Monday 9 November 2015

खूबसूरत औरत की इच्छा KhoobSurat Aurat Ki Chudayi Ki Ichha

यह कहानी शायद आपको एक सेक्सी और कामुक कहानी ना लगे, क्योंकि यह कहानी एक औरत की इच्छाओं पर आधारित है, ऐसी बहुत सी औरतें होगी जिन्हें यह कहानी अपनी सी लगेगी !

यह एक लंबी और धीमी गति से चलने वाली कहानी है।

जिन्दगी से हमें काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है अगर हम सीखना चाहें तो ! मेरी जिन्दगी भी कुछ ऐसी ही है।

बात लगभग एक साल पहले की है, जब एक बार मैं अपने किसी काम से दिल्ली से मानेसर जा रहा था। मैं अपनी बाईक पर था और घर से कुछ जल्दी निकला था, तो मेरे पास समय काफ़ी था, मैं आराम से सड़क के किनारे से अपनी ही धुन में चला जा रहा था। थोड़ी दूर चलने के बाद मेरे सामने एक गाड़ी आई और अचानक रुक गई, मैं अपनी धुन मैं था, मुझको वो दिखाई नहीं दी और मेरी बाईक उस गाड़ी को हल्के से टकरा गई।
मैं बाईक खड़ी करके दो-चार गालियाँ देता हुआ गाड़ी की तरफ़ बढ़ा और तभी गाड़ी से एक 25-26 साल की एक औरत निकली जिसने साड़ी पहनी हुई थी, उसकी आँखों पर चश्मा लगा था।

किसी ने सच ही कहा है कि खूबसूरत औरत को देख कर मर्द अपना आपा खो देता है और मेरा हाल भी अब कुछ ऐसा ही था, मैं तो बस एकटक उसको देखता ही जा रहा था, और वो मुझसे कहे रही थी- मुझको माफ़ कर दीजिए ! मुझसे गलती हो गई, मैंने आपको देखा नहीं और टक्कर हो गई, वो अचानक मेरी गाड़ी का टायर पंकचर हो गया और मैंने गाड़ी को एकदम साइड पर कर दिया। आई ऐम सो सौरी !

मैंने कहा- आपको गाड़ी देखकर चलानी चाहिये थी।

उसने कहा- गलती हो गई मुझसे !

मैंने कहा- कोई बात नहीं।

और फ़िर मैं वहाँ से चल दिया, मेरे दिमाग में बस वो ही औरत आ रही थी,और फ़िर जैसे ही मैं कुछ आगे गया तो मुझे एक पंकचर की दुकान दिखाई दी। मुझे लगा कि एक यही तरीका है उसको फ़िर से देखने का और मैं उस पंकचर वाले के पास गया और बोला- भैया थोड़ा पीछे एक गाड़ी पंकचर हो गई है, चलोगे?

उसने कहा- जी साहब, जरूर चलूँगा।

मैंने उसको पीछे बैठाया और गाड़ी की तरफ़ चल दिया।

वहाँ पहुँच कर मैंने देखा वो गाड़ी वहीं पर खड़ी थी और वो औरत गाड़ी के पास खड़ी होकर सडक पर चलने वाली दूसरी गाड़ियों की तरफ़ हाथ हिला कर मदद की उम्मीद कर रही थी पर कोई भी गाड़ी उसकी मदद के लिये नहीं रुक रही थी।

मैंने उसके पास बाईक रोकी और कहा- लीजिए, आपकी गाड़ी को यह देख लेगा।
उसने मेरी तरफ़ देखा और हल्के से मुस्कराई, पर कुछ नहीं कहा, वो गाड़ी की तरफ़ देखने लगी।

तब मैंने उसको गौर से देखा, वो एक बहुत ही सक्सी औरत थी, जिसका हर एक अंग अपने आप में भरा पूरा था, उस का कद 5’4″ होगा, वो गोरी चिट्टी एक खूबसूरत शादीशुदा औरत लग रही थी, उसकी चूचियाँ उभरी हुई थी, चूतड़ बड़े-2 थे और नए फ़ैशन व नए मिजाज वाली हाउस वाईफ़ लग रही थी।

फ़िर उसने मेरी तरफ़ पलट कर देखा तो उसने मुझे उसके चूतड़ और चूचियों को घूरते हुए पाया, और मैं सकपका गया।

उसने कुछ कहा तो नहीं पर मैं घबरा गया, मैंने घबराहट में कहा- अच्छा तो मैं अब चलता हूँ।

उसने कहा- ठीक है !

फ़िर जैसे ही मैं चलने लगा, उसने अपने बैग से एक कार्ड निकाला और कहा- यह मेरा नम्बर है।

और फ़िर मैं अपनी मंजिल की ओर बढ़ गया।

फ़िर ऐसे ही कुछ दिन गुजर गये, करीब 15-20 दिन बाद एक रात को मैं अपने कमरे में अकेला था तो मुझे उसकी याद आई तो मैंने वो नम्बर निकाला और फ़ोन मिलाने की सोचने लगा, पर मेरी हिम्मत नहीं हुई, सोचा क्या कह कर मैं उससे बात करुँगा, तो मैंने उसको एक चुटकुला मैसेज से भेजा।

कोई 10 मिनट बाद मेरे फ़ोन की घण्टी बजी।
उसने कहा- हेलो कौन?

मैंने कहा- जी मैं अरुण !

उसने कहा- कौन अरुण?

“जी, हम सड़क पर मिले थे जब आपकी गाड़ी पंकचर हो गई थी।”

उसने कहा- वो आप ! मुझे लगा आप हमें भूल गए और कभी फ़ोन ही नहीं करोगे।

मैंने कहा- जी ऐसी कोई बात नहीं है, वो समय ही नहीं मिला।

उसने कहा- तो अब आप को समय मिल गया?

फ़िर हम करीब एक घण्टा ऐसे ही बात करते रहे, फ़िर अचानक ही उसने कहा- आप कल क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- जी कुछ खास नहीं !

उसने कहा- तो क्या कल हम मिल सकते हैं?

