Tuesday 10 November 2015

अरविन्द का परिवार Parivaar Ki Sex Kahani

मेरा नाम अरविन्द है, मेरी उम्र 50 वर्ष, पिछली पीढ़ी का व्यवसायी और एक विधुर हूँ, मेरी पत्नी माधुरी की कैंसर के कारण जल्दी मृत्यु हो गई थी, वह मुझे तीन बच्चों, बड़ी बेटी प्रियंका (अब 27), मेरा बेटा नील (अब 25), और छोटी बेटी अनुष्का (अब 22) का पालन-पोषण अकेले ही करने के लिए आज से 17 साल पहले ही छोड़ कर चली गई थी।
मैंने लगभग उन्हीं दिनों अपने एक मित्र के साथ मिल कर वैज्ञानिक उपकरणों का निर्यात व्यापार शुरू किया था, मेरे लिए अपने बच्चों की देखभाल इतनी आसान नहीं थी मगर माधुरी की दो छोटी बहनें अक्षरा और आलिया, मेरे बच्चों की मौसियों ने कभी हमें माधुरी की कमी महसूस नहीं होने दी। माधुरी की असामयिक मृत्यु के वक्त अक्षरा और आलिया दोनों अविवाहित थी और बारी बारी से बच्चों की देखभाल के लिए हमारे साथ रहने आती रहती थी।
अक्षरा इस समय 41 साल की हो चुकी है और अपने पति व एक बेटी के साथ पटियाला में बहुत खुश है। इस उम्र में भी वो दिल और शरीर से युवा है, उसके पति प्राध्यापक हैं।
37 वर्षीया आलिया भी आजकल चण्डीगढ़ में अपने पति, एक बेटा एक बेटी के साथ सुखी जीवन बिता रही है। उसके पति का दवाइयों का बड़ा कारोबार है।
मैं जीवन भर अक्षरा और आलिया का शुक्रगुजार रहूँगा कि मेरी इन दोनों हसीन सालियों ने अपने विवाह से पहले और विवाह के बाद भी मेरे बच्चों के लिए समय निकाला, हम चारों को माधुरी की कमी खलने नहीं दी। मुझे नहीं लगता कि कोई पुरूष अपनी सालियों के रूप में अक्षरा और आलिया से बेहतर कुछ पा सकता है।
मैं हमेशा से ही अति कामुक रहा हूँ, और यह बात मेरी माधुरी के साथ साथ अक्षरा और आलिया भी बहुत जल्दी ही जान गई थी।
दोनों ही पहले दिन से ही अपने जीजू को प्यार करती थी और मुझमें ही वे अपना पहला प्रेमी ढूंढने की कोशिश में लगी रहती थी। मेरी माधुरी विवाह के समय अक्षतयौवना नहीं थी, और उसने अपनी दोनों जवाँ और हसीं बहनों अक्षरा और आलिया के अक्षत यौवन को प्राप्त करने में मुझे सहयोग देकर अपनी फ़टी योनि की क्षतिपूर्ति की थी।
खैर..इस समय मैं उस समय की कहानी नहीं बता रहा, उनके बारे में तो हम फ़िर कभी भी बात कर सकते हैं, अगर आप चाहेंगे तो, आज तो मैं इस नई पीढ़ी की बात करना चाह रहा हूँ, मेरी अदभुत पुत्रवधू सोनम (23) की !
पता नहीं आपको मेरी बातें कैसी लग रही होंगी, कुछ को अजीब भी लग रहा होगा कि मैं अपने ही बेटे की पत्नी के बारे में लिख रहा हूँ।
अगर आपकी रुचि हो तो पढ़ते रहिए।
तो मेरे बेटे की शादी अभी सात महीने पहले ही हुई है। मेरी पुत्र वधू मेरे बेटे ने नहीं बल्कि मेरी दोनों सालियों ने पसन्द की थी।
लड़की मुझे भी खूब आकर्षक और रसीली लगी थी। साथ साथ सोनम की मम्मी के गर्मागर्म व्यव्हार ने भी मेरे विधुर मन-मानस के किसी कोने में एक आशा की किरण सी जगा दी थी।
हमारी पहली ही मुलाकात में उस महिला ने अपनी कई छोटी-बड़ी हरकतों से मुझे उसकी अन्तर्वासना से अवगत करा दिया था।
मैं कोई मूर्ख तो हूँ नहीं कि ये बातें ना समझ पाऊँ और फ़िर एक मूर्ख भी उसकी आँखों में देख कर समझ सकता है और एक बार जब अनायास ही हम किसी कारणवश उस कमरे अकेले रह गए थे तो तुरन्त उसका पल्लू फिसल गया था। उस समय जब मेरी नजर उसके नन्हे से ब्लाउज पर पड़ी तो मैं अवाक रह गया, मैंने अपने पूरे जीवन में इससे छोटा ब्लाउज शायद पहले कभी नहीं देखा था। मुश्किल से तीन इन्च की ज़िप लगी थी उसके सामने वाले दो हिस्सों को जोड़ने के लिए।
उसके बाद की मुलाकातें भी कम रोमांचक नहीं रही पर उसके बारे में फ़िर कभी।
जब मेरी शादी हुई थी तो मेरी हैसियत ऐसी नहीं थी कि मैं एक अच्छा हनीमून मनाने कहीं जा सकूँ। पर आज मेरे पास, मेरे पुत्र नील के पास वो सभी सुख-सुविधाएँ, साधन हैं कि वो पूरी दुनिया में कहीं भी अच्छे से अच्छा हनीमून मनाने जा सकता था।
तो मैंने अपने बेटे बहू को बीस दिन के यूरोप टूअर पर भेजा।
सोनम मेरे इस उपहार से बहुत खुश हुई थी और हनीमून के लिए घर से निकलने वक्त उसने मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ कर शुक्रिया अदा किया था।
और जब वे दोनों लौटे थे तो सोनम ने उससे भी बड़ा तोहफ़ा मुझे दिया था- उसने मुझे बाहों में जकड़ कर मेरे गाल पर अपने होंठ छाप दिए थे। उस समय महसूस तो मुझे उसकी जीभ भी हुई थी अपने गाल पर ! पता नहीं मेरा वहम था या…!
आजकल तो मैं दफ़्तर तभी जाता हूँ जब कोई मीटिंग होती है या कोई दूसरा जरूरी काम ! मेरा बेटा हमारे हिस्सेदार के साथ मिल कर मेरा कारोबार बहुत बढ़िया तरीके से चला रहा है।
मैं अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखता हूँ तो मैं अपना काफ़ी समय अपने घर में ही बनाए एक बड़े ज़िम में बिताता हूँ।
मैं क्लब में टेनिस खेलने के साथ साथ हफ़्ते में कम से कम तीन बार तैराकी अवश्य करता हूँ।
दोपहर को खाने के साथ बीयर और रात के खाने से पहले थोड़ी व्हिस्की लेना मेरी दिनचर्या का हिस्सा है।
अब चूंकि नील अपने काम में इतना व्यस्त है कि सोनम पूरे दिन में कई घण्टे मेरे साथ ही बिताती है। उसने मुझसे पूछा भी कि क्या वह मेरे साथ मेरे जिम में, टेनिस, तैराकी में साथ आ सकती है तो मुझे उसे अपने साथ रखने में कुछ ज्यादा ही खुशी का अनुभव हुआ। हम अक्सर साथ साथ शॉपिंग के लिए भी जाते तो एक बार क्या हुआ कि-
सोनम-नील की शादी को दो महीने ही हुए थे, हम मत्लब सोनम और मैं एक मॉल में स्विम सूट देख रहे थे, थोड़ा मुस्कुराते हुए, थोड़ा शरमाते हुए सोनम ने मुझे एक छोटी सी टू पीस बिकिनी दिखाई और पूछा- यह कैसी है पापा?
और जिस तरह से यह पूछते हुए उसने मेरी ओर देखा, तो दोस्तो, मेरे जीवन में शायद इससे उत्तेजक अदा किसी लड़की या औरत ने नहीं दिखाई थी। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, आँखों में शरारत भरा प्रश्न था, उसकी यह कामुक अदा मुझे मेरे अन्दर तक हिला गई।
मैंने बिना एक भी पल गंवाए उसकी कमर पर अपने दोनों हाथ रखे और दबाते हुए कहा- हाँ ! इसमें तुम लाजवाब लगोगी, तुम्हारी ही फ़िगर है इसे पहनने के लिए एकदम उपयुक्त !
वो खिलखिलाई- मैं तो बस मजाक कर रही थी पापा ! मैं इसे आम स्विमिंगपूल में कैसे पहन सकती हूँ?
“लेकिन जान ! मैं मजाक नहीं कर रहा !” मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर के पीछे लेजा कर, दूसरा हाथ उसके कूल्हे पर रखकर उसे अपनी तरफ़ दबाते हुए कहा- हमारा क्लब एक विशिष्ट क्लब है और यहाँ पर काफ़ी लड़कियाँ और महिलाएँ ऐसे कपड़े पहनती हैं। और वीक-एण्ड्स को छोड़ कर अंधेरा होने के बाद तो शायद ही कोई क्लब में होता हो ! तुम इसे उस वक्त तो पहन ही सकती हो !

