में देकर कहा कि मैं दिन में कम से कम तीन बार ज़रूर लगा लूं !

जब मैंने पूछा कि तीन बार क्यों, तो वह तुरंत बोला कि यह जल्द ठीक हो जाएगी और आज रात की चुदाई के लिए भी तैयार हो जाएगी।

दिन भर मैं अपनी चूत को बार बार मलहम लगाती रही और दोपहर तक मुझे आराम भी मिलना शुरू हो गया था लेकिन क्योंकि मुझे रात को चुदने की लालसा थी इसलिए मैं दिल लगा कर दिन भर चूत की देखभाल करती रही !

दो बजे काम वाली के जाने के बाद मैंने एक बार फिर चूत कि सेवा की और रात की नींद पूरी करने के लिए सो गई !

लगभग पांच बजे मैं जागी और चूत पर हाथ लगाया तो उसे बिल्कुल ठीक पाया, सूजन और लाली नहीं थी, उंगली डाल कर देखा तो कोई दर्द और जलन भी नहीं थी !

यह देख कर मुझे बहुत ही खुशी हुई और मेरी रात को होने वाली चुदाई के नज़ारे मेरी आँखों के सामने घूमने लगे। छह बजे जब कमल आया तो सबसे पहले उसने मेरी तकलीफ के बारे में पूछा और फिर मेरा गाउन उठा कर चूत को देखा और हाथ भी फेरा !

इसके बाद उसने झुक कर जोर से मेरी चूत को चूम लिया, जीभ को उसकी गहराइयों में डाला तथा छोले को भी रगड़ दिया। फिर मुझे कस कर अपनी बाजुओं में जकड़ लिया और मेरे होटों को चूमते हुए मुझे बताया कि मेरी चूत बिल्कुल ठीक हो गई थी और रात को दो या तीन बार तो चुद सकती थी !

मैंने कॉफी बनाई और हम दोनों ने साथ बैठ कर पी। कमल कॉफी पीकर अपने कमरे में चला गया और मैं रसोई में रात का खाना बनाने लगी। आठ बजे मैं कमल के कमरे में गई तो देखा कि वह अपनी झांटें शेव करने की तैयारी कर रहा था और यह देख कर मुझे भी अपनी झांटें साफ़ करने का ख्याल आया !

मैंने कमल से कहा कि मैं उसकी झांटे साफ़ कर देती हूँ लेकिन उसे भी मेरी झांटें शेव करनी होंगी !

यह कह कर मैंने उसके हाथ से शेविंग ब्रुश लेकर उसकी झांटों पर शेविंग क्रीम लगा दी, फिर रेजर लेकर उसके लौड़े तथा टट्टों की सारी झांटें साफ़ कर दी और उसे चिकना बना दिया। इसके बाद मैं अपनी टाँगें फैला कर कमल के सामने बैठ गई और शेविंग ब्रुश उसके हाथ में दे दिया। कमल ने बड़े प्यार से मेरी चूत की झांटें साफ़ कर दी और उसे बिल्कुल गंजी कर दिया !

कमल ने एक बार मेरी गंजी चूत को कस कर चूमा और अपना चिकना लौड़ा मुझे चूमने दिया ! इसके बाद हमने खाना खाया और थोड़ी देर गार्डन में घूमने गए तथा साढ़े नौ बजे तक हम अंदर कमल के कमरे में आ गये !

कमरे में आते ही मैंने कमल के और कमल ने मेरे सारे कपड़े उतारे, दोनों नंगे हो कर एक दूसरे से लिपट गए और एक दूसरे को चूसने लगे !

कमल ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी चूचियों को चूसने लगा, मैं उसके लौड़े को पकड़ कर मसलने तथा मरोड़ने लगी।इसके बाद कमल पलट गया और मेरी चूत को चाटने-चूसने लगा तथा मैं उसके लौड़े को ! कुछ ही देर में मेरा पानी छूट गया, तब कमल ने मुझे नीचे खड़ा कर के, मेरा ऊपर का हिस्सा बेड पर झुका कर घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे खड़ा होकर मेरी चूत का मुँह खोला और उसमे अपने लौड़े को सेट करके धक्का दिया। पहले धक्के में कमल का आधा लौड़ा मेरी चूत के अंदर चला गया और दूसरे धक्के में पूरा लौड़ा अंदर चला गया !
मेरी चूत अब कमल के लौड़े के आकार की आदि होने लगी थी इसलिए मेरे मुँह से सिर्फ हल्की हल्की सी चीख निकली और मेरी चूत बड़े आराम से कमल के लौड़े को गप कर गई।
फिर कमल ने आहिस्ते आहिस्ते धक्के देने शुरू कर दिए, मैंने भी उसके साथ हिलना शुरू कर दिया ! पांच मिनट के बाद वह तेज धक्के देने लगा, तब मैं भी उसकी स्पीड के साथ मेल करते हुए तेजी से हिलने लगी और हमारे मुँह से आह्ह… आह्ह… और उंहह्ह्ह्… उंहह्ह्ह… की आवाजें निकलनी शुरू हो गईं। कमल को तेज चुदाई करते हुए जब दस मिनट बीत गए तब मैंने कमल को पुरजोर तेज धक्के लगाने को कहा !

मेरे कहने पर कमल बहुत तेज़ी से धक्के लगाने लगा और कमरे में हम दोनों की आह्ह्ह… आह्ह्ह… उंहह… उंहह्ह… आह्ह्ह… उंहह्ह्… आह्ह्ह… उंहह… की आवाजें गूंजने लगी। अचानक मेरी चूत सिकुड़ने लगी और कमल का लौड़ा भी फूलने लगा !

देखते ही देखते हम दोनों एक दूसरे की रगड़ से उत्तेजित होने लगे, कमल मुझे पूरे जोर शोर और तेज़ी से चोदने लगा। दो मिनट में ही मैं एकदम से अकड़ गई और जोर से चिल्लाई- उंहह्ह्ह… उंहह्ह्ह.. ओह्ह… मैं तो गई.. मैं तो गईई.. गईईई.. गईई..!

इसके बाद मेरी चूत ने कमल के लौड़े को बहुत कस कर जकड़ लिया और अंदर खींच लिया तथा अपना पानी छोड़ दिया।उसी समय कमल का लौड़ा भी फड़का और उसकी पिचकारी की छह-सात धारा छूटीं !

देखते ही देखते मेरी चूत हम दोनों के रस से लबालब भर गई और रस बाहर भी बहने लगा !
बदन के अकड़ने और चूत में खिंचाव की वजह से मेरी टाँगें कांपने लगी थी, जिससे कमल का लौड़ा बाहर आ गया और मैं वहीं नीचे जमीन पर ही बैठ गई। कमल भी मेरे पास बैठ गया और मेरी टाँगें पकड़ कर दबाने लगा। कुछ देर के बाद मैं संभली और फिर हमने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया तथा बेड पर आकर लेट गए !

कमल ने मेरे बदन को अपने साथ चिपका कर पूछा कि मुझे क्या हो गया था, तब मैंने बताया कि मुझे अब तक की सबसे बढ़िया खिंचावट हुई है, कल रात से भी ज्यादा, बहुत ज्यादा !

इसके बाद कमल मुझसे लिपट गया और हम नींद के आगोश में खो गए।
इसके बाद रात बारह बजे और सुबह पांच बजे हमारी नींद खुली तो हमने दोनों बार भी चुदाई की ! यही सिलसिला शुक्रवार सुबह तक भी चलता रहा ! उन चार रातों में मैंने और कमल ने तेरह बार चुदाई की थी।

उसके बाद जब जब कमल भोपाल आया तब तब हमने मौका देख कर चुदाई की !
आज सुबह कमल तीन दिनों के लिए भोपाल में ट्रेनिंग पर आया हुआ है और अभी ऑफिस गया हुआ है, सौभाग्य से मेरे पति भी इन दिनों बाहर गए हुए हैं, इसलिए हमें अगले तीन रातों को बिना डर के खुल के चुदाई कर सकते हैं।

अब तो मैं आने वाली तीन रातों में कम से कम नौ बार तो ज़रूर चुदवाऊँगी और इसी की तैयारी भी कर रही हूँ ।

मेरी चूत को हर रात चुदने की आदत पड़ गई है Jija Saa Ki Chudayi Ki Kahani

मैं शालिनी राठौर, 32, जयपुर, विवाहित, 36-32-38, बहुत सुंदर गोल सुडौल भरे हुए मम्मे, 8 साल पहली शादी हुई थी, एक बिटिया 6 साल की है, अब फ़िर से प्रेग्नेंट हूँ, अब तक दस लौड़ों से चुद चुकी हूँ।

सारे लंड मैंने शादी के बाद लिए हैं। ऐसा नहीं कि मेरे पति का लंड छोटा है या वो मस्त नहीं चोदते, उनके लंड का आकार 7″ 2.5″ है बहुत दमदार चुदाई करते हैं वो, पर मेरी परेशानी यह है कि वो बैंक जॉब में हैं और हफ्ते में 3-4 दिन बाहर रहते हैं… और मेरी चूत को हर रात चुदने की आदत पड़ गई है… तो पाठको, आप ही बताओ कि किसी और से ना चुदूँ क्या… इस बहाने अब तक 10 लौड़ों को अपना योनि स्नान तो करवा चुकी हूँ… और आगे भी 20-30 लौड़ों को अपनी चूत में संगम बनाने का इरादा रखती हूँ… चाहे मेरी चूत उनसे ठण्डी हो या ना हो पर उन लण्डों को भी मेरी फ़ुद्दी में गोते लगाने को मिल जाएँगे !

आप लोग मुझे कहेंगे कि मैं अपने पति से दगाबाज़ी कर रही हूँ… उनको धोखा देकर चुद रही हूँ… पर मैं अपनी जगह मज़बूर हूँ… साला लंड है ही ऐसी चीज़ एक बार मिला तो चूत बार बार उसको मांगती है… पर मैं इतनी बड़ी धोखेबाज़ भी नहीं हूँ… मेरे बेटी मेरी पति का बीज़ है और अब जो बच्चा मेरे पेट में है वो भी पति का ही है।

मैं अब अपनी शादी से पहली की याद ताज़ा करती हूँ। 2003 में बी.ए फाइनल ईयर में अपने माता पिता के साथ जोधपुर में थी कि तभी किसी परिचित ने मेरे पेरेंट्स को अजय की बारे में बोला कि लड़का बहुत अच्छा, सुंदर सुशील, लम्बा कद, बैंक में अच्छे पद पर जॉब, जयपुर में रहता है। बात आगे चली तो मैंने भी हाँ कह दी और हमारी सगाई हो गई और शादी की तारीख भी तय हो गई।

मेरी एक सहेली निशी है बहुत हंसमुख और अच्छे स्वभाव की है वो, उसकी शादी कुछ दिन पहली जोधपुर में ही हो गई थी… वो मुझे अपनी पति द्वारा चुदाई की बातें सुनाती थी तो मेरी चूत गीली हो ज़ाती थी। उसने मेरे लिए अपने दूर की भाभी रेणु जिसका ब्यूटी पार्लर जोधपुर में ही था, मेरी शादी के शृंगार के लिए तय कर दिया। हमारे यहाँ प्रथा है कि दुल्हन का शादी से 9 दिन पहले ही घर से निकलना बंद कर दिया जाता है इसलिए वो शादी वाले दिन सुबह ही हमारे घर निशी के साथ पहुँच गई।

निशी- रेणु भाभी, आज़ शालिनी को इतना सुंदर तैयार करना कि अजय जीजू शालिनी को एक परी समझें और देखते ही बेहोश हो ज़ाएँ…

रेणु- तू फिकर मत कर… तुझे भी तो मैंने ही तैयार किया था ना ! और नंदोई सा का तेरी सुहागरात को जो हाल हुआ था, और जो हाल नन्दोई सा ने तेरा किया था, उससे भी कहीं अधिक मजे लेगी शालिनी…

निशी- शालिनी, मैं अब चलती हूँ ! मैं टेलर के सिर पर बैठूँगी तभी वो मेरा ब्लाउज़ सिलेगा जो मुझे आज़ तेरे शादी में पहनना है।

यह कहते हुई निशी बाहर चली गई, रेणु भाभी ने कमरा बंद किया और अपना बॉक्स में से सामान निकलना शुरू किया…