मैंने कहा- जी बिल्कुल मिल सकते हैं।

उसने कहा- तो फ़िर ठीक कल मिलते हैं।

उसने एक मॉल का पता और समय दिया और फ़िर उसने फ़ोन रख दिया।

अब मैं सोचने लगा कि यह मैंने क्या किया, क्यों किया, और क्या मुझे उससे मिलने जाना चाहिये?
ये सब सोचते-2 मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला और जब नींद खुली तो दिन निकल चुका था।
मैं उठा और अपने सभी काम खत्म करके उसके बताये पते पर चल दिया। मैं उसके बताये समय पर पहुँच गया, और उसका इन्तजार करने लगा।
मुझे खड़े हुए अभी कुछ ही देर हुई थी कि मुझे वो आती हुई दिखाई दी, उसने आज भी साड़ी पहनी थी और बिना बाहों का गहरे रंग का ब्लाऊज पहना था जिसमें मुझे उसकी चूचियों की गोलाई का साफ़ पता चल रहा था।
उसने आकर हेलो कहा और हाथ मिलाने के लिऐ आगे बढ़ाया।
मैंने धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाया और जैस ही हम दोनों के हाथ मिले, हम दोनों को एक अजीब सा करंट लगा, उसने अपनी नजर नीचे झुका ली, पर मुझको उसका हाथ अपने हाथ में बहुत ही अच्छा लग रहा था।
और सच मानो दोस्तो, उस समय मेरा दिल उसका हाथ छोड़ने को बिल्कुल भी नहीं कर रहा था।
पर थोड़ी ही देर में मुझको उसका हाथ छोड़ना पड़ा।
फ़िर हम दोनों घूमने लगे, इधर-उधर की बातें करने लगे। फ़िर अचानक मैंने उससे पूछा- आपके पति क्या करते हैं?
तो उसने मेरी बात बीच में ही काटते हुये कहा- चलो कोई फ़िल्म देखते हैं।
मैंने कहा- ठीक है, चलो !
क्योंकि मेरे पास उससे बात करने के लिए कोई टोपिक भी नहीं था तो हम दोनों ने फ़िल्म देखने का फ़ैसला किया और हम टिकट लेकर अन्दर चले गये।
जब हम अन्दर बैठे तो हम फ़िल्म को कम और एक दूसरे को ज्यादा देख रहे थे। तब मैंने उसे गौर से देखा, वो पूरी तरह से घबराई हुई थी, उसकी साँस तेज चल रही थी, चूचियाँ ऊपर-निचे हो रही थी और माथे पर पसीना आया हुआ था, जो उसके चेहरे से होता हुआ सीधा उसकी चूचियो के बीच समा रहा था।
मैंने सोचा ऐ सी के कारण हॉल ठण्डा है फ़िर भी पसीना? मैं समझ गया कि जो मेरे दिल में है वो उसके दिल में भी चल रहा है।
मुझे लगा कि यही सही मौका है और मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया जो कुर्सी के साईड में रखा हुआ था। अचानक मेरी तरफ़ से हुई इस हरकत से वो घबरा गई और उसने मुझे कुछ कहा तो नहीं पर अपना हाथ हटा कर अपने सीने से लगा लिया और हल्की सी मुस्कराई।
जब फ़िल्म समाप्त हुई तो हम दोनों बाहर चले आए।
अगले कुछ 7-8 दिन हमारे कुछ इसी तरह गुजरने लगे हम कभी मॉल में मिलते, कभी पार्क, कभी मार्केट में, और अब हम एक फ़िल्म तो रोज देखते थे, हमारी काफ़ी अच्छी दोस्ती हो गई थी, अब हम एक दूसरे के हाथों में हाथ डाल कर घूमते थे और रात को तीन-तीन चार-चार घंटे बात करते।
इन 7-8 दिनों में हमने इतनी बातें की कि अब हम एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जानने लगे थे।
फ़िर एक दिन उसने बताया कि आज उसका जन्मदिन है।
इतना सुनते ही मैंने उसकी बात बीच में ही काटते हुऐ बहुत बधाईयाँ दी और थोड़ा गुस्सा दिखाते हुये उसे डाँटा भी, कहा- यार, मुझे पहले बताना था, मैं आपके लिए कम से कम एक तोहफ़ा तो…!
उसने मेरे होंठों पर अपना हाथ रख दिया और कहा- मैं इस बार अपना जन्मदिन सिर्फ तुम्हारे साथ मनाना चाहती हूँ, रात को पार्टी है सही समय पर पहुँच जाना, मैं तुम्हे।ब शाम को पता तुम्हारे फ़ोन पर भेज दूँगी।
मैंने कहा- वो तो ठीक है पर घर वाले मुझे रात को नहीं आने देंगे !
उसने कहा- मैं कुछ नहीं जानती, तुम्हें आना है तो बस आना है, क्योंकि आज रात तुम्हारे लिये कुछ खास है।
और वो चली गई पर जिस तरह उसने मुस्करा कर कहा कि आज रात तुम्हारे लिये कुछ खास है, मुझे आने वाली आज की रात साफ़ दिखाई दे रही थी कि आज रात क्या होने वाला है !
और रात के बारे में सोचता हुआ घर चला गया।
फ़िर शाम 4 बजे उसका मेसेज आया उसमे एक पता था जो मेरे घर से काफ़ी दूर था, मैंने अच्छी तरह से स्नान किया, शेव की और अपने लंड को भी अच्छी तरह से तैयार कर लिया, मुझे पता था कि आज इसकी जरुरत पड़ सकती है।
मैंने घर पर कहा- मेरे दोस्त की बहन की शादी है मैं वहाँ जा रहा हूँ और रात को वहीं रुकूँगा।
और घर से निकल लिया।
मैं बताये हुए पते और समय पर पहुँच गया। वो एक कोठी का पता था जो काफ़ी बड़ी और सुन्दर कोठी थी, मैंने वहाँ पहुँच कर घण्टी बजाई तो 30-35 साल की एक औरत ने दरवाजा खोला।
उसने कहा- जी बताइए साहब, किससे मिलना है?
मैंने कहा- वो तुम्हारी मालकिन ने बुलाया था !
“जी आईए अन्दर !’ और उसने सोफ़े की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- आप यहाँ बैठिये ! मैं मालकिन को बुला कर लाती हूँ !
और वो अन्दर चली गई।
मैं इधर-उधर देखने लगा, मुझे यहाँ पार्टी जैसा कोई माहौल नहीं लग रहा था और मैं मन ही मन सोच कर खुश हो रहा था कि जो मैं घर से सोच कर चला था आज वो ही होने वाला है।
फ़िर कुछ देर बाद वो दोनों बाहर आई, जब वो बाहर आई तो मैं तो उस को देखता ही रह गया उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी बाल खुले थे, वो इतनी सैक्सी लग रही थी कि उसे देखकर ही मेरी पैंट के अन्दर तो अभी से हलचल होने लगी, दिल कर रहा था कि इसे अभी पकड़ कर चोद दूँ। पर मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था क्योंकि मुझे पता था कि आज रात तो इसे मैं ही चोदने वाला हूँ।
वो मेरे पास आई और बोली- तो आ गये आप? समय के पक्के हो।
तब उसने नौकरानी को कुछ पैसे दिये और कहा- अच्छा तो अब तुम जा सकती हो !
और वो चली गई, वो दरवाजा बंद करने के लिये उसके पीछे-पीछे चल दी तब मैंने उसको पीछे से देखा उसका ब्लाऊज़ पीछे से खुला हुआ था वो बस कुछ फ़ीतियों से बंधा था जिससे उसकी कमर पूरी तरह से नंगी दिखाई दे रही थी और उसने ऊँची ऐड़ी वाली सैंडिल पहनी थी जिससे उसके कूल्हे बाहर को निकले हुए दिख रहे थे जो उसके चलने पर बहुत ही सैक्सी अन्दाज में हिल रहे थे, जैसे मुझे वो आमंत्रण दे रही हो उसको चोदने का !
दिल तो किया उसे अभी दबोच लूँ, पर फ़िर मैंने सोचा कि सब्र का फ़ल मीठा होता है और मैं वहीं बैठा रहा।
फ़िर उसने अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया, जैसे ही वो मेरे पास आई, मैंने उसे एक गुलाब का गुलदस्ता दिया जो मैं रास्ते में से उसके लिये लाया था और उसे फ़िर से बधाई दी।
मैंने अनजान बनते हुये पूछा- आपने तो कहा था कि पार्टी है, पर मुझे तो यहाँ कोई भी दिखाई नहीं दे रहा है? और ना ही केक है यहाँ?
उसने मेरा हाथ पकड़ा और एक कमरे की तरफ़ ले गई, कमरे का दरवाजा बंद था, उसने दरवाजा खोला और जब मैं अन्दर गया तो देखा उस कमरे में हल्कि लाल रोशनी जल रही थी, एक बैड था और बैड के सामने एक मेज थी जिस पर एक केक रखा था। वो कमरा शायद वहाँ का बैडरुम था, मैंने मुड़ कर उसकी तरफ़ देखा तो वो दरवाजा बंद कर चुकी थी और मेरी तरफ़ देखकर बोली- आज का जन्मदिन मैं तुम्हारे साथ अकेले मनाना चाहती थी।
फ़िर वो मेरा हाथ पकड़ कर ले गई, बैड पर बैठाया और मेरे पास बैठ कर केक काट कर उसका एक टुकड़ा उठा कर मुझे खिलाने लगी, मैंने उस टुकड़े में से आधा खाया और आधा उसके हाथ से अपने हाथ में ले लिया और उसके मुहँ की तरफ़ बढ़ाया।