अब तक मेरा ऊपर वाला हाथ भी नीचे फ़िसल कर उसके चूतड़ों पर आ टिका था।

मैंने सेलगर्ल की ओर घूमते हुए वो बिकिनी भी पैक करने को कह दिया।
अगली सुबह सोनल मेरे साथ ज़िम में थी, उसकी छरहरी-सुडौल काया से मेरी नजर तो हट ही नहीं रही थी। उसने भी शायद मेरी घूरती नजर को पहचान लिया था, तभी तो उसके गुलाबी गाल और लाल लाल से हो गए थे, और ज्यादा प्यारे हो गए थे। वो मेरे पास आकर मेरे गले में एक बाजू डालते हुए बोली- जब आप मेरी तरफ़ इस तरह से देखते हैं ना पापा ! मुझे बहुत शर्म आती है पर अच्छा भी बहुत लगता है।
उसने अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा लिया, मैं उसकी पीठ थपथपाते हुए उससे जिम में रखी मशीनों के बारे में बात करने लगा कि उन्हें कैसे इस्तेमाल करना है और उनसे क्या नहीं करना है।

उसे मेरी बातें तुरन्त समझ आ जाती थी और अपनी बात भी मुझसे कह देती थी।

हमने ज़िम में थोड़ी वर्जिश करने के बाद आराम किया, फ़िर नाश्ता करके टेनिस के लिये क्लब आ गये।

उसे टेनिस बिल्कुल नहीं आता था तो मैंने उसे रैकेट पकड़ना आदि बता कर शुरु में दीवार पर कुछ शॉट मार कर कुछ सीखने को कहा। गयारह बजे तक हम वापिस घर आ गए और आते ही वो तो बगीचे में ही कुर्सी पर ढेर हो गई।

मैं उसके पास वाली कुर्सी पर बैठ गया और पूछा- क्या मैंने तुझे ज्यादा ही थका दिया?