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई, वो निशी थी- भाभी एक मिनट दरवाज़ा खोलो, मैं शालिनी को तैयार करने की लिए बहुत जरूरी चीज देना तो भूल गई…

भाभी ने दरवाज़ा खोला तो निशी ने पहले भाभी को आँख मारी और एक छोटी बोतल जिस पर लिखा हुआ था इलेक्शन कमीशन और एक तख्ती लिखने की कलम जैसी दी और बोली- मैं मम्मी के सामान से इस दिन की लिए चुरा कर लाई थी… और ज़ल्दबाज़ी में आपको देना भूल गई थी…

मैं उन दोनों की आँख मिचौली को एक उल्लू की तरह देख रही थी… तो मैंने कहा- ऐसी कौन सी ब्यूटी क्रीम है जो तेरी टीचर मम्मी के पास ही स्पेशल मिलती है…

तो दोनों बहुत ज़ोर से हंस दी और भाभी ने फट से वो बोतल और कलम अपने बॉक्स में रख दी और निशी को बाहर धकलते हुए दरवाज़ा बंद कर दिया।

निशी- हैं भाभी, अपना वायदा याद है ना? मुझे फ़ोटो चाहिएँ… याद से तैयार कर लेना !
रेणु भाभी मुझे तैयार करने में जुट गई… मैनीक्यूर, पेडिकयोर, वैक्सिंग और ना ज़ाने क्या क्या किया उन्होंने ! मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी झाँटें हेयर रिमूविंग क्रीम से साफ की, मेरी चूत बिल्कुल मखमली बना दी… ऐसा लगता था कि चूत ना हो बल्कि दो पाव रोटी जोड़कर रखी हुई हैं।
रेणु- शालिनी, मैंने अब तक कोई 30 दुल्हनों को तैयार किया है पिछले 8 साल में ! पर तेरे जैसी सुंदर और मस्त चूत किसी की भी नहीं थी… तेरा पति भाग्यवान है जो इतनी सुंदर चूत मिल रही है उसे !

यह कहते हुए उन्होंने मेरे चूत पर पहले तो हाथ फेरा और फ़िर बहुत ज़ोर की चुम्मी ली…

मैं तो शर्म सी पानी पानी हो गई। मैं सोच रही थी कि क्या मेरा पति भी मेरी चूत को ऐसे ही चूमेगा…?

फ़िर भाभी ने कहा- अब 5 मिनट चुपचाप लेटी रहना और आँखें बंद कर लो ! अब मैं एक सरप्राइज़ आइटम तैयार करूँगी।

वो मेरी चूत पर 5-7 मिनट तक किसी चीज को चुभाती रही शायद वो चूत पर किसी मोटी कलम से कुछ लिख रही थी…

मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी… पर मैं पियामिलन की चाह में वो सब सह गई… फ़िर उन्होंने मेरी टाँगें पूरी चौड़ी कर दी कि मेरी चूत फटने को हो गई, और 3-4 बार क्लिक की आवाज़ आई, शायद वो मेरी चूत की पस्वीरे ले रही थी… मैंने सोचा कि भाभी अपनी मार्केटिंग के लिए मेरी सुंदर चूत की तस्वीरें उतार रही है तो मैंने कुछ नहीं बोला।

रेणु- आँखें खोलो और देखो मेरे फ़ोन में किसकी तस्वीरें हैं…

यह कहते हुए उन्होंने मेरी आँखों के सामने अपना फ़ोन कर दिया… मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए… उनके सेलफोन में मेरी चूत की 4-5 बहुत स्पष्ट तस्वीरें थी और चूत के ऊपर दाईं और बाईं तरफ़ कुछ लिखा हुआ था…

मैं फट से उठ गई और अपनी चूत को देखा तो हैरान रह गई… वहाँ लिखा हुआ था-

CHUT OF SHALINI JUST for U !!!

पहले तो मुझे कुछ गुस्सा आया कि मेरी चूत बिगाड़ दी, वो भी चुनाव में प्रयोग होने वाली ना मिट सकने वाली स्याही से… पर थोड़ी देर में सब समझ गई… और फ़िर मैं और रेणु भाभी दोनों हंसते-हंसते लोटपोट हो गई…

भाभी मुझे ड्रेसिंग टेबल के पास ले गई और कहा- अब देख ले अपनी चूत को ध्यान से…
और मैं अपनी ही चूत को देखकर शर्म से पानी हो गई… और भाभी के गले लग गई, उनको चूमने लग गई और साथ साथ बोले ज़ा रही थी- यू आर ग्रेट… यू हव डन अ वंडरफुल जॉब…

फ़िर मेरा विवाह बहुत धूमधाम से हुआ, विवाह में निशी की पहचान अजय सी हो गई थी। मैं विदा हुई और ससुराल आ गई।

मैं अपनी ही चूत को देखकर शर्म से पानी हो गई… और भाभी के गले लग गई, उनको चूमने लग गई और साथ साथ बोले ज़ा रही थी- यू आर ग्रेट… यू हव डन अ वंडरफुल जॉब…

फ़िर मेरा विवाह बहुत धूमधाम से हुआ, विवाह में निशी की पहचान अजय सी हो गई थी। मैं विदा हुई और ससुराल आ गई।

हमारे यहाँ रिवाज़ है कि पहली रात को देवताओं की पूजा होती है इसलिए सुहागरात उससे अगली रात को मनाई ज़ाती है।

अगली रात को मुझे अजय के कज़न की पत्नी ने सजाया, मुझे लाल रंग का लहंगा-चोली पहनाया और फ़िर मुझे हमारे कमरे में छोड़ आई… तभी गर्म दूध का एक लोटा और मेवों की प्लेट भी रख गई।
भाभी ने अजय को आँख मारी- दुल्हन बहुत नाज़ुक है… सारी रात है तुम दोनों के पास… बस थोड़ा धीरे धीरे…

अजय ने भाभी के चरण छूकर आशीर्वाद लिया और भाभी खिलखिलाती हुई कमरे से बाहर चली गई और बाहर से कुण्डी भी बंद करती गई।

अजय ने मेरा स्वागत किया और मुँह दिखाई में मुझे घड़ी दी। कुछ देर तक वो मेरी घर परिवार की बातें करते रहे, मैंने पाया कि वो बहुत अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं। फ़िर उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा तो मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया।

फ़िर उन्होंने मेरी ज्वेलरी उतारने में मदद की और मुझे अपने बहुपाश में कस लिया। मैं तो इस बाहों के बंधन में ही बहुत उल्लासित हो गई।

अजय ने उठकर लाइट बंद कर दी और नीले रंग का एक छोटा नाइट लैम्प जला दिया, उससे माहौल एकदम सेक्सी बन गया।

हमने लोटे से ही एक बार अजय और एक बार मैंने दूध पिया, ड्राइ फ्रूट भी प्यार वाले तरीके से खाए। अजय मेरे होंठों के बीच बादाम देते थे, मैं उसका आधा हिस्सा कुतर लेती थी, बाकी आधा हिस्सा वो मेरे होंठों से खुद ले लेते थे और खा लेते थे।

अब मैं और अजय एक दूसरे से काफ़ी खुल गए थे, अजय ने मेरी चोली और लहंगा उतार दिया और खुद भी अपना कुर्ता और पाजामा भी…
मुझे बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि मेरे नीचे के दोनों वस्त्र बहुत छोटे और पारभासक थे। मेरे बहुत विरोध करने के बावजूद भी इतनी छोटी और आरपार दिखने वाले अन्तःवस्त्र लेने पड़े मुझे… निशी की जिद पर !
गुलाबी रंग की पैंटी थी, जो मेरी चूत को भी शायद नहीं ढक पा रही थी… और लाल रंग की लेस वाली जालीदार ब्रा… जिसमें मेरी सुडौल चूचियाँ आधी से ज़्यादा बाहर दिख रही थी।

मैंने अजय के कसरती बदन देखा… और यह भी देखा कि उनका लंड अब तक कुछ तन गया था… अजय ने मेरे गोल मटोल बूब्स की तारीफ़ की, कहा- वाह, तुम तो ज़न्नत की हूर हो !

अब ड्राइ फ्रूट प्लेट में सिर्फ़ तीन छुहारे बचे थे… अजय ने एक छुहारा मेरे मुँह में आधा दिया, मैंने उसको अपने दांतों से कस कर पकड़ लिया… अजय अपना मुँह मेरे होंठों के नज़दीक लाए और बाकी का आधा अपने मुँह से पकड़ लिया… मैं उनके मुँह का अपनी मुँह से स्पर्श पाकर सिहर उठी थी… उन्होंने उस छुहारे को काटने के लिए बहुत ज़ोर से अपना मुँह पीछे किया, मैं उस अप्रत्याशित झटके के लिए तैयार नहीं थी, मैं धड़ाम से जाकर अजय की गोदी में गिर गई… मेरे बूब्स जो अब तक नुकीले हो चुके थे… पहली अजय के चौड़ सीने से टकराए और फ़िर गोदी से… इस छीना झपटी में दोनों के मुँह से वो छुहारा निकल गया और सीधा अजय के अण्डरवीयर पर लिंग के उभार पर टिक गया। यह देख कर हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़े… अजय ने फट से मेरा चेहरा अपने अंडरवीयर पर झुकाया मुझे होंठों से उस छुहारे को मुंह में लेने को कहा।
मेरा नाक सीधे इनके लण्ड से टकराया और लौड़े की एक मादक सी गन्ध मेरे नथुनों में घुस गई। मैंए अपने होंठों से छुहारे को उठाया और झट से उसको चबा लिया और ऐसा इशारा किया कि मैं आधा छुहारा अजय के लिए मुँह से निकाल रही हूँ…

अजय बोले- डियर, तुम खाओ इस छुहारे को ! मेरे पास अब भी दो हैं प्लेट में ! मैं उन दोनों को खाऊँगा पर यहाँ रख कर !

मेरे बूब्स को छूते हुए और मेरी चूत पर उंगली रखते हुए बोले वो !

शालिनी- धत्त… बहुत बदमाश हो… मुझे शर्म लगती है ये सब करते हुए !

अजय अपने लण्ड को छूते हुए बोले- मेरे यहाँ से खाते हुए तो कोई शर्म नहीं आई?

और तुरंत एक छुहारा मेरी ब्रा की अंदर कसे हुए बूब्स के बीच में डाल दिया… मेरे दोनों उरोजों को अपने दोनों हाथों से कस कर एक दूसरे के नज़दीक मिला दिया और फ़िर चूहारे को जैसे मेरे दोनों स्तनों से पीस देंगे, इस तरह मसलने लग गए…

और मैं शर्म सी दोहरी हुए ज़ा रही थी… मेरे अपने हाथों से उनके हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी और उस कोशिश में मेरे दोनों हाथों में पहनी हुई चूड़ियाँ एक मधुर और मादक ख़न… खन्न… तन्न्न… की आवाज़ वाला संगीत पैदा कर रही थी…

मुझे निशी ने एक बार एक सेक्स फिल्म दिखाई थी जिसमें हीरो अपना लंड हिरोईन के मोटे चूचों के बीच डाल कर घिस रहा था और दोनों को बहुत आनन्द आ रहा था। मेरे दिमाग़ वो नजारा याद आ गया और मुझे भी मेरे बूब्स के दो पाटों वाली चक्की से पिसते हुए छुहारे में बहुत आनन्द आ रहा था। और छुहारा तो कुछ खुरदुरा होता ही है… तो उसका खुरदरापन मुझे बहुत आनन्दित कर रहा था।

अजय ने मेरे ब्रा में हाथ डाला छुहारा निकाला और गप्प से अपने मुँह में रख लिया…

तभी मेरे फ़ोन की घण्टी बज़ी, मैंने देखा कि निशी का फ़ोन था… मैंने काट दिया…

अजय ने मुझे कहा- किस यार का फोन है? उठा लो ना ! शायद बेचारे को पता नहीं होगा कि तुम्हारी शादी हो गई है…

मैंने अपनी आँखें अजय की तरफ तरेरी ही थी कि फोन फ़िर से बजने लग गया…

मैंने बहुत गुस्से से कहा- निशी, तुझे मालूम है ना कि आज़ हमारी सुहागरात है, तुझे शर्म नहीं आती हमें तंग करते हुए?