उसने अपना मुँह थोड़ा सा खोला और वो टुकड़ा अपने मुँह में ले लिया और नीचे की तरफ़ मुँह करके खाने लगी। केक का टुकड़ा थोड़ा बड़ा था तो कुछ केक उसके होंठों पर लग गया।
अब आप सब लोग तो जानते ही हो कि हम दिल्ली के लड़के फ़िल्में देखकर ही बड़े होते हैं तो इस समय मुझे भी एक फ़िल्मी सीन याद आया और मैंने अपना हाथ उसकी ठोड़ी को लगाया और थोड़ा सा ऊपर उठा कर अपनी तरफ़ किया, फ़िल्मी स्टाइल में अपने होंठों को उसके होंठों की तरफ़ बढ़ाया, पर उसने शायद शरमा कर अपनी नजरें नीचे झुका ली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर टिका दिये।
मेरी इस हरकत का उसने कोई विरोध नहीं किया जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, उसने मेरा कोई विरोध तो नहीं किया पर मेरा साथ भी नहीं दिया बस ऐसे ही बैठी रही।
मैं करीब 15 मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा, उसकी गरम-गरम साँसें मुझे महसूस हो रही थी, फ़िर वो उठ खड़ी हुई, मैं भी उसके साथ खड़ा हुआ और उसके पीछे से उसकी कमर पर हाथ फ़ेरा और उसकी कमर को एक बार चूम कर उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ कर हटाने लगा।
साड़ी उतार कर उसे बैड पर साइड में रख दिया और उसे अपने हाथों में उठाकर बैड पर बैठाया। उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल ली। वो एक नई दुल्हन की तरह बैड पर बैठ गई, उसने अन्दर काला ब्लाऊज और काला पेटीकोट पहना हुआ था जिसमें उसका गोरा बदन कोयले की खान में हीरे की तरह चमक रहा था।
फ़िर मैं बैड पर उसके पीछे जाकर उसे अपने दोनों पैरों के बीच में लेकर बैठ गया, फ़िर मैंने अपने हाथ उसके खुले बालों में डाले और उन्हें आगे की तरफ़ करते हुये उसकी पीठ पर हाथ फ़ेरने लगा और चूमने लगा और उसका ब्लाऊज़ पीछे से खोलने लगा, उसका ब्लाऊज़ खोलकर मैंने उतारा और साईड में रख दिया, ब्रा ना पहनी होने से अब उसका बदन ऊपर से बिल्कुल नंगा मेरी आँखों के सामने था जो एकदम शीशे की तरह साफ़ चमक रहा था।
फ़िर मैंने अपनी कमीज उतारी और अपने हाथ उसके हाथों के नीचे से ले जाकर उसकी चूचियों पर रख दिये और धीरे-धीरे मसलने लगा और अपने होंठों से उसके गले को चूमने लगा।
क्या बताऊँ यारो ! ऐसा लग रहा था जैसे मेरे हाथों में मक्खन हो ! और उसके गले को चूमते-चूमते में एक अजीब सी मदहोशी में खो गया जिसके कारण मुझे पता ही नहीं चला कि ऐसा करते मुझे कितनी देर हो गई थी।
मुझे तो तब होश आया जब उसने अपने हाथ मेरे हाथों पर रखे जो उसकी चूचियों को मसल रहे थे। उसने मेरे हाथों पर अपने हाथों का दबाव बढ़ाया, यह उसकी तरफ़ से पहली हरकत थी क्योंकि अब तक ना तो उसने मेरी किसी हरकत का विरोध किया था और ना ही अपनी तरफ़ से कोई हरकत की थी, बस जैसे मैं उससे करवा रहा था वैसा वो कर रही थी।
उसकी इस हरकत पर मेरी आँख खुली तो देखा कि वो अपनी चूचियों को दबवाने में मेरा पूरा साथ दे रही थी और अपना मुँह ऊपर कर के सिसकारियाँ ले रही थी।

फ़िर मैंने उसके कान के पास अपना मुँह ले जाकर कहा- आई लव यू जान !

इतना सुनकर उसने अपनी हाथों की पकड़ ढीली की, अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ़ देखा और मेरे होंठों पर अपने होंठों से चूमा और कहा- आई लव यु टू जान !
और मुझसे लिपट गई और मेरी छाती और गले को चूमने लगी।
फ़िर मैंने उसे लिटाया और अपने होंठों से उसके होंठों को चूमने लगा और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

अबकी बार उसने मेरा खुलकर साथ दिया, उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दी और मुझे दुगने उत्साह से चूमने लगी। अब तो वो अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक जितना ले जा सकती थी ले जा रही थी और कभी मेरी जीभ को अपने होंठों से पकड़ कर अपने मुँह के अन्दर ले जाती। सच मानो दोस्तो, इस समय मुझे वो आनन्द मिल रहा था कि मानो बस यह सारी दुनिया यहीं रुक जाये !
इन पलों के सामने स्वर्ग का आनन्द भी कम था।

उसके बाद में उसके होंठों को छोड़कर धीरे-धीरे उसकी चूचियों की तरफ़ बढ़ा, मैंने उसकी चूचियों को गौर से देखा वो फ़ूल कर काफ़ी बड़ी हो गई, जिस कारण उसकी चूचियों के भूरे घेरों के एक-एक रोये के साथ-साथ उनकी घुण्डियाँ भी बिल्कुल नुकीली हो गई।

मैंने उसकी एक घुन्डी को अपने हाथ मैं और दूसरी को अपने होंठों के बीच में लेकर उस पर धीरे-धीरे जीभ फ़िराई।

मेरी इस हरकत से तो जैसे उसको करंट लग गया हो और उसके हाथ-पैर बुरी तरह से कँपकंपाने लगे जो उससे सहन नहीं हुआ और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसा और उसने मेरा पूरा साथ दिया।

अब धीरे-धीरे मैं उसको चूमता हुआ नीचे की तरफ़ बढ़ा और मैंने एक ही झटके में उसका पेटीकोट निकाल कर उससे अलग कर दिया, जैसा मुझे यकीन था उसने काली रंग की जालीदार चड्डी पहनी थी, मैं यह देखकर हैरान था कि उसकी चड्डी पूरी तरह से उसकी चूत के रस में भीगी हुई थी और कमरे की लाल रोशनी में गजब की चमक रही थी।