उसने कहा- नहीं पापा, ऐसी कोई बात नहीं !
पर उसके चेहरे के हाव भाव से साफ़ नजर आ रहा था कि वो थक चुकी है, मैं उसकी कुर्सी के पीछे खड़ा हुआ और उसके कंधे और ऊपरी बाजुएँ सहलाते हुए बोला- टेनिस प्रैक्टिस कुछ ज्यादा हो गई !

वो बोली- पापा, कई महीनों से मैंने कसरत आदि नहीं की थी ना, शायद इसलिए !

मैंने कुछ देर उसकी बाजू, कन्धे और पीठ सहलाई तो वो कुर्सी छोड़ खड़े होते हुए बोली- पापा, आप कितने अच्छे हैं।
यह कहते हुए उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। मैंने भी उसके बदन को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और कहा- मेरी सोनम भी तो कितनी प्यारी है !
कहते हुए मैंने उसके माथे का चुम्बन लिया और जानबूझ कर अपनी जीभ से मुख का थोड़ा गीलापन उसके माथे पर छोड़ दिया।
“पापा, मैं कितनी खुशनसीब हूँ जो मैं आपकी बहू बन कर इस घर में आई !”
“आप यहीं बैठ कर आराम कीजिए, मैं चाय बना कर लाती हूँ !” कहते हुए सोनम मुड़ी।
मैं कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा- मैं भी कितना खुश हूँ सोनम जैसी बहू पाकर ! आज कितना अच्छा लगा सोनम के साथ !
तभी मन में यह विचार भी आया कि उसके वक्ष कैसे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे जब वो मेरी बाहों में थी।
ओह ! जब सोनम चाय बनाने के लिए जाने लगी तो मेरी नजर उसके चूतड़ों पर पड़ी, उसका टॉप थोड़ा ऊपर सरक गया था और शायद टेनिस खेलने से उसकी सफ़ेद निक्कर थोड़ी नीचे होकर मुझे उसके चूतड़ों की घाटी का दीदार करा रही थी। अब या तो उसने पैंटी पहनी ही नहीं था या फ़िर पैन्टी निक्कर के साथ नीचे खिसक गई थी। मेरी अन्तर्वासना जो पहले ही कुछ कुछ जागृत हो रही थी, अब तो यह देखते ही छलांगें मारने लगी।
मैं भूल गया कि यह मेरी पुत्र वधू है, मैं उठ कर उसके पीछे रसोई में गया, उसके पीछे खड़े होकर उसे चाय बनाते देखने लगा। मेरी निक्कर का उभार उसके कूल्हों के मध्य में छू रहा था !

उसने पीछे मुड़ कर अपने कन्धे के ऊपर से मेरी आँखों में झांका और बोली- पापा, मैं तो चाय लेकर बाहर ही आने वाली थी।
उसने मेरे लिंग के पड़ रहे दबाव से मुक्त होने के लिए अपने चूतड़ थोड़े अन्दर दबा लिए और मैं उसकी टॉप और निक्कर के बीच चमक रही नंगी कमर पर अपनी दोनों हथेलियाँ रख कर बोला- मैं कुछ मदद करूँ?
मेरे इस स्पर्श से उसे एक झटका सा लगा और वो मेरी ओर देखने के लिए मुड़ी कि उसके चूतड़ मेरे लिंग पर दब गए, मेरा उत्थित लिंग उसके पृष्ठ उभारों के बिल्कुल बीच में जैसे घुस सा गया।
उसे मेरी उत्तेजना का आभास हो चुका था पर कोई प्रतिक्रिया दिखाए बिना वो बोली- चलिए पापा ! चाय तैयार है।
वो मेरे आगे आगे चलने लगी और मैं उसके पीछे पीछे उसकी नंगी कमर और ऊपर नीचे होते कूल्हों पर नजर गड़ाए चलने लगा।
बाहर पहुँचते पहुँचते मैं अपने को रोक नहीं पाया और जैसे ही सोनल चाय स्टूल पर रखने के लिए झुकी, मैं अपनी दोनों हथेलियाँ उसके कूल्हों पर टिकाते हुए बोला- नाइस बम्स !

इसी के साथ मैंने अपनी दोनों कन्नी उंगलियाँ कूल्हों की दरार में दबा दी।

“ओह पापा ! आप भी ना ! अभी चाय छलक जाती !” चाय रखने के बाद वो मेरी तरफ़ घूमते हुए बोली और मेरे हाथ फ़िर से उसकी कमर पर आ गये।
“तुम्हारे कूल्हे बहुत लाजवाब हैं सोनल ! आई लाइक दैम !” पता नहीं मैं कैसे बोल गया और इसी के साथ मेरी आठों उंगलियाँ उसकी निक्कर की इलास्टिक को खींचते हुए उसके चूतड़ों के नंगे मांस में गड़ गई।