तब तक अजय ने फ़ोन मेरे हाथ से छीन लिया और बोले- साली साहिबा, क्या साढू भाई घर पर नहीं हैं जो नींद नहीं आ रही?

यह कहते हुए अजय ने सेल स्पीकर मोड पर कर दिया।

निशी- वो आज़ कुछ ज्यदा थके हुए हैं, फटाफट काम निपटाया और सो गए… आप सुनाओ कहाँ तक पहुँची आपकी सुहागरात…? मुझे एक शेर याद आ रहा था तो मैंने फोन लगाया कि तुम दोनों को सुना दूँ…
ऐ ग़ालिब तू गोरों पर ही क्यों मरता है… मंजिले मक़सूद तो सबकी काली है…

तो जीजू, पहुँचे मंजिले मक़सूद पर या अभी नहीं?
अजय- यार निशी, तुमने अच्छी तरह से ट्रेंड नहीं किया अपनी सहली को… बहुत शरमा रही है बेचारी…
निशी- जीजू, इसकी मंज़िली मक़सूद बिल्कुल गोरी चिट्टी थी, तो मैंने ही वो काली कर दी…
अजय- क्या किया काली करने के लिए तुमने… क्या साढू भाई से तो नहीं चुदवा दिया बेचारी को?
निशी- जीजू, नहीं मैंने वो सब तुम्हारे लिए सुरक्षित रखा हुआ है… तुमने अभी शायद लंका पर हमला नहीं किया ! नहीं तो खुद समझ जाते…
अजय- मैं तो समझा कि साढू भाई ने अपनी साली को ज़न्नत दिखा दी होगी ! आख़िर वो भी तो जीजू है शालिनी का !

निशी- मेरे वो ऐसे नहीं है जीजू… वो बहुत शरीफ आदमी हैं।

अजय- अरे रहने दो उनकी शराफत… मौका ही नहीं लगा होगा, तू मुझे मिल जाए तो मैं तो तुझे पेले बिना नहीं छोड़ूँगा।

निशी- पहली अपनी बीवी को तो पेलिए…

अजय- बस पेलने वाला हूँ… तू अब फोन बंद तो कर…

शालिनी- निशी, तुझे शर्म नहीं आती ये सब बकवास अपनी जीजू से करते हुए… तुझे क्या हक है ऐसी बेहूदगी भरी बातें करने का?

निशी- तू नाराज़ ना हो… जीजू, अब जल्दी से अपनी गुल्ली डालो शालु की पिल्ली में… मैं एक घण्टे बाद दोबारा फोन करूँगी तुम दोनों का हाल चाल पूछने के लिए… और जीजू फोन बंद नहीं करना ! मैं बहुत बेताब हूँ…

अजय- अरे मैं तुम्हें खुद फोन लगा लूँगा कोई 1 बजे… तुम इन्तज़ार करना… अभी के लिए बाय !

“विश बोथ ऑफ यू अ नाइस सुहागरात !”

तब तक अजय का फनफ़नाता हुआ लंड ठण्डा हो गया था… पर वो इस फोन कॉल के बाद से बहुत ज़ल्दबाज़ी में थे मेरी लंका पर धावा बोलने के लिए…

उन्होंने अपना अंडरवीयर और बनियान दोनों उतार दी और अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोले- इस को मुँह में डाल कर चूसो… इसको खड़ा करो…

मैंने इन्कार में सिर हिला दिया… तो अजय ने ज़बरदस्ती मेरी हाथ में दे दिया… और मुझे जीवन में पहली बार लंड पकड़ते ही करेंट सा लगा।

थोड़ी देर में ही वो लंड मोटा और लंबा हो गया… और छत की तरफ देखने लगा… मैं अंदर से बड़ी खुश थी कि मुझे इतना सुंदर लंड मिला है…

जब तक मैं लंड खड़ा करती, तब तक अजय ने मेरी लगभग नंगी पीठ, मुँह, गले पर चूम चूम कर मेरा बुरा हाल कर दिया था और एक हाथ से वो मेरे मोटे चूतड़ों को और मेरी चूत पर फ़िराते रहे जिससे मेरे सारे बदन में झुरझरी पैदा हो रही थी। जब लंड पूरी तरह से तैयार हो गया तो अजय ने फट से मेरी ब्रा की हुक खोल दी और ब्रा मेरी गोदी में आ गिरी। फ़िर उन्होंने फटाफ़ट मेरी पैंटी भी उतार दी जिसमें मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा कर उतारने में पूरा सहयोग दिया।

तभी अजय की निगाह मेरी चूत पर लिखे हुए काले अक्षरों पर पड़ी तो वो बहुत खिलखिलाकर हंस दिए और बोले- वाह निशी, तुम भी मेरी कमाल की साली हो !

तो मैंने संक्षेप में वो घटना सुनाई जब मुझे तैयार करने के लिए ब्यूटी पार्लर वाली भाभी आई थी।

अजय ने मुझे नीचे सीधा लेटा दिया… मेरे टांगों के बीच आए और मेरी चमकती हुए चूत की चुम्मी ली, मेरे कूल्हों के नीचे एक तकिया लगा दिया जिससे मेरे चूत का चीरा पूरी तरह से खुल गया। वो मेरे ऊपर झुके, अपने फनफनाते हुए औजार को चूत के मुँह पर फिट किया और एक ज़ोर का धक्का मारा… पर उनका वो खम्बे जैसा हथियार फिसल कर मेरी गाण्ड के छेद पर रुक गया…

फ़िर से इन्होंने अपने लंड को मेरे छेद पर सेट किया पर इस बार भी लंड फिसलकर मेरी पेट की तरफ जहाँ चूत लिखा हुआ था, वहाँ जाकर आराम फरमाने लगा…

मुझे लंड जल्दी से अपनी चूत के अंदर लेने की बेचैनी

हो रही थी इसलिए मैंने अपना हाथ बढ़ाकर लंड को चूत के मुँह पर सेट किया और अजय को धक्का मारने का इशारा किया… और लंड मेरी चूत को चीरता हुआ लगभग आधा अंदर चला गया… अजय ने लंड इतना बाहर खींचा कि लंड का सिर्फ़ सुपारा चूत के अंदर था और फ़िर एक ज़ोर का धक्का मारा और 7 इंच का लौड़ा पूरा का पूरा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया… एसा लग रहा था कि कोई लोहे की छड़ गरम करके मेरी चूत में ठोक दी हो।
कुछ रक्त भी निकला और मैं दर्द से चिल्लाने लगी और बोली- निकालो इसको बाहर ! मैं मरी ज़ा रही हूँ…

मेरे चिल्लाने से अजय का जोश दुगुना हो गया और मेरे चूत में दनादन लण्ड डालने और निकालने लगे ! और तो और मेरे दोनों मोटे भरवां मम्मों को भी बहुत तेज़ी सी मरोड़ने लगे।

में इस दोहरे हमले से परेशान हो गई और चिल्लाने लगी…

तब अजय ने मेरी चूचियों को छोड़ दिया और एक हाथ मेरे मुँह पर रख दिया ताकि मेरे चिल्लाने की आवाज़ बाहर ना ज़ा सके…

वो बेरहमी सी मेरे चूत को रौंदते रहे।

कोई 5 मिनट की चुदाई के बाद मुझे भी अब लण्ड का चूत के अंदर आना जाना अच्छा लगने लगा और मैं आ…आआ…आआह… आअ… उउ…ऊहह… करके सिस्कारियाँ भरने लगी।
मैं अब अपने चूतड़ नीचे से उठा रही थी ताकि लण्ड पूरा मेरी चूत में ज़ा सके…
तब अजय ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और फ़िर से मेरी चूत की धुलाई शुरु कर दी… और अगले 10 मिनट तक मेरे चूत को धुनते रहे…उनके टट्टे जब मेरी चूत पर मार करते तो कमरे में मधुर आवाज़ आ रही थी… टप्प… ठप्प्प्प… तदाप्प्प…

अब मैं बोली- अजय, मुझे कुछ हो रहा है ! मेरे छेद से पानी निकल रहा है…
तो अजय ने भी घोषणा कर दी कि वो भी झड़ने वाला है..

और मेरे चूत की दीवारों से पानी के फव्वारे से छूटने लगे और मैं खुशी के मारे पागलों की तरह आ आआ…आआ…अहह… उउ…ऊहह… उम्म्म्म मह बहुत ज़ोर से कर रही थी… मेरा सारा शरीर कांप रहा था… तब अजय ने भी एक जोरदार चीख मारी और मेरी चूत में उन्होंने अपने गाढ़ी रबड़ी की 6-7 पिचकारियाँ छोड़ दी… मेरे चूत अब तक पूरी तरह से उनके लंड की सफेद मलाई से भर चुकी थी… अजय का शेर बना हुआ हथियार अब एक छोटा चूहा बन गया था और फिसलकर चूत के मुँह पर आ गया था और अजय मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गए, मुझे कसकर अपनी बहुपाश में ले लिया…

दोनों की सांसें बहुत तेज़ी से चल रही थी… मुझे अपने चूतड़ों के नीचे गीला चिपचिपा सा महसूस हो रहा था तो मैंने अपनी योनि को अपनी पास पड़ी हुए पैंटी से हाथ डालकर साफ कर दिया…मेरी चूत में से सफेद मलाई और चूत से निकले खून मिल कर लाल रंग का तरल मेरी पैंटी पर लग गया था।

तब अजय मेरे ऊपर से उठ गए और अपने सने हुए लंड को मेरी ब्रा से ही साफ कर दिया।
तभी मेरे सेल की घण्टी बज़ उठी, अजय ने सेल मेरे से छीन लिया और स्पीकर मोड पर कर दिया..
अजय के हेलो कहते ही निशी बोली- जीजू, बहुत खुश लग रहे हो… तो देख ली ना काली मंजिले मक़सूद? हैं? … हा… हा !

अजय- हाँ साली जी, तुमने बहुत अच्छा एफर्ट किया है… मैं बहुत खुश हूँ, तुम्हारा बहुत धन्यवाद… तुमने हमारी सुहागरात को कामयाब बना दिया इसकी पिल्ली पर लिख कर !
निशी- मैं अब आपसे हीरे की अंगूठी लूंगी इस सारी मेहनत के लिए… और शालिनी से तो बात करवाओ !
शालिनी- हाँ बोल, तेरे जीजू बहुत खुश हैं आज़…

निशी- वो तो होंगे ही ! उनको सील बंद डिब्बा जो मिला खोलने के लिए… पर यह तो बता कि उनका हथियार है कैसा… बोल जल्दी !

शालिनी- मेरी आवाज़ से नहीं जान पाई क्या कैसा है हथियार… बाकी जब मैं परसों जोधपुर आऊँगी तो बता दूँगी सब कुछ… बस तो अब सेल ऑफ कर दे जल्दी… हम अभी निपटे हैं… मुझे जल्दी वॉश रूम जाना है।
निशी- ओके ऐण्ड विश बोथ ऑफ यू द बेस्ट फॉर रेस्ट ऑफ द नाइट…
और उसने फ़ोन बन्द कर दिया।

उसके बाद सारी रात में हमने दो बार और चुदाई की और एक बार मैंने उनका लंड चूसा और उन्होंने मेरी चूत !