अब मेरी हालत बहुत बुरी होती जा रही थी, मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी। उस नजारे को बयान करने के लिये तो मेरे पास शब्द ही नहीं हैं, और एक बात मैं अपने अब तक के तर्जुबे से यह तो बोल सकता हूँ कि उसकी शादी तो जरुर हुई, पर वो अब तक ज्यादा नहीं चुदी थी, उसकी चूत के दोनों होंठ आपस में चिपके हुये थे बस उन के बीच से हल्का-ह्ल्का उसकी चूत का रस निकल रहा था जिससे उसकी चूत पूरी तरह से भीग चुकी थी जो बिल्कुल हीरे की तरह चमक रही थी, उसे देख कर लग रहा था जैसे शायद उसने आज ही उसकी सफ़ाई की है।

मैंने उसको बैड के एक साइड किया और उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रखकर खुद बैड से नीचे घुटनों के बल बैठकर उसकी दोनों टांगें अपने कन्धों पर रख ली, अब उसकी चूत मेरे मुँह से बस कुछ ही दूरी पर थी जिसके कारण उसकी चूत की खुशबू सूंघकर मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और फ़िर उसको एक बार चूमकर उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठ टिका दिये, मैंने अपने मुँह का दबाव बनाते हुये अपनी जीभ उसके चूत के होंठों के बीच अन्दर डाल दी और उसकी चूत का रसपान करने लगा।

मैंने अभी अपनी जीभ दो-चार बार ही अन्दर-बाहर की थी कि उसने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाव बढ़ाया और अपने चूतड़ उठा-उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी और इसी दौरान उसका शरीर बुरी तरह से अकड़ा जिसके कारण वो अपने सिर को इधर-उधर पटकने लगी, फ़िर एकदम से उसके अन्दर का ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा।

मैंने अभी अपनी जीभ दो-चार बार ही अन्दर-बाहर की थी कि उसने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाव बढ़ाया और अपने चूतड़ उठा-उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी और इसी दौरान उसका शरीर बुरी तरह से अकड़ा जिसके कारण वो अपने सिर को इधर-उधर पटकने लगी, फ़िर एकदम से उसके अन्दर का ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा।

बस अब क्या बताऊँ दोस्तो, उसके इस ज्वालामुखी ने कितना रस छोड़ा, मैं तो बस उसको अपनी आँखें बंद करके गटा-गट पीता ही जा रहा था। जब वो शान्त हुई तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचा और मेरे मुँह और होंठों पर लगे अपनी चूत के रस का आनन्द लेने लई, उसने चाट-चाट के मेरे मुँह को एकदम साफ़ कर दिया।

फ़िर कुछ देर तक वो बैड पर शान्त लेटी रही, मैं भी उसके बगल में लेट गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। कुछ देर बाद वो फ़िर से गर्म होने लगी और मैं यह देखकर हैरान हो गया कि अबकी बार उसने पहल की, उसने मुझे हाथ पकड कर बैड के नीचे खड़ा किया और खुद मेरे सामने घुटनों के बल बैठकर मेरी पैन्ट खोलने लगी, उसने मेरी पैंट मेरी टाँगों से अलग कर दी, फ़िर उसने कुछ देर मेरे लंड निहारा और अपनी आँखें बंद करते हुए उसे अपने हाथ में पकड़ कर चूम लिया।

उसके ऐसा करते ही मेरा दिल तो बाग-बाग हो गया तब उसने अपना मुँह खोला और लंड की चमड़ी को पीछे करते हुऐ उसे अपने मुँह में भर लिया।
सच मानो दोस्तो, मुझे उससे ऐसा करने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी पर वो तो बस अपनी आँखें बंद करके उसे पूरे दिलो जान से चूसे जा रही थी जैसे कोई छोटी बच्ची लोलीपोप चूस रही हो !
वो काफ़ी देर तक ऐसे ही मेरे लंड को चूसती रही, 15 मिनट के बाद मुझे लगा जैसे कि मेरा माल छुटने वाला है, तब मैंने अपना लंड उसके मुंह से छुड़ाने की नाकाम कोशिश की, पर वो थी कि छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी।
मैं समझ गया कि वो क्या चाहती है शायद वो मेरे माल को पीना चाहती थी और फ़िर कुछ देर में मैं उसके मुंह में ही झड़ गया वो झड़ने के कुछ देर बाद तक मेरे लंड को चूसती रही जब तक कि लंड की आखिरी बून्द तक वो अपने गले से नीचे ना उतार गई।

फ़िर मैंने उसे उसके कन्धों से पकड़ कर उठाया और उसके होंठों पे होंठ रखकर चूमने लगा, उसने भी खुलकर मेरा साथ दिया वो कभी अपनी जीभ मेरे अन्दर डालती और कभी मेरी जीभ को अपने मुँह के अन्दर तक ले जाती।

सच मानो दोस्तो ये सब कुछ मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि उसके मुँह से मुझे मेरे वीर्य का स्वाद आ रहा था जो मुझे बिल्कुल अजीब लग रहा था, पर फ़िर भी मेरा दिल उसको छोड़ने को बिल्कुल नहीं कर रहा और मैं भी उसे अपनी आँखें बन्द किए उसे चूमे ही जा रहा था, मेरा लंड उसके पेट से टकरा रहा था जिसके कारण वो फ़िर से अकड़ रहा था। फ़िर मैंने उसे बैड पर लेटाया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। उसने भी खुशी जाहिर करते हुये अपनी टाँगें फ़ैला कर मेरी कमर में कस ली और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, उसकी चूत बहुत ही चिकनी हो गई थी और बहुत सा पानी छोड़ रही थी। मेरा लंड एक ही झटके में अन्दर चला गया, पर अब मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की और बहुत प्यार से अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगा।
हम दोनों तो बस एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। मैंने ऐसे ही उसको करीब आधा घंटा चोदा, उसके बाद हम दोनों एक साथ अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये।

कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, हमें कब नींद आ गई हमें पता ही नहीं चला।

अगले दिन हम दोनों उठे और स्नान कर के उसके घर से अपने-अपने घर की तरफ़ चल दिये अगली बार मिलने का वादा कर के !

उसके बाद मैं अपने घर चला गया और वो अपने !

अगले दिन हम दोनों उठे और स्नान कर के उसके घर से अपने-अपने घर की तरफ़ चल दिये अगली बार मिलने का वादा कर के !

उसके बाद मैं अपने घर चला गया और वो अपने !