सोनल के बदन में जैसी बिजली सी दौड़ गई और थोड़ी लज्जा मिश्रित मुस्कान के साथ बोली- सच में पापा?
हाँ सोनल ! तुम्हारे चूतड़ एकदम परफ़ेक्ट हैं ! इससे बढ़िया चूतड़ मैंने शायद किसी के नहीं देखे !” कहले हुए मैंने अपनी हथेलियाँ कुछ इस तरह नीचे फ़िसलाई कि सफ़ेद निक्कर उसकी जांघों में लटक गई।

सोनल अपनी जगह से हिली नहीं और अब मैं उसके नंगे चूतड़ अपने हाथों में मसल रहा था।
मैंने फ़ुसफ़ुसाते हुए उससे कहा- सोनल ! मैंने बहुत सारे चूतड़ इस तरह नंगे देखे हैं, सहलाए हैं, चाटे भी हैं पर… कहते कहते मैंने अपनी उंगलियों के पोर उन दोनों कूल्हों के बीच की दरार में घुसा दिए।

हाँ पापा ! मैंने सुना है कि आपने खूब… !” कहते हुए वो कामुक मुस्कान के साथ शरमा गई।

“तुम्हें किसने बताया?”

उसके कनखियों से मेरी तरफ़ देखा और अर्थपूर्ण मुस्कुराहट के साथ बोली- अनुष्का ने ! वो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी, वो मेरी सहेली थी और चटखारे ले ले कर आपकी रसीली कहानियाँ मुझे सुनाया करती थी।
इसी के साथ वो खिलखिला कर हंस पड़ी।
अब यह मेरे लिए परेशानी वाली बात थी, मैंने पूछा- अनुष्का ने तुम्हें क्या क्या बताया?
अब मेरे हाथ खुल्लमखुल्ला सोनम के चूतड़ों से खेल रहे थे।
वो फ़िर खिलखिलाई- ये लड़कियों की आपस की बातें हैं ! मैं आपको नहीं बताऊँगी।
“लेकिन ना कभी अनुष्का ने ना कभी तुमने बताया कि तुम सहेलियाँ थी?”
“नील से मेरी शादी करवाने में अनुष्का का ही तो हाथ है ! दो साल पहले जब एक बार आप लन्दन गये हुए थे तो अनुष्का मुझे यहाँ इस घर में लेकर आई थी। उस समय आलिया मौसी भी यहीं थी। तो अनुष्का ने ही मौसी को बीच में डाल कर नील की शादी मुझसे करवाई।”
“ओह ! तो आलिया भी तुम्हारे साथ मिली हुई है?”
“तो क्या पापा? आलिया मौसी तो आपके साथ भी… है ना?”
“ह्म्म !”
“आलिया मौसी ने ही तो बताया था कि…!!”
“क्या बताया था उसने? बोलो !?!”
“उन्होंने बताया था कि आप किसी भी लड़की को अपने चुम्बन से पागल कर सकते हो !”
“आलिया से भी ना चुप नहीं रहा जाता… तो अब तुम भी पागल…? हंह…?” मैंने उसके टॉप के अन्दर उसकी पीठ पर एक हाथ फ़िराते हुए कहा।
“हाँ पापा, मुझे भी अपने होंठों का जादू दिखाइए ना !” सोनम ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठों को गोल करते हुए कहा।
मैं अपना हाथ उसकी पीठ से सरका कर गर्दन तक ले आया और उसके सिर को पीछे के जकड़ते हुए अपने होंठ उसके रसीले होंठों पर रख दिये।
मेरे हाथ के उसके सिर पर जाने से हुआ यह कि उसका टॉप भी मेरे हाथ के साथ सोनम के कन्धों में आकर रुका।
मेरा दूसरा हाथ जो अभी तक उसके चूतड़ों पर था, वो फ़िसल कर उसकी जांघ तक चला गया और उसकी जांघ को उठा कर मैंने अपनी बाजू पर ले लिया।
सोनम ने अपने को मुझसे छुटवाते हुए कहा- पापा, अन्दर चलते हैं।
मैंने उसे छोड़ते हुए कहा- चलो ड्राइंग रूम में चलो !
जैसे ही वो सीधी खड़ी हुई, उसकी निक्कर उसके पैरों में ढेर हो गई।
मैंने निक्कर को पकड़ कर उसके पैरों से निकाल कर कहा- चलो, मैं इसे सम्भालता हूँ।
वो आगे आगे, मैं पीछे पीछे उसकी निक्कर को हाथ में लेकर सूंघते हुए चल रहा था, उसकी जांघों और योनि की गन्ध उस निक्कर में रमी हुई थी। कपड़ों के नाम पर सोनम के गले में उसका टॉप एक घेरा सा बनाए पड़ा था। निक्कर मेरे हाथ में थी, ब्रा पैन्टी पहनना शायद उसे भाता नहीं था।
अन्दर ड्राइंग रूम में जाकर सोनम ने ऐ सी और सारी बत्तियाँ जला दी। पूरा कमरा रोशनी से नहा गया।
और जैसे ही सोनम बत्तियाँ जला कर मेरी तरफ़ घूमी, उसने अपने गले से वो टॉप निकाल कर मेरे मुँह पर फ़ेंक दिया।
लेकिन मेरी नजर तो उसकी नाभि पर थी, उसमें उसने एक बाली पहनी हुई थी। उसके बाद मेरी निगाहें सरक कर नीचे गई तो देखा योनि ने घने सुनहरे-भूरे बालों का घूंघट औढ़ा हुआ था।

सोनम ने मेरी तरफ़ अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- आओ ना पापा ! मुझे अपने होंठों से पागल करो ना !