एक किरायेदार Hindi English Adult Sex Kamuk Stories

सर्द रात थी, कभी-कभी बाहर हाड़ को कंपा देने वाली बर्फीली हवाएँ पत्तों से टकरा कर रात की नीरवता को चीरती हुई डरावनी शोर उत्पन्न कर रही थी, यह शोर किसी बेबस की चीत्कार सी लग रही थी। यह भयावह शोर मेरे भीतर एक अनजानी सी सिहरन पैदा कर रहा था।

रात का एक बज रहा होगा, मैं कम्प्यूटर पर नेट-सर्फिंग कर रही थी, मुझे नींद भी नहीं आ रही थी। मेरा कमरा बहुत बड़ा है जिसे पापा ने बीच से लकड़ी के तख्तों से दो हिस्सों में विभाजित करवा दिया था एक हिस्सा मेरे पास था, दूसरी ओर एक किरायेदार रमाकांत पाण्डेय रहते हैं, वो हमारे पैतृक गाँव के रहने वाले हैं, वो दो महीने पहले ही हमारे घर पर किरायेदार के तौर पर आये थे। वो 48 वर्ष के हैं और यहाँ अकेले ही रहते हैं, उनका परिवार गाँव में ही है।

कम्प्यूटर को बंद करके जब मैं सोने जाने लगी तो तो मेरी नज़र अचानक लकड़ी वाली दीवार पर गई, तो मैं एकदम से डर गई, वहाँ पर एक काला, मोटा सा सांप जैसा कुछ नजर आया, मैंने डरते हुए नजदीक जाकर देखा तो पता चला कि वो लिंग था, किसी मर्द का पूर्ण उत्थित जननांग ! मैं समझ गई कि यह रमाकांत अंकल का ही हो सकता है।

मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रमाकांत अंकल ऐसे होंगे। लकड़ी की दीवार में एक छेद है, जो लकड़ी की गाण्ठ निकल जाने से हो गया था, छेद को बंद करवाने की कभी जरूरत महसूस नहीं हुई थी।
मैं सहमते हुए उस लिंग के और नजदीक गई क्योंकि अब मेरा डर उत्सुकता में बदल गया था।

अंकल का लिंग अविश्वसनीय रूप से मोटा और काफी लम्बा था, लिंग एकदम गुस्सैल नाग की तरह फुफकारता हुआ, हिलता हुआ दिख रहा था। लिंग का सुपारा अत्यंत ही फ़ूला हुआ दिख रहा था, सूजा हुआ ऐसा लग रहा था। इतने विशाल, एकदम काले लिंग को देख कर मेरी चूत के दोनों ओंठ डर के मारे थरथर काँपने लगे, उसके घने बाल सिहरन के मारे एकदम झनझना कर खड़े हो गये, योनि से कुछ चिकना सा निकलने लगा।

फिर मैंने डरते हुए उस लिंग हल्के से स्पर्श किया, फिर डर थोड़ा कम हुआ तो मैंने उसको अपने हाथों से पकड़ लिया, वह विशाल लिंग मेरे हाथ के स्पर्श के बाद और भी मोटा और सख्त हो गया था, लिंग को पकड़ने में मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था।

फिर मैंने उत्सुकतावश लिंग के सुपारे के आवरण को हटाया तो मैं एकदम से डर गई क्योंकि वो एक अंडे जितना बड़ा था। इतना बड़ा सुपारा तो मैंने ब्लू-फिल्मों में भी नहीं देखा था। उसके छेद से कुछ चिकना सा तरल पदार्थ निकल रहा था, जिसे मैंने छू कर देखा तो मुझे वो चिपचिपा सा लगा।

यह सब करते हुए मेरे दिल की धड़कन एकदम से तेज हो गई, और गर्म सांसें चलने लगी थी, मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया, पैन्टी एकदम गीली हो गई थी।

अंकल के लिंग का अत्यंत विशाल सुपारा मुझे दिखने में बहुत ही प्यारा लग रहा था तो मैंने हिम्मत करते हुए सुपारे पर अपने गुलाबी, नाजुक होठों से एक चुम्बन ले लिया। मेरे चुम्बन लेने से लिंग का आकार और भी दैत्याकार हो गया।

ऐसा करने से मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई थी, मैंने अंकलजी के मोटे सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, चाटने से उनके लिंग से कुछ चिकना सा निकलने लगा था, जिसे मैं चाट गई फिर मैंने उसे थोड़ा सा मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, अत्यंत मोटा होने के कारण मैं उसे मुँह में ले ही नहीं पा रही थी।
तभी एक झटके से विशाल सुपारा मेरे होंठों को चीरते हुए मेरे मुख में घुस गया, मुँह में घुसने के बाद मैं उसे बहुत प्यार से अपनी जीभ से सहलाने लगी। थोड़ी देर के बाद फिर एक हल्का सा धक्का आया और आधा लिंग मेरे मुँह में घुस गया, इतने मोटे लिंग को मुझे अपने मुँह में लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी, लेकिन मैं उसे किसी तरह से चूस रही थी।

लिंग चूसते समय अनायास ही मेरा हाथ मेरी पैंटी में घुस कर अत्यंत घने बालों वाली योनि की फाँकों को सहलाने लगा था। करीब 10 मिनट तक चूसने के बाद उस लिंग ने मेरे मुँह में एक गर्म सी मलाई छोड़ दी, वैसे तो यह मेरा प्रथम अनुभव था परन्तु वो कहते हैं ना कि ‘शादी नहीं हुई तो क्या, बारातें तो बहुत देखी हैं !’ मैंने बहुत सी ब्ल्यू फ़िल्में देख रखी थी, और अन्तर्वासना की कहानियाँ तो हर रात मेरी हमबिस्तर होती थी, गर्म-गर्म मलाई का स्वाद मुझे कुछ अजीब सा लगा, मितली होने को भी हुई पर उसे मैं यौनामृत समझ कर पी गई।
अगले दिन सुबह जब मैं रमाकांत अंकल से मिली तो उन्होंने मुझसे इस तरह से बात की कि जैसे बीती रात कुछ भी नहीं हुआ था। सुबह ही मेरे मम्मी-पापा मुजफ्फरपुर चले गए क्योंकि आज वहाँ मेरे दादाजी के हर्निया का ऑपरेशन होने वाला था, घर में केवल मैं और निशा भाभी थी, भैया अपने ऑफिस के काम से दिल्ली गए हुए थे।

दिन भर मैं रात होने का इंतज़ार करने लगी, मेरे ध्यान में रमाकांत अंकल का मोटा लिंग आते ही मेरी मासूम योनि में कम्पन शुरू हो जाती और योनिरस निकलने लगता, दिन में तीन बार मैं अपनी पैंटी बदल चुकी थी।
रात करीब 10 बजे जब मैं अपने कमरे में आई तो मेरी नजर सबसे पहले उसी छेद पर गई, वहाँ पर सामान्यतः दिखने वाली रोशनी नहीं थी, मुझे लगा कि उस पार कोई है छेद के पास !इसका मतलब यह था कि छेद से अंकल मुझे देख रहे थे। परन्तु मैंने अपनी सामान्य गतिविधी जारी रखी, मैंने अपने सोने वाले वस्त्र पहनने थे तो मैं एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी। मैं जानबूझ कर छेद के सामने चली गई और अंकलजी को अच्छे से अपने नंगे जिस्म को दिखाने लगी, इतने में अंकलजी ने उस छेद से अपने सख्त लिंग को बाहर निकाल दिया, जिसे देखकर मेरे शरीर में जैसे एकदम से करंट दौड़ गया हो।

मैं छेद के पास जाकर अंकल का लिंग पकड़ कर उसे बेतहाशा चूमने लगी फिर उसका सुपारा को खोल कर उसपर अपने होठों की एक गर्मा-गर्म छाप दी, उसे अपनी मुट्ठी में भींच कर आगे-पीछे करने लगी।
फिर मैं अंकल के लिंग को अपने जीभ से चाटने लगी। लिंग को चाटने से रह-रह कर मेरी चूत के दोनों कोमल ओंठ एकदम फड़कने लगे। मैं अंकल का लिंग अपने मुंह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगी। दीवार के दूसरी ओर से भी अंकल की सिसकारियाँ स्पष्ट सुनाई दे रही थी।

अब मैं इससे आगे कुछ करना चाह रही थी, मैंने अपने बिस्तर को उस लकड़ी की दीवार से सटा दिया और मैं दीवार के सामने अपनी टांगों को फैला कअर इस तरह बैठ गई कि अब अंकल का लिंग और मेरी योनि एकदम आमने-सामने थी। मैंने अपनी योनि की दोनों होंठों को चीर के उसे अंकलजी के लिंग पर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी तो मेरी योनि से योनिरस निकलने लगा।

अब मैंने अपनी 4 इंच लम्बी दरार वाली योनि को एकदम से चीर के अपनी चूत की छेद को अंकल के भीमकाय सुपारे पर एकदम से सटा कर उसे रगड़ने लगी, फिर मैंने थोड़ा ताकत लगा के उसे अपनी योनि में समाने का प्रयास किया परन्तु सुपारे का आकार बड़ा होने कारण अन्दर नहीं घुस पाया, मैंने 3-4 बार थोड़ा और ताकत लगा के प्रयास किया लेकिन हर प्रयास असफल ही गया।

उस समय मुझे लग रहा था कि कैसे मैं अंकलजी का पूरा लिंग अपने चूत में पूरा समा लूँ। उत्तेजना से मेरी पूरी जिस्म एकदम गर्म हो चुका था। तभी अंकल ने छेद से अपना लिंग निकाल लिया और छेद के पास अपना मुँह लाकर बोले- बेटी पायल, कान यहाँ लगा कर मेरी बात सुनो !

जब मैं अपना कान वहाँ पर ले गई तो अंकल ने कहा- पायल, मेरा लिंग बीमारी के कारण अत्यंत मोटा हो गया है, यह अब ऐसे तुम्हारी चूत में ऐसे नहीं घुसेगा। तुम अपनी योनि में ढेर सी वेसलीन लगा कर घोड़ी बनकर छेद में अपनी योनि को सटा दो। इस तरह से तुम्हारी योनि में मेरा लिंग घुस जायेगा।

फिर मैंने अपनी चूत में ढेर सारी वेसलीन लगा ली और छेद के आगे चूतड़ लगा कर घोड़ी बन गई।
फिर अंकल ने कहा- जब मैं अपना लिंग अन्दर घुसाऊंगा तो तुम्हें शुरू में दर्द होगा पर तुम जरा भी चिल्लाना नहीं, अपनी दाँत पर दाँत चढ़ा के अपना जबड़ा एकदम से भींच लेना, थोड़ी देर ही दर्द होगा, बाद में आनन्द आना शुरू हो जायेगा।

इसके बाद मैं घोड़ी बनकर छेद के पास अपनी चूत को एकदम से सटा दिया। फिर मेरी अत्यंत कसी हुई के चूत के दोनों पंखुड़ी जैसे कोमल ओठों को फैलाता हुआ अंकल का बेरहम सुपारा जैसे ही मेरी चूत में घुसा, मेरे मुँह से अचानक उईईई ईईईई माँ की चीख निकल गई।

तभी मैंने अंकल को बोला- अंकलजी, मुझे बहुत ही दर्द हो रहा है, आप जल्दी से अपना लिंग बाहर निकाल लो।

यह सुनकर अंकल एकदम घबरा गए और उन्होंने अपना लिंग बाहर निकलने का प्रयास किया परन्तु उनका लिंग बाहर नहीं निकला। लिंग का सुपारा मेरी तंग योनि में बुरी तरह फँस चुका था और अंकलजी के बहुत प्रयास करने के बाद भी निकल नहीं पा रहा था। मेरे तो होश ही एकदम उड़ गए थे, मेरी चूत में दर्द भी बहुत हो रहा था।
अब इस आफत की घड़ी में किसी की मदद भी नहीं ले सकती थी, तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि घर में तो मम्मी-पापा तो हैं नहीं, घर में तो केवल निशा भाभी है, भैया तो अपने ऑफिस के काम से दिल्ली गए हुए हैं।

सोचा कि अभी मुसीबत की घड़ी में भाभी से मदद ले लेती हूँ फिर भाभी से मैं और अंकलजी माफ़ी मांग लेंगे।
मेरा मोबाइल मेरे सामने ही था, मैंने भाभी को फ़ोन करके बोला कि भाभी अभी मैं एक बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गई हूँ, आप जल्दी से मेरे रूम में चली आओ।

भाभी ने ज्यों ही मेरे कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ का नजारा देख कर एकदम सन्न रह गई।
मैंने भाभी से कहा- भाभी,म आप चाहे बाद में मुझे कितना भी डांट लेना या पीट लेना लेकिन अभी मेरी मदद कर दो, आप अभी पीछे के कमरे में जाकर के रमाकांत अंकल से मेरी चूत में फँसा उनका लिंग निकालने का कोई उपाय पूछो।

भाभी जब अंकलजी के कमरे में गई तो अंकलजी ने गिड़गिड़ाते हुए भाभी से माफ़ी मंगाते हुए कहा- निशा बेटी, मुझे माफ़ कर दो।