उस दिन के बाद तो हम दोनों के फ़ोन का खर्च और भी बढ़ गया, मैं अब हर बार उसे अपनी दूसरी मुलाकात के लिए कहता और वो हमेशा ही कहती कि जल्दी ही होगी, क्या करूँ, दिल तो मेरा भी कर रहा है।

अभी हमें चुदाई किये दो दिन भी नहीं हुये थे और मेरी हालत खराब होती जा रही थी, हम जब मिलते थे तब भी आस-पास कोई ना कोई होता था, हम सब की आँखें बचा कर बस थोड़ी बहुत चूमाचाटी ही कर पाते, और कभी सिनेमा में फ़िल्म देखते-देखते उसकी चूचियाँ दबा देता, इससे आगे कभी मौका ही नहीं मिला।

फ़िर हम दोनों ने एक शनिवार को चुदाई का प्रोग्राम बनाया वो भी होटल में, उसने एक होटल का पता और रूम नम्बर मुझे दिया और शाम सात बजे आने को कहा।

वो एक 5 स्टार होटल था जिसमें मैं एक बार पहले भी जा चुका था, तो मैं उस होटल के बारे में जानता था। मैं समय पर पहुँच गया। मैं सीधे उसके रुम के बाहर पहुँचा, उसने काफ़ी मंहगा कमरा बुक किया था, उसके कहे अनुसार मैंने दरवाजा खटखटाया।

उसने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलने के बाद का नजारा कुछ ऐसा था जिसे देखकर तो मैं अपने आप पर गर्व महसूस करने लगा। क्या बला की खूबसूरत लग रही थी वो !
उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, उसी रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी। सच मानो दोस्तो, उस समय तो अगर मेरे सामने जन्नत की परी को भी खड़ा कर दो तो एक बार तो मैं उसको भी फ़ेल कर दूँ।

और एक बात तो है दोस्तो की अगर कोई औरत जब हमारे सामने चुदने को खड़ी हो तो हमें तो बस वो ही दिखाई देती है।

मुझे भी बस वो ही दिखाई दे रही थी और उसके इस रूप ने तो मेरे होश ही उड़ा दिये थे। मेरा रुकना नामुनकिन था, दिल कर रहा था कि उसको यहीं दरवाजे पर ही खड़ा करके चोद दूँ।
उस समय तो मुझे उसके होंठ दिखाई दे रहे थे जिस पर उसने गुलाबी रंग की लिप्स्टिक लगा रखी थी, जो मुझे पागल किये जा रही थी। दिल कर रहा था कि बस अभी अपना लंड निकाल कर इसके मुँह में दे दूँ, जिसे ये लोलीपोप की तरह चूसती रहे।
मैं तो अपने इन्हीं सपनों में खोया हुआ था, मेरा सपना तो जब टूटा जब उसने हाथ मिलाने के लिये आगे बढ़ाया और कहा- हाय ! आ गये आप ! क्या बात है आज कुछ लेट हो गये, रास्ते में कोई और मिल गया था क्या?

उसने मजाक में कहा।

मैं कहाँ उसके इस मजाक का जवाब देने की हालत में था, मैंने उससे हाथ मिलाया और कमरे के अन्दर दाखिल हुआ, दरवाजा बंद किया और सीधा उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये, उसके शरबती होंठों का वो स्वाद तो भूले नहीं भूलता यार ! मैंने अपने हाथों से उसके चेहरे को थामा और उसको इस कदर चूमने लगा जैसे उसे अब मैं खा ही जाऊँगा।

वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और बेहताशा पागलों की तरह मुझे चूमे ही जा रही थी, हम दोनों एक दूसरे से इस कदर लिपट चुके थे कि हमारे बीच से हवा भी पार ना हो सके।

हम नहीं जानते कि हम दोनों इस तरह एक दूसरे के होंठों के रसपान का आनन्द कितनी देर तक लेते रहे, पर हाँ हम दोनों एक दूसरे के होंठों के रसपान का आनंद तब तक लेते रहे जब तक मेरा मुँह नहीं दुखने लग गया।

फ़िर मैंने अपने हाथ उसकी कमर को लपेटे और उसे अपनी बाँहो में उठा लिया और बैड की तरफ़ बढ़ने लगा, पर हमने होंठों का रसपान जारी रखा, जो हमने तभी छोड़ा जब मैंने उसे बैड पर लेटाया।

उसने लेटते-लेटते अपना एक हाथ अपने होंठों पे रखते हुये कहा- जालिम, आज क्या मुझे खा जाने का इरादा है क्या तुम्हारा? थोड़ा आराम से ! आज की रात तो मैं तुम्हारी ही हूँ, कोई भागी नहीं जा रही, देखो तुमने मेरे नाजुक से होंठों का क्या हाल कर दिया है, पूरे छील के रख दिये !

मैंने कहा- जान ऐसा तो कोई इरादा नहीं था मेरा ! पर क्या करूँ, आज तो तुम कयामत लग रही हो कयामत !

कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फ़िर मैं उठा और उसके ऊपर चढ़ गया, ऊपर चढ़ते ही सबसे पहले मैंने उसके साड़ी का पल्लू एक साईड किया। साड़ी का पल्लू साईड में करते ही मेरा तो दिमाग ही हिल गया, मैंने एक लम्बी सांस ली।

दोस्तो, वास्तव में भारतीय नारी साड़ी में सबसे सुन्दर लगती है, और अगर गलती से भी उसका साड़ी का पल्लू गिर जाये तो लगता है वो ऊपर से नग्न ही हो गई हो !

मेरे सामने भी अब कुछ ऐसा ही नजारा था। और कुछ आजकल की औरतें ब्लाउज भी कुछ ऐसा पहनती हैं, गला खुला हुआ, काफ़ी टाईट जिसे सब शोर्ट कहते हैं। उसने भी कुछ ऐसा ही पहना हुआ था, इस समय जो सबसे आकर्षित करती है वो है औरत की साँस, और हर साँस के साथ ऊपर नीचे होती उसकी चूचियाँ, जिनको देख के मैं तो पागल ही हुआ जा रहा था।

अब मैं हल्का सा उसके ऊपर लेट सा गया, और उसके माथे पे किस किया और उसकी आँखो में देखने लगा, वो हल्की सी मुस्कराई और अपनी आँखें बंद कर ली।

फ़िर मैंने अपने होंठ उसके एक कान पर रखे और जीभ थोड़ी सी बाहर निकाल कर उसके कान के सुराख में घुमाने लगा, उसके मुँह से तो बस सिसकारियाँ निकल रही थी और लम्बी-लम्बी साँसें ले रही थी, उसके दोनों हाथ अपने आप मेरे सिर पर आ चुके थे। मैं उसके कानों को चूमता चाटता हुआ उसकी गरदन तक आया और अपने पूरे होशोहवास खोकर उसकी गरदन को चूमने लगा।

वो तो बस अपने मुँह से बड़ी ही सैक्सी आवाजों में सिसकारियाँ ले रही थी- ऊऊऊह ऊ आह आअ, आराम से जान !

कुछ देर बाद में उसके ऊपर से हटा और उसे बैड के नीचे खड़ा किया, फ़िर मैंने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ा और उसे उसके जिस्म से अलग करने लगा, साड़ी उसके जिस्म से अलग करके, मैं उसके गले लगा और अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसके ब्लाउज के हुक खोल कर उसके ब्लाउज को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया, उसने ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी जिससे उसके ब्लाउज खुलते ही उसके दोनों कबूतर फ़ड़फ़ड़ा कर बाहर आ गये।
एक बार तो मैंने शान्ति से खड़े होकर नजर भर कर उसके जिस्म को देखा, कमरे मैं सारी की सारी लाईट जली हुई थी, जिससे उसका कामुक बदन साफ़-साफ़ नजर आ रहा था।
सच में दोस्तो, बनाने वाले ने भी पता नहीं क्या सोच कर बनाया होगा ! जैसे पानी को जिस बर्तन में भी डालो वो वैसा ही आकार ले लेता है, वैसे ही औरत के बदन को भी कोई भी कपड़ा पहनाओ, वो कयामत ही लगती है।
और जब उसके ये कपड़े उसके बदन से उतरते है तो देखने वाले की आँखों के सामने तो कयामत ही आ जाती है और उसके लंड के सामने उसकी सारी इन्द्रियाँ काम करना बन्द कर देती हैं, और वो सारी दुनिया भुला कर उसी को चोदने के लिये तड़प जाता है फ़िर चाहे वो अच्छा हो या बुरा !