सोनम अपने होंठों पर जीभ फ़िरा रही थी, उसके गीले होंठ मुझे निमंत्रण दे रहे थे।
मैंने उसके गालों को अपनी हथेलियों में पकड़ कर उसकी गहरी आँखों में झांका और अपने होंठ उसके होंठों पर हल्के से रगड़ दिया।
उसके मुख से सिसकारी फ़ूटी- पापा ! और करो ! प्लीज़ !

“जानू… अब तुम्हारी बारी है !” मैं उसके नंगे चूतड़ों को अपने हाथों में सहेजते हुए फ़ुसफ़ुसाया।

“पापा…प्लीज़ आप करो ना ! प्लीज़ पापा ! करो !” वो एक छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए बोली- जन्नत का मजा तो आप ही मुझे देंगे ना पापा !
“ओ… ठीक है ! मेरे सिर को आपने हाथों में थाम लो सोनम !”
बिना एक भी शब्द बोले उसने मेरा सिर पकड़ कर अपने चेहरे पर झुका लिया, हमारे होंठों ने एक दूसरे को छुआ और मैं उसे अपने होंठों से सताने लगा।
सोनम का पूरा बदन काम्प रहा था और उसके मुख से कामुक सीत्कारें निकल रही थी।
और तभी अचानक एकदम से उसने मेरे होंठों को चॉकलेट की तरह चूसना-खाना शुरु कर दिया।
सोनम की इस हरकत ने मुझे भी पागल सा कर दिया, मैंने उसके चूतड़ों के नीचे अपने दोनों हाथ ले जा कर उसे ऊपर को उठाया तो उसने अपनी टांगें मेरे कूल्हों के पीछे जकड़ ली।

इससे उसके चूतड़ों के बीच की दरार चौड़ी हो गई और मेरा मध्यमा उंगली उसकी गाण्ड के छिद्र को कुरेदने लगी।

लड़की मेरे बदन पर सांप की तरह लहरा कर रह गई और मेरी उंगली उस कसे छिद्र को भेदते हुए लगभग एक इंच तक अन्दर घुस गई।

सोनम हांफ़ रही थी- ऊ… पापा… उह पा…आह… ना…

मुझे याद नहीं हम कितनी देर तक इस हालत में रहे होंगे कि तभी उसका मोबाइल घनघना उठा।

और इस आवाज से हमारे प्यार के रंग में भंग हो गया।
उसने एक हल्के से झटके के साथ अपनी टांगें मेरी कमर से नीचे उतारी और बोली- पापा, जरा उंगली निकालो, मैं फ़ोन देख लूँ !

जैसे ही मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड से निकाली उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने नाक तक ले जा कर मेरी उंगली सूंघने लगी।

तभी मुझे जाने क्या सूझा, मैंने अपनी वो उंगली उसके होंठों से छुआ दी। उसने पीछे हटकर फ़ोन उठाकर देखा तो उसके पति यानि मेरे बेटे नील का फ़ोन था।

मैंने सोनम की आँखों में देखा तो वो शर्म के मारे मुझसे नजरें चुराने लगी।

मैं इसके पास गया और सोनम से सट कर फ़ोन पर अपना कान लगा दिया।
नील उससे पूछ रहा था कि सुबह क्या क्या किया और सोनम ने भी अभी आखिर की कुछ घटनाओं को छोड़ कर उसे सब बता दिया।

नील ने पूछा कि वो हांफ़ क्यों रही है तो सोनम ने बताया कि वो नीचे थी और फ़ोन ऊपर, फ़ोन की घण्टी सुन कर वो भाग कर ऊपर आई तो उसकी सांस फ़ूल गई।

सच में मेरी पुत्र-वधू काफ़ी चतुर है ! मैंने मन ही मन भगवान को इसके लिये धन्यवाद किया।

मैं अपने बीते अनुभवों से जानता था कि गर्म लोहे पर चोट करने का कितना फ़ायदा होता है। मेरे बेटे का फ़ोन बहुत गलत समय पर आया था, बिल्कुल उस समय जब मैं अपने बेटे की योनि तक पहुँच ही रहा था और वो भी मेरी हरकतों का माकूल जवाब दे रही थी।
अगर नील का फ़ोन बीस मिनट भी बाद में आया होता तो मेरी बहू अपने ससुर के अनुभवी लौड़े का पूरा मजा ले रही होती।

लेकिन शायद भाग्य को यह मंजूर नहीं था !

मैं फ़ोन पर कान लगाए सुन रहा था– मेरे बेट-बहू लगातार ‘लव यू !’ और चुम्बनों का आदान प्रदान कर रहे थे फ़ोन पर !