तब भाभी ने गुस्से में कहा- माफ़ी आप बाद में माँगिएगा, पहले आप पायल की चूत में फंसा हुआ आपका वो निकालने का उपाय बताइये।

तो अंकल ने कहा- बहू, तुम पायल की कमर को पकड़ के थोड़ी ताकत लगाते हुए उसे मेरे लिंग की ओर धकेलना और जब मेरा पूरा लिंग उसकी योनि में घुस जायेगा तो तुम उसकी कमर को पकड़ के उसे आगे-पीछे करना, इससे थोड़ी देर में मेरा स्खलन हो जायेगा और मेरा लिंग छोटा होकर बाहर निकल जायेगा।

भाभी मेरे कमरे में चली आई, पहले उसने अंकल का मोटा लिंग को पकड़ के उसे छुड़ाने का प्रयास किया तो मेरी योनि में और भी दर्द होने लगा तो भाभी ने ऐसा करना छोड़ दिया फिर उसने मेरी पतली कमर को पकड़ के उसे लिंग की ओर धकेलने का प्रयास किया।

तो घप्प से अंकलजी का पूरा लिंग मेरी योनि के अन्दर तक घुस गया, मैं दर्द से एकदम चिल्ला उठी तो भाभी ने कहा- थोड़ा बर्दाश्त करो पायल।

उधर से अंकलजी ने कहा- शाबाश बेटी निशा, इसी तरह से धीरे-धीरे प्रयास करते रहो। तुम पायल की कमर को पकड़ के उसे धीरे-धीरे आगे-पीछे करो।

फिर भाभी ने मेरी पतली कमर को पकड़ के उसे अंकल के रॉड के आगे-पीछे पिस्टन की तरह करने लगी मेरी अत्यंत कसी हुई चूत की मांसपेशियों ने अंकल के गधे जैसे लिंग को एकदम दबोच रखा था।

भाभी मेरी नाजुक कमर को पकड़ के उसे लयबद्ध तरीके से आगे-पीछे कर रही थी। मेरे मुँह से दर्द और आनंद की मिली-जुली कराह निकल रही थी। थोड़ी देर के बाद मेरा दर्द कम हो गया और मुझे आनन्द की अनुभूति होने लगी।

भाभी मेरी कमर को पकड़ कर उसे खूब जोर-जोर से आगे-पीछे कर कर रही थी, कमरे में फच-फच की भद्दी सी आवाज़ चारों तरफ फ़ैल रही थी और उधर से अंकल की आनन्द भरी कराहट भी सुनाई पर रही थी।
भाभी ने मुझसे पूछा- पायल, चुदवाने में अब तुम्हें कोई दर्द महसूस नहीं न हो रहा है?

तो मैंने कहा- भाभी अब बिल्कुल दर्द नहीं हो रहा है, अब अच्छा लग रहा है।

ये सब देखते हुए लग रहा था कि भाभी भी बहुत उत्तेजित हो गई थी।

अब मैं खुद अपने नितम्ब आगे-पीछे करने लगी तो भाभी ने मेरी कमर को छोड़ दिया। मुझे अपनी चूत चुदवाने में इतना ज्यादा आनंद आ रहा था, जिसे मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती।

जब मैं अपनी नितम्ब को आगे-पीछे कर रही थी तो भाभी अंकल के कमरे में चली गई और उनसे बोला- अंकलजी, 10 मिनट हो गये हैं और अब और कितनी देर में आपका फॉल होगा?

तो अंकल ने कहा- बेटी, पायल की चूत तो अत्यंत ही कसी है, स्खलन तो अब तक हो जाना चाहिए था, अगर तुम थोड़ी मेरी मदद करोगी तो जल्द ही फॉल हो जाएगा।

निशा ने कहा- कैसी मदद चाहिए, अंकलजी?

तो अंकल ने- बहू, अगर अभी तुम मेरी अंडकोष को अपनी हाथों से सहलाओगी तो मेरा माल जल्द ही गिर जाएगा।

निशा भाभी भी मेरी चुदाई देखकर उत्तेजित हो गई थी, फिर भाभी ने शरमाते हुए अंकल के अंडकोष अपने गोरे-गोरे, नाजुक हाथों से सहलाने लगी।

भाभी के अंडकोष सहलाने के कारण अंकल को अत्यधिक उत्तेजना मिलने लगी। अंकल के अंडकोष को सहलाते हुए भाभी ने कहा- अंकली, आपके अंडकोष तो मेरे पति से बहुत बड़े हैं।
तो अंकल ने कहा- बेटी, मेरा लिंग बहुत ही बड़ा है इसलिए मेरे अंडकोष भी बड़े हैं।

फिर अंकल ने बोला- अच्छा बताओ बेटी, मेरे और तुम्हारे पति के तुलना में किसके अंडकोष ज्यादा सुन्दर हैं?
भाभी- अंकलजी, आपके अंडकोष ज्यादा सुन्दर हैं, बहुत प्यारे हैं दिखने में।

यह सुनकर अंकल ने कहा- बेटी निशा, एक बात बताओ, हम लोग हर सुन्दर और प्यारे चीज़ को चूम लेते हैं ना?

निशा- हाँ अंकलजी।

अंकल- तो फिर तुम मेरे अंडकोष भी चूमो ना, तुमने अभी इसे सुन्दर और प्यारा कहा है।
यह सुनकर भाभी का गोरा चेहरा शर्म से लाल हो हो गया।

अंकल- शर्माओ मत बेटी, जल्दी से किस करो तो मेरा फॉल भी जल्दी हो जायेगा।

फिर भाभी ने शर्माते हुए अंकल की टांगों के बीच उनके पीछे से घुस कर अंडकोष अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उस पर अपने नाजुक गुलाबी होठों से एक चुम्बन लिया।

अंकल ने कहा- बेटी, इस पर अपने होठों को रगड़ो तो मेरा जल्द ही फॉल हो जायेगा।

ऐसा सुनकर भाभी ने अंडकोष को पकड़ कर उसे अपने गुलाबी होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया, होठों पर गोली रगड़ने के कारण गोली गीली होकर भाभी के मुँह में घुस गई तो अंकल ने कहा- अपने मुँह से मत निकालना बेटी, गोली को चूसती रहो तो मेरा जल्दी ही फॉल हो जायेगा।

अपनी गोलियाँ चुसवाने में अंकल को असीम आनन्द आ रहा था। थोड़ी देर अंकल ने कहा- बेटी मेरी दोनों गोलियों को लेकर अपने मुँह में लेकर जल्दी से चूसो क्योंकि अब मेरा जल्द ही फॉल होने ही वाला है।
ऐसा सुनकर भाभी दोनों गोलियों को अपने मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी, इसके थोड़ी देर के बाद मेरे गर्भाशय पर गर्म-गर्म वीर्य की बौछार होने लगी।

अंकल का फॉल होते देख भाभी अंकल के कमरे से तुरंत निकल कर मेरे कमरे में आ गई। इतने तगड़े लंड से जबरदस्त चुदाई के बाद मैं एकदम थक गई थी और अपने बिस्तर पर निढाल पड़ी थी। भाभी भी सामने कुर्सी पर चुपचाप बैठी थी।

इतने में मेरे कमरे में रमाकांत अंकल आकर निशा भाभी के पैर पकड़ लिए और गिड़गिड़ाते हुए माफ़ी माँगने लगे तो भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, इस बार मैं आपको माफ़ कर देती हूँ पर आप आगे से ऐसा गलत काम पायल के साथ नहीं करेंगे।

अंकल- थैंक यू बेटी निशा, अब मैं आगे से ऐसा कोई गलत काम नहीं करूँगा।

अंकल- थैंक यू बेटी निशा, अब मैं आगे से ऐसा कोई गलत काम नहीं करूँगा।

फिर निशा भाभी ने अंकलजी से कहा- अंकलजी, मैं तो आपका इतना बड़ा लिंग देख के एकदम से डर गई थी, अभी तक मैं डर से सहमी हुई हूँ, मेरे पति से आपका लिंग दुगना लम्बा और दुगना मोटा है।

अंकल- बेटी, मेरे लिंग में बीमारी होने के कारण यह 10 इंच लम्बा और अत्यधिक मोटा हो गया है। पहले तो यह केवल 7 इंच लम्बा था।

अंकल ने महसूस किया कि निशा उनके लिंग की बातों में दिलचस्पी ले रही है।

फिर रमाकांत अंकल ने कहा- बेटी निशा, मेरा लिंग कोई साँप थोड़े न है जिसे देख कर तुम डर गई, लो अभी मैं तुम्हें अपना लिंग दिखा कर तुम्हारा डर समाप्त कर देता हूँ।

यह बात सुनकर भाभी शर्म से लाल हो गई और बोली- नहीं अंकलजी, उस समय तो मैंने मजबूरी में आपका लिंग देख लिया था पर अभी देखने में शर्म आएगी।

अंकल ने निशा को फुसलाते हुए कहा- डरो नहीं बेटी, एक बार देख लो, अगर तुम्हें देखने में अच्छा नहीं लगेगा तो मैं तुरंत बंद कर लूँगा।

निशा भाभी ने शरमाते हुए, सकुचाते हुए बोला- ठीक है अंकलजी, दिखाईये।

निशा भाभी की भैया के साथ शादी अभी दो महीने पहले ही हुई है। भाभी एकदम गोरी और अत्यधिक सुन्दर है, भाभी की जिस्म तो एकदम छरहरा है पर उनके उरोज और नितम्ब शरीर के अनुपात में अत्यंत बड़े हैं। कोई भी उनकी ओर देख के तुरंत आकर्षित हो जाता है।

भाभी की हाँ सुनते ही रमाकांत अंकल का लिंग उनके लुंगी के अन्दर खड़ा हो गया था। अंकल ने ज्योंही अपनी लुंगी खोली तो उनके 10 इंच लम्बा लपलपाते हुए लिंग को भाभी हक्की बक्की हो कर के विस्फरित नज़रों से देखने लगी।

भाभी अंकलजी का फनफनाया हुआ गधे जैसा लिंग देख के एकदम सिहर उठी। वो बहुत गौर से अंकल का लपलपाता हुआ लिंग देखने लगी। अंकल भाभी को गर्म होते देख कर भाभी से कहा- डरो नहीं बहू, लिंग को पकड़ कर देखो, इससे तुम्हारा डर ख़त्म हो जायेगा।
भाभी ने सकुचाते हुए अपने कोमल, नाजुक हाथ से अंकल का गधा जैसा मोटा लिंग पकड़ लिया। भाभी का हाथ अंकल के लिंग पर पड़ते ही उसका आकार और भी बड़ा हो गया।
फ़िर भाभी ने कहा- अंकलजी, यह तो बहुत ही मोटा है। मेरे पति का लिंग तो इसके तुलना में बहुत पतला है।

अंकल- बेटी, तुम्हे अब डर नहीं ना लग रहा है?

भाभी- नहीं अंकलजी, अब डर नहीं लग रहा है।

अंकल- बेटी, अभी तुम्हें मेरा लिंग पकड़ने में कैसा लग रहा है?

भाभी ने उत्सुकतावश अंकल से पूछा- अंकलजी, जरा अपने लिंग की टोपी खोल के दिखाओ तो, मुझे खोलने में शर्म लग रही है।

अंकल- शर्माओ मत बेटी, तुम खुद इसे खोल के देख लो।

फिर भाभी ने अंकल के लिंग की टोपी खोला तो उनके अंडे जितने बड़े सुपारे को देख कर अचंभित होकर बोला- ओ, माई गॉड ! यह तो किसी भी लड़की की योनि को एकदम से फाड़ देगा, पता नहीं पायल ने इसे कैसे बर्दाश्त कर लिया?

अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा- ऐसी बात नहीं है बेटी, क्या पायल की चूत फटी? मोटे लिंग से सम्भोग करवाने से किसी भी स्त्री को अत्यधिक आनन्द आता है।

भाभी- ना बाबा ना, इतने मोटे लिंग से तो मैं सम्भोग करवाने के बारे में सोच भी नहीं सकती हूँ।

अंकल- अरे बाबा, मैं तुम्हें मुझसे कोई सम्भोग करवाने को थोड़े न बोल रहा हूँ, मैं तो केवल तुम्हारा डर ख़त्म करना चाहता हूँ।

तभी भाभी ने देखा कि अंकल के लिंग के छिद्र से कुछ चिकना सा निकल रहा है तो अंकल से पूछा- अंकलजी, ये आपके लिंग के छिद्र से ये चिकना सा क्या निकल रहा है?