मेरी हालत भी शायद अब कुछ ऐसी ही थी कि अगर अब हमारे बीच कोई आ जाये तो वो हम दोनों का सबसे बड़ा दुश्मन होगा इस दुनिया का।

मैं यह सब सोच ही रहा था कि वो थोड़ी शरमा के मुझसे लिपट गई। उसके लिपटते ही मुझे इतनी खुशी हुई कि मैंने भी उसे अपनी बाहों में समेट लिया और अपने हाथों से उसकी पीठ सहलाने लगा, उसने तो अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया और चूमने लगी। मैं तो खुशी के मारे अपना मुँह छत की तरफ़ कर मुस्करा रहा था और अपने आप पर घमंड भी हो रहा था, क्योंकि यह मेरी किस्मत ही तो थी जो आज मैं इतनी खूबसूरत औरत को अपनी बाहों में समेटे खड़ा था।

वो मेरी बाहों में झूल रही थी और मैं उसके कोमल से बदन से खेले ही जा रहा था और नीचे मेरा लंड ठुनक-ठुनक के अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहा था और यह बात शायद वो भी जानती थी, जिसका इजहार उसने मेरे लंड पर अपनी चूत का दबाव बनाकर प्रदर्शित किया, और सच में इन छोटी-छोटी हरकतो में हमें बहुत मजा आ रहा था, क्योंकि चुदाई का मतलब यह नहीं कि बस चूत में लंड डाल कर 10 या 15 मिनट हिलाओ, इससे तो पूरा मजा 10 या 15 मिनट में ही खत्म हो जायेगा, और हमें तो आज पूरी रात जाग के एक दूसरे के बदन के साथ खेलना था और इस खेल के आनन्द को वो ही समझ सकता है जिसने यह खेल खेला हो।

हम फ़िर से एक दूसरे को चूमने लगे, अब मैं चूमता-चूमता नीचे की तरफ़ बढ़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा। अब मैं और नीचे बढ़ा और एक हाथ से उसकी एक चूची पकड़ी और दूसरी चूची को अपने मुँह में लिया, वो तो बस एक बेबस चिड़िया की तरह प्यार भरी सिसकारियाँ ले रही थी और अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपने शरीर के हर उस हिस्से, जिस हिस्से को मैं चूम रहा था, पर मेरे मुँह का दबाव बढ़ा रही थी। वो इस कदर दबाव डाल रही थी जैसे मुझे पूरे को ही अपने अन्दर समा लेना चाहती हो, और सिसकारियों में कुछ अजीब बड़बड़ा रही थी- आ आआ मेरे राआ आअ जा आअ जोर से करो मसल डालो मुझे, निचोड़ के पी जाओ आज मुझे, जाने ये मेरा बदन कब से तड़प रहा था एक मर्द के लिये, इतना आग में तड़पा है ये कि एक बार की चुदाई से इसे कोई फ़रक नही पड़ा, आज मेरी दिल की सारी तमन्ना पूरी कर दो, आज तोड़ मरोड़ के रख दो मुझे ! आज की रात जवानी के पूरे मजे दो मुझे, आज की रात मुझे इस कदर चोदो कि आज की रात में कभी भुल ना पाऊँ।

उसकी ये बातें और सिसकारियाँ मेरे जोश को और बढ़ा रही थी और मैं उसकी चूचियो को और जोर से मसल रहा था, चूम रहा था।

मैं कभी एक चूचि को अपने मुँह में लेता और दूसरी को अपने हाथ से दबाता, और कभी दूसरी को मुँह में लेता और पहली को हाथ से दबाता।

मैं उसकी चूचियों को इतनी जोर से दबा रहा था कि उसकी चूचियाँ लाल पड़ गई थी और कई जगह पर तो मेरे दांतों के निशान भी पड़ गये थे।

अब मैं उसके पेट को चूमते हुये नीचे की तरफ़ बढ़ा, मैं उसके सामने अपने घुटनों पर बैठ गया, नीचे बैठते ही मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके पेटीकोट का नाड़ा खोला, नाड़ा खोलते ही उसका पेटीकोट खिसक कर नीचे आ गया, पेटीकोट नीचे आते ही उसका पूरा बदन मेरी आँखों के सामने था।

मैंने पेटीकोट को उसके पैरों से अलग किया, मेरे सामने अब वो पूरी तरह से नंगी खड़ी थी, उसकी चूत तो ना जाने अब तक कितना पानी छोड़ चुकी थी, मैंने बस कुछ देर उसको देखा, और बिना समय गंवाये उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत के अन्दर दाखिल कर दिया।

मेरा ऐसा करने पर उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर पर रख दिये और मेरे सिर पर दबाव बढ़ाने लगी। वो तो आँखें बंद करके इस पल का मजा बड़े आराम से लेने लगी। उसकी टांगें कांप रही थी और दिल को छू जाने वाली सिसकारियाँ अपने मुँह से निकाल रही थी जिसे सुन कर मेरा जोश और बढ़ रहा था।
मैं भी उसे बड़े मजे ले लेकर चूसे जा रहा था, कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा, उसने अपनी टांगों को भींच लिया और अपनी टांगों के बीच मेरे सिर को मसलने लगी।

कुछ ही देर बाद उसका फ़व्वारा फ़ूट गया, जिसे मैं बड़े चाव से पीता गया, अब वो शान्त हो चुकी थी, उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया, और मुझे चूमने लगी।

अब हम दोनों बैड पर आ गये और एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल कर एक दूसरे के जिस्म के साथ खेलने लगे। वो लंड को बड़े आराम से सहलाने लगी और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। वो मेरे ऊपर चढ़ गई और लंड को अपनी चूत के छेद पर लगा के उस पर आराम से बैठने लगी, लंड धीरे धीरे उसकी चूत के अन्दर जा रहा था और शायद इससे उसको थोड़ी तकलीफ़ भी हो रही थी। उसने अपनी आँखें बंद कर के कुछ सिसकारियां ली।

कुछ ही देर बाद का नजारा यह था कि मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतर चुका था, अब उसने अपनी आँखें खोली, मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराई और मेरे ऊपर झुक कर मेरे माथे को चूम लिया। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने झूल रही थी, मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी दोनों चूचियों को थाम लिया और एक-एक करके चूसने लगा।

उसने तो अपनी बाहें मेरे गले में डाली हुई थी, अपने चूतड़ों को अपनी पूरी ताकत से उठा उठा कर लंड पर बरसा रही थी, और अपने मुँह से मस्त मस्त आवाज निकाल रही थी।
अब वो उठी और उलटी हो कर फ़िर से लण्ड पर बैठ गई, अबकि बार जब वो लंड पर बैठी तो लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा अन्दर चला गया क्योंकि लंड और चूत पूरी तरह से गीले हो चुके थे, और इतनी चिकनाई होने के कारण लंड को अन्दर जाने में कोई तकलीफ़ नही हुई और अब तक तो उसकी चूत मेरे लंड के आकार के मुताबिक फ़ैल चुकी थी, शायद इसलिये उसे भी अपनी चूत में लंड लेते हुये कोई परेशानी नहीं हुई।

उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी और उसने अपने हाथ मेरे पैरों पर रखे हुये थे, वो अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर जोर-जोर से पटक रही थी वो इस पल का मजा पूरे दिलो जान से ले रही थी।
मैं तो अपने हाथों से उसके चूतड़ों की गोलाइयाँ नाप रहा था और साथ-साथ उसकी पीठ को भी सहला रहा था।

यह करते-करते मुझे एक शरारत सूझी, मैंने अपनी एक उंगली को अपने मुँह में लेकर गीली किया और उसकी गांड के छेद पर रख दी, और थोड़ी सी ताकत लगाई तो उंगली एक पोर तक गांड के अन्दर चली गई, मेरी इस हरकत से शायद वो अन्जान थी इसलिये उंगली गांड के अन्दर जाते ही वो उछल पड़ी और उसने मेरी तरफ़ पलट कर देखा और अपने हाथ से मेरी उंगली को अपनी गांड के छेद से बाहर निकाल कर बोली- क्या कर रहे हो? इसका भी नम्बर आयेगा, थोड़ा सब्र करो !

और वो फ़िर से अपने चूतड़ उछालने लगी, पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने फ़िर वही किया, वो फ़िर से बोली- मानोगे नहीं तुम?

उसने मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाला और एक दो बार अपनी गांड के छेद पर रगड़ कर उसे अपनी गांड के छेद पर टिकाया और उस पर अपनी गांड का दबाव बनाया, लंड चूत में इतनी देर रहने के बाद काफ़ी चिकना हो चुका था जिसके कारण लंड की टोपी तो एक ही झटके में अन्दर चली गई, टोपी अन्दर जाते ही उसने प्यार भरी एक सिसकारी ली और फ़िर से उसने अपनी गांड का दबाव मेरे लंड पर बनाया।

अब की बार लंड धीरे धीरे सरकता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर चला गया, अब उसने अपनी गांड ऊपर उठाई जिससे लंड टोपी तक उसकी गांड से बाहर आ गया, उसने एक लम्बी सांस ली और मेरे लंड पर बैठ गई। अब की बार लंड पूरा का पूरा जड़ तक उसकी गांड में उतर गया, लंड गांड में जड़ तक उतरने के साथ-साथ उसके मुँह से दर्द और आनन्द की एक मिली जुली सिसकारी निकली।

वो कुछ देर ऐसे ही बैठी और फ़िर से अपना काम चालू कर दिया यानि अपनी गांड उठा उठा कर लंड पर मारने लगी।

दोस्तो क्या खूबसूरत नजारा था ! वो लंड को टोपी तक बाहर निकालती और फ़िर उसे अपनी गांड के अन्दर ले जाती, मैं तो अपने दोनों हाथ अपने सिर के पीछे रखकर इस नजारे का मजा ले रहा था, वो तो बस मजे में सिसकारियाँ ले ले कर अपनी गांड मेरे लंड पर पटके जा रही थी।
अब इतनी देर की चुदाई के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा था, मुझे लग रहा था शायद अब मैं छुट जाऊँगा, पर अभी मैं ये नहीं चाहता था, मैंने उसको अपने ऊपर से हटाया और बैड के किनारे पर बैठ कर लम्बी-लम्बी सांस लेने लगा।

अब मैंने उसको बैड के किनारे पर घोड़ी बनाया और अपने लंड को पकड़ कर एक बार चूत से लेकर उसकी गांड तक फ़िराया और उसकी गांड के छेद पर रखकर और थोड़ा सा दबाव बनाया। लंड उसकी गांड की गहराई में उतर गया।

अब मैं उसको अपने पूरे जोश से चोदने लगा, वो भी अपनी गांड को पीछे की तरफ़ हिला हिला के मेरे हर एक धक्के का जवाब दे रही थी और अपनी गांड की गहराइयों में मेरे लंड का स्वागत कर रही थी। वो अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को भी छेड़ रही थी। अब मेरा शरीर फ़िर से अकड़ने लगा, तो मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही देर में मेरा झड़ने का वक्त आ गया था, मैंने उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया, और अपने लंड से फ़व्वारा उसकी गांड के अन्दर ही छोड़ दिया।

लंड अन्दर फ़व्वारे पे फ़व्वारे छोड़े जा रहा था जब तक लंड ने अपने अन्दर की एक-एक बून्द उसकी गांड के अन्दर ना छोड़ दी। मैं नहीं जानता मेरे लंड ने उसकी गांड के अन्दर कितना वीर्य छोड़ा पर उसकी पूरी गांड भर गई, जिसके साथ-साथ उसने भी अपनी चूत का पानी छोड़ दिया।

इतनी लम्बी चुदाई के बाद मैं काफ़ी थक गया था, मैं बैड पर लेट गया और वो भी मेरे बगल में लेट कर मेरी छाती के बालों से खेलने लगी, कभी वो मेरी छाती के बालों से खेलती कभी मेरी चूचियो को अपनी जीभ से चाटती।

उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरी थकान भी दूर हो रही थी।

इतनी लम्बी चुदाई के बाद मैं काफ़ी थक गया था, मैं बैड पर लेट गया और वो भी मेरे बगल में लेट कर मेरी छाती के बालों से खेलने लगी, कभी वो मेरी छाती के बालों से खेलती कभी मेरी चूचियो को अपनी जीभ से चाटती।

उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरी थकान भी दूर हो रही थी।
हम दोनों बैड पर लेट कर एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे। यहाँ पर मैं आप सबको एक बात बता दूँ कि चुदाई करते समय शायद हम सब मनुष्य, चाहे वो औरत हो या मर्द, वो सब नहीं करते जो हमें अच्छा लगे, हम सब वो करते है जो हमारे साथी को अच्छा लगे, क्योंकि चुदाई करते समय हमारे दिल में एक ही बात रहती है कि चाहे हमें पूरा मजा आये या ना आये पर हमारे साथी को पूरा मजा आना चाहिये, ताकि उसके दिल में हमारे लिये वो जगह बन जाये, जिससे उसको यकीन हो जाये कि हाँ, यही वो इन्सान है जो हमारे जिस्म की भूख को मिटा सकता है। और औरत तो यह सोचती है कि यही सही आदमी है, हमारे लिये है।
हम दोनों एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे जिससे दोनों में जोश फ़िर से आ गया, हमारा जोश अब सातवें आसमान पर था क्योंकि दोस्तो, कोई भी जब किसी के साथ हमबिस्तर होता है तो एक बार झिझक आयेगी, दूसरी बार थोड़ी कम होगी और एक दो बार हमबिस्तर होने के बाद तो आप दोनों एक दूसरे से इतने खुल जाओगे कि आप को एक दूसरे से कोई शर्म नहीं रहेगी, और ना ही एक दूसरे से कोई झिझक रहेगी, और शायद जितना मजा आप दोनों को एक दूसरे के बदन को छेड़ने में मजा आयेगा, उससे कहीं ज्यादा मजा आपको अपने बदन को छेड़वाने में आयेगा।