और मुझे महसूस हो रहा था कि जितनी देर फ़ोन पर मेरे बेटे बहू की यह रासलीला चलती रहेगी, मेरे लण्ड और मेरी बहू सोनम की चूत के बीच की दूरी बढ़ती जाएगी। और शायद नील को बातचीत खत्म करने की कोई जल्दी भी नहीं थी।
मुझे आज मिले इस अनमोल अवसर को मैं व्यर्थ ही नहीं गंवा देना चाहता था, तो मैंने अपनी बहू को उसके पीछे आकर अपनी बाहों में जकड़ लिया।

सोनम मेरे बेटे के साथ प्यार भरी बातों में मस्त थी और उसने मेरी हरकत पर ज्यादा गौर नहीं किया, वो अपने पति से बिना रुके बातें करती रही लेकिन उसकी आवाज में एक कम्पकंपाहट आ गई थी !
“क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?” मेरे बेटे नील ने थोड़ी चिन्ता जताते हुए पूछा।
थोड़ा रुकते हुए सोनम ने जवाब दिया- उंह… हाँ ! ठीक हूँ… जरा हिचकी आ गई थी।
मैंने सोनम के जवाब की प्रशंसा में उसके एक उरोज को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए दूसरा हाथ उसके गाल पर फ़िरा दिया।
नील अपनी पत्नी और मेरी बहू सोनम से कुछ इधर उधर की बातें करने लगा।
लेकिन उसे लगा कि सोनम की आवाज में वो जोश नहीं है जो कुछ पल पहले था क्योंकि सोनम हाँ हूँ में जवाब दे रही थी और अपने बदन को थिरका कर, लचका कर मेरी तरफ़ देख देख कर मेरी हरकतों का यथोचित उत्तर दे रही थी।

इससे मुझे यकीन हो गया था कि वो वास्तव में अपने पति के साथ मेरे सामने प्रेम-प्यार की बातें करने में आनन्द अनुभव कर रही थी।

जरा सोच कर देखिए जिस लड़की की शादी को अभी दो महीने ही हुए हों वो अपने पति से प्यार भरी बातें करते हुए अपने ससुर के सामने पूर्ण नग्न हो और उसका ससुर उसकी चूचियों से खेल रहा हो !
अब मैं समझ चुका था कि मेरी बहू मुझसे इसके अलावा भी बहुत कुछ पाना चाह रही है तो मैंने भी और आगे बढ़ने का फैसला कर लिया।
मैंने फोन के माउथपीस पर हाथ रखा और फुसफुसाया- बात चालू रखना, फोन बंद मत होने देना ! ठीक है?

उसने मेरी तरफ वासनामयी नजरों से देखा और हाँ में सर हिलाया। सोनम भी अब खुल कर इस खेल में घुस गई थी।
अब मैं उसके सामने आया और नीचे अपने घुटनों पर बैठ कर अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रख कर उसे अपने पास खींचा और अपने होंठ उसके योनि लबों पर टिका दिए !
“ओअ अयाह ऊउह !!!” सोनम के होंठों से प्यास भरी सिसकारी निकली !
मैं सुन नहीं पाया कि उसके पति ने क्या कहा लेकिन वो उत्तर में बोली- ना नहीं ! मैं ठीक हूँ.. बस मुझे ऐसा लगा कि मेरी जांघ पर कुछ रेंग रहा था…

एक बार नील ने शायद कुछ कहा जिसके जवाब में सोनम ने कहा- शायद मेरी पैंटी में कुछ घुस गया है… चींटी या कुछ… मैं टेनिस लॉन में घास पर बैठ गई थी तो…
मेरे बेटा जरूर कुछ गन्दी बात बोला होगा, तभी तो सोनम ने कहा- धत्त ! गंदे कहीं के ! अच्छा ठीक है ! मैं पैंटी उतार कर अंदर देखती हूँ…तो मैं पांच मिनट बाद फोन करूँ? उसने हाँ कहा होगा तभी तो उसके बाद सोनम ने मेरे बेटे को फ़ोन पर एक चुम्मी देकर फ़ोन बन्द कर दिया और फ़ोन को सोफ़े पर उछालते हुए मुझसे बोली- पापा !

मैं खड़ा हो गया और सोनम को अपनी बाहों मे ले लिया।
सोनम भी मेरी छाती पर अपना चेहरा टिका कर मुझे बाहों के घेरे में लेते हुए धीमी आवाज में बोली- आप बहुत गन्दे हैं पापा !

उसने अपने कूल्हे आगे की तरफ़ धकेल कर मेरी पैन्ट के उभार पर अपनी योनि टिका ली थी।

मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके होंठों को चूमते हुए बोला- हाँ ! सही कह रही हो सोनम ! मैं असल में बहुत गन्दा हूँ जान ! अगर मैं गन्दा ना होता तो अपनी प्यारी बहू सोमन को मजा कैसे दे पाता?

सोनम मेरी आँखों में झांकते हुए बोली- अगर नील को पता लगा तो क्या होगा?
कहानी के अगले भाग की प्रतीक्षा कीजिए।

मैंने उसके चूतड़ों को थपथपाते हुए कहा- तुम बहुत समझदार हो जानम ! तुम उसे हमेशा खुश और संतुष्ट रखोगी !

मैंने उसके होंठों को फ़िर चूमा, बोला- और मैं तुम्हें हमेशा खुश और संतुष्ट रखूँगा !
“मुझे पता है पापा… ” उसने मुझे कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया- मैं नील से फ़ोन पर बात कर रही थी और आप मुझे वहाँ चूम रहे थे ! कितने उत्तेजना भरे थे ना वो पल ! मैं तो बस ओर्गैस्म तक पहुँचने ही वाली थी !

मैंने सोनम को सुझाव दिया- अपना फ़ोन उठाओ और बेडरूम में चलो ! वहाँ जा कर आराम से नील से फ़ोन पर बातें करना !