अंकल- बेटी, इस चिकनाई के कारण योनि में लिंग सुगमता से प्रवेश कर जाता है, कसी हुई भी योनि में जरा भी दर्द नहीं होता है। अंकल- बेटी इस चिकनाई को चाट कर देखो यह तुम्हें अत्यंत ही स्वादिष्ट लगेगा।
भाभी- अंकलजी, चाटने से कोई बीमारी नहीं न हो जाएगी?

अंकल- नहीं बेटी बिल्कुल नहीं कुछ होगा, ये चिकनाई तो प्रोटीन से भरी एक अत्यंत ही स्वास्थवर्धक चीज़ है।
ऐसा सुनकर भाभी अंकल के सुपारे पर लगी चिकनाई को अपने जीभ से चाटने लगी। भाभी के सुपारे चाटने से अंकल का सुपारी और भी बड़ा हो गया था।

अंकल- बेटी, सुपारा को चाटने के बजाय उसे अपनी मुँह में लेकर चूसो तो चिकनाई तुम्हारे मुँह में अच्छे से जायेगी।

भाभी- पर अंकल, आपका सुपारा तो अत्यंत ही बड़ा है, ये मेरे मुँह में नहीं जा पायेगा।

अंकल- पायल, इसे अपने मुँह में लेकर चूस चुकी है, यह अन्दर चला जायेगा बेटी।

ऐसा सुनकर भाभी अंकल का मोटा सुपारा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

अंकल- बहु, सुपारी चूसने में कैसा लग रहा है?

भाभी ने अपने मुँह से सुपारी निकाल कर बोला- अंकलजी, बहुत अच्छा लग रहा है !

तो अंकल ने कहा- बेटी, मेरे पूरे लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसो तो तुम्हें और भी अच्छा लगेगा।

ऐसा सुनकर भाभी अंकल का 10 इंच लम्बा लिंग अपने पूरे मुँह में लेकर चूसने लगी, और इधर अंकल ने धीरे से भाभी के बड़ी-बड़ी, कसी हुई चूचियों को अपने दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया।

भाभी भी पूरी मस्ती में आ गई थी इसलिए उसने कुछ नहीं बोला। फिर अंकल ने भाभी की चूचियाँ दबाना छोड़ कर भाभी की बालों को पीछे से पकड़ कर उसके मुँह में अपने लिंग को अन्दर-बाहर करने लगे, वो भाभी की मुँह को चूत की भांति चोद रहे थे। ऐसा करने से भाभी को थोड़ा दर्द होने लगा तो भाभी ने अपना मुँह लिंग से बाहर निकाल लिया।

थोड़ी देर सुस्ताने के बाद अंकल ने कहा- बेटी, तुम्हारी योनि कसी हुई है या खुली हुई है?

भाभी- मुझे इस बारे में कोई आईडिया नहीं है अंकलजी।

अंकल- ठीक है बेटी, अभी अपनी योनि को मुझे दिखाओ तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम्हारी योनि कसी हुई है या खुली हुई है।

भाभी- मुझे अपने कपड़े खोलने में शर्म आ रही है अंकलजी, आप खुद ही मेरे कपड़े खोल के मेरी योनि को देख लीजिये।

फिर क्या था, अंधे को जैसे दो आँखें मिल गई हो, अंकल ने पहले भाभी की साड़ी को खोला फिर पेटीकोट को खोल दिया, फिर ब्लाउज को खोल दिया।

अब भाभी केवल ब्रा और पैंटी में थी। अंकल भाभी के ब्रा और पैंटी में उनके गदराये हुए गोरे-गोरे जिस्म को देख करके एकदम सन्न रह गये, और अपने लिंग को आगे-पीछे हिलाने लगे।

भाभी- अंकलजी, मुझे ब्रा और पैंटी में देख कर आप अपने लिंग को क्यों हिला रहे हैं?

अंकल- बेटी, तुम्हारे इतने सुन्दर जिस्म को देख के मैं अपने आपको नियंत्रित नहीं कर पा रहा हूँ।
भाभी- अंकलजी, मुझे आपके इरादे नेक नहीं लग रहे हैं, कहीं आप मेरे साथ सम्भोग करने को तो सोच नहीं रहे हैं।

अंकल- नहीं बेटी, मुझे गलत मत समझो, मैं तो केवल तुम्हारी योनि का निरीक्षण करना चाहता हूँ।

भाभी- ठीक है अंकलजी, कीजिये।

फिर अंकल ज्यों ही भाभी का पैंटी खोलने लगे तो भाभी ने शर्म से अपनी हाथों से अपने चेहरे को छिपा लिया। पैंटी उतारने के बाद रमाकांत अंकल भाभी की गोरी-गोरी, बिना बालों की एकदम चिकनी और एकदम पाव की तरह फूली हुई चूत को देख कर उनकी आँखें एकदम फटी की फटी रह गई।

अंकल ने भाभी के कोमल योनि को सहलाते हुए बोला- बेटी, तुम्हारी योनि तो अत्यंत ही सुन्दर है, तुम्हारा पति तो अत्यंत ही भाग्यशाली व्यक्ति है।

अंकल के योनि सहलाने से भाभी के जिस्म में एकदम करंट सा दौड़ गया।

फिर भाभी ने कहा- अंकलजी, अब आप मेरी योनि को देख के बताईये कि यह कसी हुई है या खुली हुई है?

अंकल- बेटी, ऐसे देखने से पता नहीं चलेगा, तुम्हे बिस्तर पर लेटा कर तुम्हारी योनि को चीर के देखना पड़ेगा।
ऐसा कह कर अंकल ने भाभी को अपने दोनों हाथों से उठा के बिस्तर पर लेटा दिया और फिर भाभी की दोनों टांगों को एकदम से फैला दिया।

फिर अंकल ने भाभी के योनि के दोनों फांकों के चीर के देखा, बीच का भाग एकदम गुलाबी था फिर अंकल ने भाभी की चूत को सूँघ करके उसकी मादक खुशबू को लिया फिर उसे चूम लिया।

भाभी- अंकलजी, अपने मेरी योनि पर चुम्बन क्यों लिया?

अंकल- बेटी, किसी सुन्दर चीज़ का चुम्बन लेना कोई अपराध है क्या? मैं तुम्हारे साथ सम्भोग थोड़े न कर रहा हूँ।

भाभी– ओ के, अंकलजी !

फिर अंकल ने भाभी के पाव जैसे फ़ूली हुई योनि को अपने दोनों हाथों से चीर के उसके बीच के गुलाबी भाग को अपने जीभ से कुत्ते की तरह चाटने लगे, इधर भाभी के मुँह से आनन्द भरी सिसकारी निकलने लगी।
अंकल के भाभी के चूत को चाटे जाने से भाभी की चूत से मलाई निकलना शुरू हो गया, जिसे अंकल प्यार से चाट-चाट कर खाने लगे। भाभी की मुँह से सी-सी की आवाज़ निकल रही थी।

थोड़ी देर के बाद भाभी ने अंकल से कहा- अंकलजी, अब जल्दी सा मेरी चूत का निरीक्षण करके बतलाइये कि मेरी चूत कसी हुई है या ढीली है?

यह सुनकर अंकल ने चूत की मलाई खाना छोड़ कर भाभी की दोनों टांगों को फैला कर उनकी चूत को चीर कर उसका निरीक्षण करने लगे।

थोड़ी देर के बाद अंकल बोले- बहू, ऐसे तुम्हारी चूत को चीर कर देखने से पता नहीं चल रहा है, तुम्हारी चूत के छेद पर पर मुझे अपने लिंग का सुपारा को रगड़ कर चेक करना पड़ेगा।

भाभी- ठीक है अंकलजी, पर मेरी चूत के अन्दर आपका लिंग नहीं जाना चाहिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अंकल- नहीं बेटी बिल्कुल अन्दर नहीं जायेगा, मैं पूरी सावधानी बरतूँगा।

ऐसा बोल कर अंकल ने भाभी के चूत के दोनों गुलाब की पँखुरी जैसे ओठों को फैला कर अपने लिंग का सुपारा को रगड़ने लगे। अंकल भाभी के चूत के पूरी फाँक पर ऊपर से नीचे तक अपने सुपारे को रगड़ रहे थे।

भाभी भी मस्ती में आकर आह-ऊहह करने लगी। भाभी को मस्ती में आया देखकर के अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, केवल रगड़ने से कुछ पता नहीं चल रहा है, तुम्हारी चूत में केवल अपना सुपारा घुसा के चेक करूँ क्या? मैं तुम्हें चोदूँगा नहीं।

भाभी- ठीक है अंकलजी, पर मेरी चूत के अन्दर आपका लिंग नहीं जाना चाहिए।

अंकल- नहीं बेटी बिल्कुल अन्दर नहीं जायेगा, मैं पूरी सावधानी बरतूँगा।

ऐसा बोल कर अंकल ने भाभी के चूत के दोनों गुलाब की पँखुरी जैसे ओठों को फैला कर अपने लिंग का सुपारा को रगड़ने लगे। अंकल भाभी के चूत के पूरी फाँक पर ऊपर से नीचे तक अपने सुपारे को रगड़ रहे थे।

भाभी भी मस्ती में आकर आह-ऊहह करने लगी। भाभी को मस्ती में आया देखकर के अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, केवल रगड़ने से कुछ पता नहीं चल रहा है, तुम्हारी चूत में केवल अपना सुपारा घुसा के चेक करूँ क्या? मैं तुम्हें चोदूँगा नहीं।

ऐसा सुनकर भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, पर आप अपना लिंग सुपारे से ज्यादा आगे मत घुसाना।

फिर अंकल ने भाभी की टांगों को फैला दिया और उससे कहा- बहू, अपनी चूत को जरा अपनी दोनों हाथों से चीरों क्योंकि तुम्हारा छेद अत्यंत तंग लग रहा है।
ऐसा सुनकर भाभी ने अपनी दोनों हाथों से अपनी चूत को चीर के उसे फैला दिया, फिर अंकल ने भाभी की चूत में उंगली घुसा के उसकी थोड़ी सी मलाई निकली और अपने भयंकर सुपारा पर लगाया।

फिर अंकल ने भाभी की चूत पर अपना सुपारा रख के उसे धकेला तो सुपारी भाभी की कसी हुई चूत में नहीं घुसा तो अंकल ने भाभी के चूतड़ को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़े जोर से धक्का दिया तो अंकल का विशाल सुपारा भाभी की चूत की दोनों कोमल होठों को बेरहमी से रौंदता हुआ अन्दर घपाक से घुस गया और दर्द के मारे भाभी के मुँह से उईईईइ माँ की आवाज़ निकल पड़ी।

अंकल ने कहा- बेटी, डरो नहीं, अब और दर्द नहीं होगा।

ऐसा बोलकर अंकल भाभी के नाजुक चूत में धीरे-धीरे अपना सुपारा अन्दर-बाहर करने लगे।
भाभी की छोटी सी तंग चूत में घुसा हुआ अंकल का विशाल सुपारा का नजारा देखने में बहुत अजीब सा लग रहा था, लग रहा था जैसे कि भाभी की चूत फट जाएगी। अंकल का सुपारा अन्दर-बाहर हो रहा था और भाभी कराहें ले रही थी।

फिर थोड़ी देर के बाद भाभी की कराहट सिसकारी में बदल गई, लग रहा था कि भाभी को अब मजा आने लगा था। थोड़ी देर के बाद भाभी ने मस्ती में अपने चूतड़ को थोड़ा ऊपर उठा दिया तो अंकल का थोड़ा सा लिंग और अन्दर घुस गया।

भाभी की चूतड़ को ऊपर उठाते देख कर अंकल समझ गए कि निशा पूरी मस्ती में आ गई है अब यह मेरा पूरा लंड खा जाएगी।