अब तक हम दोनों ने एक दूसरे के साथ भरपूर बात कर चुके थे, हमबिस्तर हो चुके थे और शायद एक दूसरे के शरीर का एक एक अंग देख चुके थे, छू चुके थे, चूम चुके थे। हम दोनों में अब कोई शर्म नहीं थी, ना ही कोई झिझक थी, हम एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे और दूसरे को खेलने दे रहे थे। और शायद चुदाई का असली मजा भी जब ही आता है जब उसे बेशर्म होकर किया जाये और दोस्तो अब सब एक बात ध्यान में जरुर रखना, चाहे आप लड़का हो या लड़की, चुदाई पूरे मजे से करो और बेशर्म होकर करो और चुदाई में कोई भी काम करना गलत नहीं। अगर चुदाई करो तो खुल के करो आदमी तो जल्दी खुल जाता है पर औरत को ही पूरी तरह से खुलने में टाईम लगता है और जब औरत पूरी तरह से खुल जाये तो तब ही चुदाई का असली मजा आता है, और दोस्तो जब ऐसा होता है तो दोनों को चुदाई करते करते स्वर्ग का आनंद तो इस धरती पर ही मिल जाता है।
अब उसने मेरे जिस्म से खेलते खेलते, नीचे की तरफ़ बढ़ना शुरु किया और लपक कर लंड को पकड़ लिया, उसने एक बार मेरी तरफ़ देख कर अपने होंठों पर जीभ फ़िराई और लपक के लंड को अपने मुँह के अन्दर कर लिया। अबकी बार वो अपनी पूरी शर्म हया भूल कर यह सब कुछ कर रही थी, मैं उसको इस तरह देख रहा था जैसे कोई ब्ल्यू फ़िल्म देख रहा हो। वो अपना मुँह लंड पे चला रही थी और उसके मुँह से राल और मेरे प्रीकम (लंड से जो पानी निकलता रहता है) का मिला जुला संगम निकल रहा था, जिसे वो कुछ को अन्दर निगल रही थी और ज्यादातर बाहर निकल रहा था।

उसे देखकर मुझे मजा आ रहा था और उसका मुँह लंड पर जितनी बार चलता उतना ही मेरी मांस पेशियों में खिंचाव आ रहा था, अब तो मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं उठा, उसे अपनी बाहों में भर लिया और उठा कर बैड के नीचे ले जाकर दीवार से चिपका दिया और उसके होंठों पर किस करने लगा।

मैं उसको किस किये जा रहा था और मेरा लंड उसके पैरों के बीच अपनी दस्तक दे रहा था। जो ना मुझ से बर्दाश्त हो रहा था और ना ही उससे, तो उसी ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर लंड को अपने हाथ में लिया और उसकी चमड़ी पीछे की तरफ़ करते हुये उसे उसकी सही जगह दिखा दी और अपने हाथ मेरी कमर पर लपेटती हुई आगे की तरफ़ दबाव बनाया।
मैं समझ गया कि वो क्या चाहती थी और मैंने भी बिना देर किये उसका यह अरमान भी पूरा कर दिया। दो चार धक्कों में हम दोनों के शरीर आपस में जुड़ गये। दोस्तो, इस तरह चुदाई करते समय लंड पूरी तरह से तो चूत के अन्दर नहीं घुसता, वो सिर्फ़ आधा या आधे से ज्यादा ही घुस पाता है। पर दोस्तो, ऐसे चुदाई करने में मजा काफ़ी आता है क्योंकि इस तरह चुदाई करने में चूत और लंड के बीच घर्षण काफ़ी होता है और चूत लंड के बीच जितना घर्षण होगा मजा उतना ही ज्यादा आयेगा।

मुझे कोई जल्दी नहीं थी इसलिये मैं जितना हो सके उतना आराम से धक्के पे धक्का मार रहा था और वो भी मेरे हर धक्के का जवाब अपनी चूत की गहराईयों में उस पर अपनी चुत का दबाव बना कर प्रदर्शित कर रही थी। जिस का पता मुझे साफ़ साफ़ लग रहा था।
मैं नहीं जानता मैंने कब तक उसको ऐसे ही खड़े करके चोदा। मैं तो उसके हाथों में हाथ डाल कर उसको चूमे ही जा रहा था।हम दोनों इस पल का आनन्द ले रहे थे और अपने अपने सपनों में खोये हुये थे, हमारे दोनों के सपने तो जब टूटे जब हम दोनों के शरीर अकड़ने शुरू हुये। अब की बार मुझे उसका तो नहीं पता पर हाँ, मेरा शरीर अब की बार कुछ इस तरह से अकड़ा कि जैसे आज तो मेरी जान लंड के ही रास्ते से ही निकल जायेगी।

और दोस्तो जब छुटने का वक्त आता है तो आदमी हो या औरत दोनों की रफ़्तार अपने आप बढ़ जाती है। वही हमारे साथ भी हुआ और मैंने भी अपने हर एक धक्के पर चौके छक्के मारने शुरु कर दिये और उसने भी मुझे कस कर दबोच लिया।

एक दो लम्बे लम्बे शॉट मारने के बाद हम दोनों का काम एक साथ हो गया।
हम दोनों काफ़ी देर तक एक दूसरे से चिपके खड़े रहे, उसकी चूत का पानी और मेरे लंड के पानी का मिश्रण उसकी चूत से टपक रहा था। वो टपक-टपक के नीचे फ़र्श पर गिर रहा था जो हम दोनों के पावों को साफ़ पता चल रहा था।

इस तरह चुदाई करते वक्त हम दोनों की आँखें बंद थी जो अब हमने खोल ली थी, हम दोनों के चेहरे पर खुशी और एक दूसरे के लिये प्यार साफ़ झलक रहा था।

वो इस चुदाई से काफ़ी थक गई थी तो वो सीधा बिस्तर पर जाके लेट गई, और मैं अपने आप को साफ़ करने के लिये बाथरूम की तरफ़ बढ़ा। जैसे ही मैं अन्दर गया, मैंने वहाँ बाथटब पानी का भरा देखा। एक बार तो मुझको हँसी आई कि बन्दी ने आज तो हर तरह से चुदने का इन्तजाम कर रखा है और मेरा दिल उसको यहा भी चोदने का किया।

पर दोस्तो, इतनी चुदाई के बाद मैं काफ़ी थक चुका था तो मैंने पेशाब किया और अपने आप को टब के अन्दर लेटा दिया।

तो मै अपनी आँखें बँद कर के उसमें लेट गया।

मैं उसमें कब तक लेटा रहा, मुझे तो तब पता चला जब वो मेरे पास बैठ कर बोली- औ ! तो जनाब अकेले अकेले मजा ले रहे हैं? और मैंने इसको हम दोनों के लिये भरा था।
मैं उसकी तरफ़ देख कर मुस्कराया और उसका हाथ पकड़ कर टब में खींचते हुये कहा- तो शरमा क्यों रही हो फ़िर?

वो भी मेरे ऊपर लेटते हुये बोली- हमें किस की शर्म !

वो मेरे ऊपर लेट गई, उसके लेटते ही बहुत सारा पानी टब के बाहर गिरा और हम दोनों आपस में फ़िर से चिपक गये।

इस प्रकार हमने बाथरुम में और एक बार जोरदार चुदाई की और आपस में लिपट कर सो गये और सुबह अपने अपने घर चले गये। अब हमें जब भी वक्त मिलता, मौका मिलता हम चुदाई का भरपूर आनन्द लेते और हमारी जिन्दगी मजे से कटने लगी।

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