सोनम खिलखिलाते हुए बोली- मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रही थी पापा !
उसने मेरी आँखों में झान्कते हुए कहा- पापा ! मुझे आलिया मौसी ने बताया था कि आप किसी भी लड़की के मन की बात जान सकते हैं। अब मुझे पता लगा कि मौसी सही कह रही थी।

हम दोनों खूब हंसे और हंसते हंसते सोनम ने मेरी पैन्ट के उभार को अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए कहा- क्या मैं इस शरारती को देख सकती हूँ?
“हाँ बिल्कुल ! यह तुम्हारा ही तो है ! मैंने फ़टाफ़ट अपनी पैंट उतारी !
सोनम ने लपक कर नीचे बैठ कर मेरा अन्डरवीयर नीचे खींच दिया। एक झटके से अन्डवीयर उरतने से मेरा सात इन्च लम्बा तना हुआ लिंग ने जोर से उठ कर सलामी दी तो वो सामने बैठी सोनम के नाक से जा टकराया।

सोनम जैसे घबरा कर पीछे हटी, फ़िर तुरन्त आगे बढ़ कर उसने एक हाथ से मेरे लटकते अण्डकोषों को सम्भाला औए बहुत हल्के से

अपने होंठ लिंग की नोक पर छुआ दिए।

काफ़ी समय से खड़े लण्ड को गीला तो होना ही था, उसके होंठ छुआने से मेरे लण्ड का लेस उसके होंठों पर लग गया और एक तार सी उसके होंठों और मेरे लण्ड की नोक के बीच बन गई।

सोनम ने दूसरे हाथ मेरे लण्ड की लम्बाई को पकड़ा और अपने होंठों पर जीभ फ़िराती हुए बोली- अम्मांह… बहुत प्यारा है !

“जानू, तुम्हें पसन्द आया?” मैं थोड़ा आगे होकर फ़िर से अपने लण्ड को उसके होंठों पर रखते हुए बोला।
“हाँ पापा !” कहते हुए उसने अपनी जीभ मेरे लिंग के अगले मोटे भाग पर फ़िराई। फ़िर एक लम्बी सांस भर कर उसे सूघते हुए बोली- और इसमें से कितनी अच्छी खुशबू आ रही है !

मैंने उसे कन्धों से पकड़ कर उठाया और कहा- चलो बिस्तर पर चलते हैं।

“एक मिनट !” सोनम ने मेरी शर्ट ऊपर उठा कर उतार दी, फ़िर मेरे लण्ड को पकड़ कर मुझे बिस्तर की तरफ़ खींचते हुए बोली- अब चलो !

अब हम दोनों बिल्कुल प्राकृतिक अवस्था में थे, मैंने उसके कूल्हे पर एक हाथ रख कर उसे बिस्तर की तरफ़ धकेलते हुए कहा- चलो !
हम दोनों बिस्तर पर आ गए, सोनम के हाथ में फ़ोन था, वो बिस्तर पर अपनी टाँगें थोड़ी फ़ैला कर पीठ के बल लेट गई और अपनी जांघों के बीच में उंगली से इशारा करते हुए मुझसे बोली- पापा, थोड़ा चाटो ना प्लीज़ !

मैंने अपना चेहरा उसकी चिकनी जाँघों के बीच में टिका लिया और अपने होंठों में उसकी झाँटे दबा कर खींचने लगा।

“ओ पापा ! आप बाद में खेल लेना, मेरी … गीली हो रही है, एक बार मेरे अन्दर से चाट लीजिए !
मैं थोड़ा सीधा हुआ और अपनी उंगलियों से बालों के जंगल में उसकी योनि के लबों को खोजने लगा।
“तुम इन्हें साफ़ क्यों नहीं करती सोनम?”

“नील को ऐसे ही पसंद है ना !”

मैंने सोनम को जांघों से पकड़ कर ऊंचा उठाया तो उसकी योनि मेरे होंठों के पास थी और वो खुद अपने कन्धों के ऊपर टिकी हुई थी, उसका सिर और कन्धें बिस्तर पर शेष बदन मेरी बाहों में मेरे ऊपर था।

मैंने अपने दोनों अंगूठों और दो साथ वाली उंगगियों से उसकी योनि के लबों को अलग अलग किया तो अन्दर गुलाबी भूरी पंखुड़ियाँ काम रस से भीग कर आपस में चिपक गई थी।

मैंने अपनी जीभ से उन पर लगे रस को चाटा और उनकी चिपकन हटा कर जीभ अन्दर घुसा दी। मेरी जीभ एक इन्च से ज्यादा अन्दर चली गई थी।
सोनम के मुख से निकला- पापा… ओ पापा… आपका जवाब नहीं ! अम्मंअह…
मेरी बहू सोनम के बदन और योनि की मिली जुली गंध मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी।
तभी उसने नील का नम्बर मिला दिया।
उसने एकदम से फ़ोन उथाया जैसे वो सोनम के फ़ोन का ही इन्तजार कर रहा था, वो भी अपनी पत्नी से काम-वार्ता को उत्सुक लग रहा था।
मेरी चतुर बहू ने फ़ोन का लाउडस्पीकर ऑन कर दिया ताकि मैं भी उन दोनों की पूरी बात सुन सकूँ। नील ने पूछा- बताओ कि क्या हुआ था?