फिर अंकल ने सोचा कि इस तरह उसकी चूत में पूरा लिंग घुसाने से कहीं वो मुझ पर चोदने का कोई इल्ज़ाम न लगा दे अतः अंकल ने कहा- बेटी, ऐसे मुझे तुम्हारी चूत का निरीक्षण करने में दिक्कत हो रही है इसलिए मैं बिस्तर पर लेट जाता और तुम मेरे लिंग पर बैठ कर अपनी योनि में केवल मेरा सुपारा घुसा के उसे अन्दर-बाहर करना तो मुझे तुम्हारी चूत के बारे में अच्छा से पता चल जायेगा।

निशा भाभी की वासना जागृत हो चुकी थी, भाभी बिस्तर से खड़ी हुई और अपनी चूचियों को ब्रा से आजाद कर दिया। अंकल भाभी के बड़े-बड़े, सुडौल चूचों को देख कर एकदम दंग रह गये।

भाभी जब बाथरूम जाने के लिए मुड़ी तो उसके अत्यन्त बड़े नितम्बों को देख कर अंकल के दिल धड़कन अचानक बढ़ गई।

भाभी जब बाथरूम से आई तो अंकल ने कहा- बेटी, चूचियों को दबाने से चूत का मुँह थोड़ा फ़ैल जाता है, जिससे चूत में आसानी से लिंग के सुपारे का प्रवेश हो जायेगा।

यह सुनकर भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, आप मेरी चूचियों को दबा लीजिये पर इसे आप ज्यादा जोर से मत दबाइयेगा क्योंकि ये बहुत ही टाइट हैं, जोर से दबाने से दर्द होने लगता है।

अंकल- ठीक है बेटी, आराम से दबाऊंगा।

फिर अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, तुम अपने चूतड़ों की दोनों फाँकों को फैला कर मेरे गोद में मेरे लिंग पर बैठ जाओ, फिर मैं तुम्हारी चूचियों को दबाऊँगा।

ऐसा सुनकर भाभी अपने विशाल चूतड़ों को चीर कर उसे अंकल के मोटे लिंग पर रखकर गोद में बैठ गई। अब अंकल आगे अपने हाथ बढ़ा कर भाभी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया, उनके निप्पलों को चुटकी से मसलना शुरू कर दिया।भाभी ने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली और मीठी-मीठी कराहें लेने लगी।

फिर अंकल भाभी को अपने गोद में आमने-सामने बिठा कर उनकी निप्पल को चुसना शुरू कर दिया। भाभी तो मानो आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी।

निशा भाभी की चूचियों को कुछ देर तक दबाने के बाद अंकलजी ने निशा से कहा- बेटी, अब मैं लेट जाता हूँ और तुम मेरे लिंग पर बैठ जाओ और फिर मैं तुम्हारी चूत का निरीक्षण करता हूँ, बेटी मेरे लिंग पर सावधानी से बैठना, केवल सुपारा ही अपने चूत में घुसाना।
इसके बाद अंकल लेट कर अपने खड़े लिंग को सीधा करके अपनी हाथों से पकड़ लिया, निशा भाभी ने अपनी चूत की संकरे से छेद को अंकल के भयंकर सुपारा पर रख कर धीरे से बैठ गई, अंकल का मोटा सुपारा भाभी की चूत को फैलाता हुआ उसमें घुस गया तो अंकल ने कहा- बहू, अब तुम अपने कूल्हों को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करो तो मैं पता करता हूँ कि तुम्हारी चूत कितनी टाइट है।

भाभी धीरे-धीरे अपनी गांड को ऊपर-नीचे करने लगी, तभी अंकल ने पूछा- बेटी, दर्द नहीं न हो रहा है?

भाभी- नहीं अंकलजी !
अंकल- बेटी गांड को ऊपर-नीचे करने में करने में कैसा लग रहा है है?

भाभी ने शरमाते हुए कहा- अंकलजी, अच्छा लग रहा है।

अंकल- बहुत अच्छे, पर बेटी जरा ध्यान से अपने चूतड़ को ऊपर-नीचे करना करना, कहीं सुपारे से ज्यादा लंड तुम्हारे चूत में न घुस जाये।

भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया, वो मस्ती की लहरों पर सवार थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने देखा की निशा अपने चूतड़ को नीचे दबाते हुए लिंग को अपने चूत और घुसा रही है। अंकल की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।

अंकल का आधा लिंग निशा के चूत में घुस गया था, फिर निशा ने थोड़ा ताकत लगते हुए अंकल के पूरे लिंग को अपनी अत्यंत तंग चूत में पूरा समा लिया। अंकल को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि निशा ने अपनी छोटी से चूत में उनका पूरा 10 इंच लम्बा लिंग समाहित कर लिया है।

अपने टाइट चूत में पूरा लिंग सामने के बाद निशा ने थोड़ी देर सुस्ताया फिर अपनी कसी हुई चूत से रमाकांत अंकल को घपाघप चोदने लगी। निशा भाभी अपने बड़े चूतड़ों को खूब ऊपर-नीचे कर रही थी, चूतड़ ऊपर-नीचे करने में भाभी की बड़ी-बड़ी चूचियाँ बहुत भद्दे तरीके से हिल रही थी। भाभी की अत्यंत कसी चूत होने के कारण घप-घप की बहुत भद्दी आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी।

चुदाई के कारण भाभी की चूत की खुशबू चारों तरफ फ़ैल गई थी। अंकल और भाभी दोनों के मुँह से आह-ऊह की आवाज़ निकल रही थी।

तभी अंकल ने भाभी से कहा- बेटी, तुम यह क्या कर रही हो? मेरे लिंग को अपनी चूत में पूरा समा के मुझे चोद रही हो?

तो भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- इतने भी भोले मत बनो, अंकलजी, आप बहुत ही चालाक आदमी हो, मुझे ललचाने के लिए आपने अपना गधा जैसा मोटा लिंग दिखा दिया और अब बहुत भोले बन रहे हो, इतना मोटा और लम्बा लंड देखकर तो कोई भी लड़की एकदम पागल हो जाएगी। मैं तो बहुत लकी हूँ जो मुझे इतना बड़ा लिंग का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आई लव यू अंकल जी !

ऐसा सुनकर अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा- बेटी, अब बताओ, तुम्हें मुझसे से ज्यादा मजा आ रहा है कि अपने पति से आता है?

निशा- अंकलजी, मेरे पति का साइज़ तो आपसे आधा है, आपको चुदवाने में तो मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द मिल रहा है। अब तो मैं आपसे खूब चुदवाऊंगी।

अंकल- निशा बेटी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझ जैसे बदसूरत, बुड्ढे आदमी के 10 इंच लम्बे काले लंड पर एक 22 साल की गोरी, ख़ूबसूरत लड़की बैठकर उसे अपने गुलाबी चूत में पूरा समा कर अपनी गांड ऊपर-नीचे करके मुझे घपाघप चोदेगी। मैं तो एक अत्यंत ही भाग्यशाली व्यक्ति हूँ।

निशा- अंकलजी, मैं भी बहुत खुशनसीब हूँ, इतना विशाल लंड का सौभाग्य तो बिरले को ही प्राप्त होता है। आपका लंड तो देखते ही मेरी चूत से पानी निकलने लगा था।

फिर अंकल ने भाभी को लिटा दिया और उनकी टांगों को फैला कर चूत को चौड़ा कर दिया, फिर चूत के छेद पर थूक लगाकर अपना सुपारा चूत के छेद पर रख के जोर से धक्का मारा, भाभी दर्द से चिल्ला उठी।

अंकल का आधा लिंग भाभी की चूत में समा चुका था फिर थोड़ी देर रुकने के बाद अंकल ने एक जोर का धक्का मारा तो अंकल का 10 इंच लम्बा पूरा लिंग भाभी की चूत में घच से घुस गया, इसके बाद अंकल ने धीरे-धीरे अपने लिंग को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
फिर थोड़े देर के बाद अंकल ने भाभी की पतली कमर को पकड़ कर बेरहमी से जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिया।

निशा ‘मम्मी- उई मम्मी’ बोलकर कर आनंद भरी कराह ले रही थी। बीच-बीच में अंकल का मोटा लिंग भाभी के तंग चूत में फँस जाता था तो अंकल जोर का धक्का मारकर उसे छुड़ाते जिससे भाभी कराह उठती।

अंकल भाभी की दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबोचे हुई उनकी चूत को घपाघप चोद रहे थे। करीब 15 मिनट बाद अंकल का फॉल हो गया। भाभी बिस्तर पर से उठकर बाथरूम में अपनी चूत धोने चली गई।

भाभी जब बाथरूम से आई तो उनके गदराए हुए अत्यंत विशाल नितम्ब को देखकर अंकल के मुंह में पानी आ गया, अंकल ने कहा- निशा, तुम्हारे चूतड़ तो बहुत बड़े हैं, क्या इसे तुम्हारे पति ने तुम्हारे साथ गुदा-मैथुन करके इसे बड़ा कर दिया है?

ऐसा बोलते हुए अंकल भाभी के बड़े-बड़े नितम्ब सहलाने लगे।
भाभी- नहीं अंकलजी, मैंने आज तक गुदा-मैथुन नहीं करवाया है, ये कुदरती बड़े हैं।

अंकल- बेटी, तुम्हारे नितम्ब बहुत ही सुन्दर हैं, मुझे इसे प्यार करने का बहुत मन कर रहा है, तुम जरा बिस्तर पर घोड़ी बन जाओ तो मैं तुम्हारी गदराए हुए नितम्बों को प्यार करूँगा।
ऐसा सुनकर भाभी बिस्तर पर अपने दोनों घुटनों और हथेलियों के बल घोड़ी बन गई। अंकल ने पहले भाभी के बड़े-बड़े चूतड़ों को खूब सहलाया, उन पर ढेर सारा चुम्बन भी लिया, फिर भाभी के चूतड़ों की दोनों फाँक को फैलाया तो उसके गुलाबी छेद देख कर एकदम दंग रह गए और उसने कहा- बेटी, तुम्हारा गुलाबी गुदा द्वार तो दिखने में अत्यंत ही सुन्दर है, कोई भी इसे देख के एकदम पागल हो जायेगा।

अपने गुदा द्वार की प्रशंसा सुनकर भाभी ने अंकल को धन्यवाद बोला। अंकल ने चूतड़ों के बीच के छेद को सूंघा तो उसकी खुशबू पाकर उनका लिंग एकदम फनफना कर खड़ा हो गया।
फिर अंकल ने छेद पर एक चुम्बन लिया फिर उसे चीर कर छेद को चाटने लगे। अंकल के चाटना शुरू करते ही भाभी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

भाभी की छेद की कुछ देर चाटने के बाद अंकल ने भाभी के गुदा द्वार में अपनी एक उँगली घुसा के उसे आगे-पीछे करने लगे तो भाभी के मुँह से सीत्कारें निकलने लगी।

अपनी उंगली को अंदर-बाहर करते हुए पूछा- बेटी, कैसा महसूस हो रहा है?

निशा- मजा आ रहा है अंकलजी !

अंकल- बेटी, इसमें मेरा मोटा लिंग घुसवाओगी तो स्वर्ग जैसा आनन्द मिलेगा।

यह सुनकर भाभी ने डरते हुए बोली- ना बाबा ना, चूत के मुकाबले गुदा-द्वार तो अत्यंत छोटा और काफी संकुचित होता है और आपका सुपारा तो भयंकर मोटा है, मुझे अपनी गांड नहीं फड़वानी है।

फिर अंकल ने उसे फुसलाते हुए कहा- डरो नहीं बेटी, तुम्हारा नितम्ब तो अत्यंत ही बड़ा है, वो मेरा पूरा 10 इंच आसानी से खा जायेगा और फिर मैं तुम्हारे छेद में ढेर सारा वैसलिन लगा दूंगा और बहुत धीरे-धीरे घुसाऊंगा और तुम्हें जरा भी दर्द होगा तो मैं अपना लिंग तुरंत बाहर निकाल लूँगा।

तब भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, पर धीरे-धीरे आराम से घुसाइएगा।

अंकल- ठीक है बेटी, अब तुम घोड़ी बन जाओ।

भाभी के घोड़ी बनने के बाद अंकल ने उनके चूतड़ों की दोनों फाँकों को फैला कर उसके छेद में ढेर सी वेसलिन लगाई और उसके बाद भाभी के गाण्ड के छेद पर अपना मोटा सुपारा को रगड़ने लगे फिर अंकल ने छेद में थोड़ा सा सुपारा घुसाने के बाद भाभी की पतली कमर को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा तो अंकल का मोटा सुपर भाभी के सिकुड़न-सलवटों वाले गुलाबी छेद को फैलाता हुआ गप्प से अन्दर घुस गया।

भाभी दर्द से चिल्ला उठी तो अंकल ने झट से अपना लिंग बाहर निकाल लिया।

लिंग को बाहर निकालने के थोड़ी देर के बाद अंकल ने भाभी को पुचकारते हुए कहा- बेटी, अब दर्द कैसा है?

भाभी- अब दर्द बहुत कम हो गया है, अंकलजी।

फिर थोड़ी देर के बाद अंकल ने कहा- ऐसा करो बेटी, मैं लेट जाता हूँ और तुम अपनी गांड का छेद मेरे लिंग पर रख के धीरे-धीरे बैठो, इससे तुम्हें बहुत ही कम दर्द होगा।
भाभी ने डरते हुए कहा- ठीक है मैं कोशिश करती हूँ पर मुझे दर्द हुआ तो मैं लिंग पर से उठ जाऊँगी।

अंकल- ठीक है बेटी, अब मैं लेटता हूँ और तुम अपनी गांड को चीर कर अपनी गुलाबी छेद को मेरे सुपारा पर रख कर धीरे-धीरे बैठो।

अंकल बिस्तर पर लेट गए और मुट्ठी से अपना लिंग पकड़ लिया। फिर भाभी ने अंकल के फ़नफ़नाये हुए भयंकर, काले सुपारे पर अपने विशाल नितम्बों को चीर कर अपने गांड के गुलाबी छेद को रखकर धीरे से बैठी तो अंकल का सुपारा भाभी के कसे, सिकुड़न-युक्त छेद को फैलाते हुए घप्प से छेद के अंदर घुस के गांड के छल्ले में फँस गया।

भाभी अचानक दर्द से चिहुंक उठी तो अंकल ने भाभी को कहा- डरो मत बेटी, शुरू में दर्द होगा पर जब मेरा पूरा लंड तुम्हारी गांड में समा जायेगा तो बिल्कुल दर्द नहीं होगा और तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा।

भाभी ने करहाते हुए कहा- अंकलजी, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी, मुझे बहुत डर लग रहा है।

तब अंकल ने भाभी को फुसलाते हुए कहा- डर मत पगली, चूत में भी तो शुरू में घुसवाने में थोडा दर्द हुआ था पर बाद में तुम्हे कितना मज़ा आया था।

भाभी- वो बात तो है अंकलजी, ठीक है मैं धीरे-धीरे बैठती हूँ ताकि ज्यादा दर्द न हो। फिर भाभी थोड़ा जोर लगाकर बैठी तो अंकल का 2 इंच लंड गांड में और घुस गया।
भाभी को अत्यंत दर्द होने लगा और वह करहाते हुए अंकल के लंड पर से उठने लगी, ऐसा करते देख कर अंकल ने भाभी की पतली, नाजुक कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे नीचे अपनी ओर जबरदस्ती खींचने लगे। अंकल ताकत लगा कर जैसे-जैसे भाभी को नीचे खींच रहे थे वैसे-वैसे अंकल का वेसलीन लगा हुआ लंड भाभी की गांड के तंग छेद में घुसता जा रहा था।

भाभी दर्द से चिल्ला रही थी पर अंकल ने उसकी परवाह किये बिना उसके गांड में अपना 10 इंच लम्बा लंड पूरा घुसा दिया। भाभी की आँखों से आँसू निकल रहे रहे थे पर अंकलजी उसकी परवाह किये बगैर अपने चूतड़ उचका-उचकाकर भाभी की गांड में अपने दैत्याकार लंड को अंदर-बाहर करने लगे।

थोड़ी देर के बाद भाभी की कराहट मादक सिसकारियों में बदल गई। पाँच मिनट तक धक्के लगाने के बाद अंकल थक कर रुक गये तो भाभी अपनी गांड को ऊपर-नीचे करने लगी।
ऐसा करते देख कर अंकल ने प्रसन्नता से कहा- शाबाश मेरी मुन्नी, अब मज़ा आ रहा है ना निशा बेटी?

निशा ने लजाते हुए कहा- हाँ अंकलजी, आप बहुत अच्छे हैं।

अंकल- बेटी अब मेरे लंड पर रोज बैठोगी ना?

निशा- बिल्कुल अंकल जी, अब तो मैं रोज अपने दोनों छेदों को आपके लण्ड पर रख कर बैठूंगी।

ऐसा बोलने के बाद भाभी अपने चूतड़ तेजी से ऊपर-नीचे करने लगी और अंकल ने भाभी के गांड में अपनी गर्म-गर्म वीर्य की बौछार कर दी। इस तरह अंकल ने छह महीने तक अपने भीमकाय लंड से मुझे और मेरी भाभी की चूत और गांड को चोद-चोद कर अत्यधिक बड़ा बना दिया है। आज मैं उन्नीस साल की ही उम्र में एक अत्यंत बड़े चूत और विशाल नितम्ब की मालकिन हूँ।

अंकल ने मेरी चूत और गांड के छेद को अत्यंत ही बड़ा कर दिया है, पाठको, आप मेरी झालरदार चार इंच लम्बी चूत और चालीस इंच बड़े नितम्ब देखकर एकदम दंग रह जाएँगे।

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Ufff kya maja aaya

Hallo doston kaise rahi aap sabki eid aur deewaali main aapka pyaara rajesh jiski kahaaniyaan aap sab bahut pasand karte hai aur wo bhi khaaskar is liye ki meri kahaaniyon me jyaada tar chudwaane waali ladki ya aurat apni bahut hi kareebi hoti hai jaise ki meri mummy ,bua aur meri choti sistar sistar se yaad aaya ki meri kahaani choti sis ke saath part 1 aur 2 2no ko bahut hi achha responce mila uske liye aap sabka sukriya ada karta hoon is baar ki kahaani main apni ma aur uski bahan yaani ki meri mausi ki chudaayi se suru karta hoon kyonki mujhse ladkiyaan request karti hai ki aap apni mummy ki chudaayi kahaani bahut achhi likhte hai to main bhala in kunwaari nazuk dil aur choot waaliyon ka dil bhala kaise tod sakta hoon ab bad..chodi bahut ho gayi kahaani suru karta hoon baat un dino ki hai jab meri mausi saharanpur se aayi thi jo meri mummy se choti thi yaani ki unki age 35 ke kareeb thi aur 3 bachhe the unke bachhe bhi saath aay unki saadi 16 saal phle hui thi aur unke husband sarkaari job karte the aur sapna mausi apni figure ka bahut khyaal rakhti thi ek to unka rang gora tha aur gaal bhi hamesa gulaabi rhte the choochi bahut jyaada badi nahi thi par haan unki gaand bahut zabardast thi jab wo chalti thi tab mera dhyaan aksar hi unki gaand par atak jaata tha aur wo saadi hi phna karti thi kasam se saadi me wo bilkul qayamat lagti thi unka saadi baandhne ka style bhi naya tha wo naabhi ke kaafi neechey saadi baandhti thi aur hamesha half sleeves ka deep cut blouse phna karti thi jisse ki jab bhi wo jhukti thi to unki doodh deryi ka nazaara main bahut araam se le liya karta tha aur apni mummy aur bua yahaan tak ki kai baar bahan ki chudaayi karne ke baad main bahut hi chuddakad ho chuka tha aur mere regular paathak to jaante hi honge ki badi age ki aurtey suru se meri kamjori rahi hai maine ek raat mummy ko chodte hue jab mausi ki tareef ki tab mummy ne kaha saale madarchod mujhe phle hi pata chal gaya tha ki tu meri bahan ko bina chode nahi chodega kyoonki main tujhe uski doodhdery me jhankte hue kai baar dekh chuki hoon aur tu jab bhi uski chutad ki taraf dekhta tha tab. Main samajh jaati thi ki tu saala bahanchod ab apni mausi ki gaand bhi maarega aur wo chinaal bhi blouse bhi aisa hi phna karti hai ki saari choochi bahar latakti rhti hai rando upar ka hook bhi nahi lagaati hai kai baar to tere pita ji bhi mujhse usko sahi se kapde pahane ko kah diye hai wo bole the ki samjha lo meri saali ko warna baad me na khna ki maine choochi daba di aur main has kar taal jaati thi ab aaj tu bhi apni mausi ko chodne ko kh raha hai tu bhi saala bahut haraami ho gaya hai aap sab jaante hi honge ki mummy ko chudwaate waqt gaaliyon se baat karna bahut achha lagta hai tab hi main jo itni der se mummy ki bach…back sune ja raha tha unki badi…badi bladar jaise than ko dabaate hue bola ki to saali harz hi kya hai agar apni bahan ko mera lauda khila degi usko to maza hi aa jaayega jab tujhe maza aata hai tab wo to tujhse choti hi hai aur mausa ji bhi bahar hi jyaada rhte hai uski choot bhi pyaasi hi rhti hogi kasam se jab mera lauda uski tight choot me jaayega tab bahut maza aayega mummy plzzzz ek baar chudwa do na tab mummy ne kaha achha achha ab abhi to meri chudaayi kar baad me bataati hoon tujhko aur uske baad maine mummy ki choot ko chaat kar unki bur me bahut hi jordaar dhang se apni poora 9″ ka lauda dhaans kar bahut berahmi se pela tha aaj maine mummy ko thodi der baad hi mummy ki choot ne paani chod diya aur fir maine ek baar palat kar unki gaand maari jisse meri ma bahut hi thak gayi aur fir hum 2no so gye doosre din jab main naha raha tha tab maine mummy ki awaaz suni wo sapna mausi se kh rahi thi sapna tum kuch udaas si lag rahi ho kya baat hai mausi na kaha kuch nahi didi bas thoda thak gayi hoon isiliye par mummy ne kaha nahi kuch to baat hai plzzz mujhe bataao. 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Mummy ki baat sunkar mausi ko hasi aa gayi aur mujhe bhi apni chinaal ma ki baat par bahut hasi aayi fir ma ne kaha main teri prob… Samajh gayi tu yahi khna caahti hai ki ab anand teri theek tarah se chudaayi nahi karta par isme paresaan hone ki koi baat nahi wo bhi to tum sabke liye hi kama raha hai na ab saara waqt teri choot ke chakkar me kharaab to nahi kar sakta na mausi ne kaha par didi ab to hafton ho jaatey hai unhe sambhog kare tab mummy ne kaha sambhog. What is this? Ye kis cheez ka naam hai arre meri nadaan banno ise chudaayi khte hai aur ab 3, 3 bachhe bahar aane ke baad bhi tu to aise sarmaati hai jaise kunwaari kali ho chal koi baat nahi aaj maine teri pyaas bujhwa doongi tab mausi ne kaha pata hai tum kya bataaogi didi yahi na ki main apni choot yoni me mombatti karu ya koi baigan tab mammi ne kaha ki phle to tu apni jabaan sahi kar aise aise word bolti hai jo samajh me hi nahi aatey hai aur main teri choot me mombatti nahi ghusedungi balki poora 9″ ka mota taaza land khilwaaungi aaj tuje aur mummy ki baat sun kar main bahut khus ho gaya aur main aaj raat kio mausi ki choot maarne ke baare me sochne laga aur thodi der baad hi maine suna ki mummy kh rahi thi ki dekh sapna main tujhe chudwa to doongi par ek sart hai mausi says kya didi?tujhe choot aur land ki baateyn khul kar karni hongi kisi bazaaru randi ki tarah tab mausi ne kaha ki theek hai par aap mujhe chudwaaogi kisse tab mummy ne kaha wo raat ko hi pata lag jaayega aur jaise taise din katne ke baad raat ayi aur sabke sone ke baad mummy mere room me aayi aur mere hoth par kiss karte hue boli chal mere chodu raaja aaj apni mausi ki choot ka test bhi kar le aise ma kabhi nahi dekhi hogi ki khud bhi chudwaay aur apni bahan ko bhi chudwaay tab maine kaha ki mummy mausi ko bata diya ki uski choot kaun maarega? 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