सोनम हंसते हुए बोली- वही हुआ था जानू ! मेरी पैंटी में चींटी घुस गई थी, वो तो शुक्र है कि काली वाली थी, अगर कहीं लाल चींटी होती तो पता नहीं मेरा क्या हाल होता?
“तुम्हारा या तुम्हारी चूत का?” मेरे बेटे ने पूछा।

“हाँ हाँ ! चूत का ! पता है कि मैंने चींटी को कहाँ से निकाला?”

“कहाँ से?”

“बिल्कुल क्लिट के ऊपर से !””ओह ! साली चींटी ! मेरी घरवाली की चूत का मजा ले रही थी? सोनम… तुमने अच्छी तरह देख तो लिया था ना कि वो चींटी ही थी? कहीं चींटा हुआ तो? और उसने तुम्हें… हा…हा… !”

“सुनो नील ! इस समय मैं बिल्कुल नंगी बिस्तर में लेटी हुई हूँ और उस जगह को रगड़ रही हूँ जहाँ उस चींटी…ना… ना…उस चींटे ने मुझे काटा था !”

ऊओअह्ह ! तो तुम अपने हाथ से अपनी क्लित मसल रही हो? अपनी फ़ुद्दी में उंगली कर रही हो?”
“हाँ मेरे यार ! अगर तुम होते तो उंगली की जगह तुम्हारा लौड़ा होता ! तुम्हारा लण्ड मेरी चूत की खुजली मिटा रहा होता !” मेरी चालू बहू ने कहा।
लेकिन अभी तो मुझे सिर्फ़ उंगली से ही गुजारा करना पड़ेगा !”
“और वो डिल्डो कब काम आएगा जो हमने पेरिस में खरीदा था? तुम उसे इस्तेमाल करो ना !” मेरे बेटे ने सुझाव दिया।

” अरे हाँ ! वो तो मैं भूल ही गई थी ! अभी निकालती हूँ उसे !” सोनम ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ़ देखा और फ़िर फ़ोन के माइक को हाथ से ढकते हुए मुझसे फ़ुसफ़ुसाई- आप ही मेरे डिल्डो हो आज ! घुसा दो अपना डिल्डो मेरे अन्दर ! मैं आपके बेटे से कहूँगी कि मैंने डिल्डो ले लिया अपने अन्दर !
मेरी समझदार बहू ने कनखियों से मुझे देखा और फ़िर कुछ देर बाद फ़ोन में बोली- हाँ जानू ! ले आई मैं ! डाल लूँ अन्दर?

“हाँ… हाँ… घुसा ले ना ! पूरा बाड़ना !”
सोनम ने मुझे इशारा किया कि अब घुसाना शुरु करो !
“लेकिन नील ! यह तो बहुत बड़ा है ! मेरी चूत जरा सी है, यह कैसे पूरा जाएगा अन्दर?” उसने सिसियाते हुए कहा। “अरे चला जाएगा रानी… पूरा जाएगा… तू कोशिश तो कर ! बड़ा है तभी तो तुझे असली मज़ा आएगा ना ! घुसा कर देख ! आलिया मौसी के पास तो इससे भी बड़ा डिल्डो है ! तुमने तो देखा है कि वो कैसे चला जाता है मौसी की चूत में !”

“अरे ! आलिया मौसी की चूत को तो तुम्हारे पापा ने चोद चोद कर फ़ुद्दा बना रखा है ! मौसी बता रही थी ना कि तुम्हारे पापा का तुमसे भी बड़ा है ! चलो… कोशिश करके देखती हूँ !”
मैं तो नील और सोनम का वार्तालाप सुन कर हतप्रभ रह गया !

मैं तो खुद को ही चुदाई का महान खिलाड़ी समझ रहा था पर यहाँ तो सभी एक से बढ़ कर एक निकल रहे हैं। लेकिन परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं कुछ ना कह पाया और चुपचाप मैंने बिल्कुल शान्ति से बिना कोई आवाज किए सोनम की जाँघों को फ़ैलाया और अपने लिंगमुण्ड को योनि के मुख पर टिकाया तो सोनम ने लिंगदण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे अनुए अन्दर सरकाने का यत्न करने लगी।
सोनम की चूत खूब गीली हो कर चिकनी हो रही थी, उसने मेरे लिंग के सुपारे को अपने योनि-लबों के बीच में रगड़ कर उन्हें फ़ैलाया और मेरे हल्के से दबाव से मेरा सुपारा अन्दर फ़िसल गया।

“अओह…हा…आ…अई…” सोनम ने जोर से एक चीख मारी।

उधर से आवाज आई नील की- वाह सोनम ! बहुत अच्छे ! कितना अन्दर गया?

सोनम की चूत खूब गीली हो कर चिकनी हो रही थी, उसने मेरे लिंग के सुपारे को अपने योनि-लबों के बीच में रगड़ कर उन्हें फ़ैलाया और मेरे हल्के से दबाव से मेरा सुपारा अन्दर फ़िसल गया।

“अओह…हा…आ…अई…” सोनम ने जोर से एक चीख मारी।

उधर से आवाज आई नील की- वाह सोनम ! बहुत अच्छे ! कितना अन्दर गया?

“ऊओह… नील ! अभी तो बास आगे का मोटा सा नॉब ही अन्दर घुसा है… उफ़्फ़्… कितना मोटा है यह ! तुम्हारे लण्ड से तो डेढ़ गुना मोटा और शायद डेढ़ गुना ही ज्यादा लम्बा है यह !” सोनम मेरी आँखों में झांकते हुए बोली।

और फ़िर एक बार माइक को हाथ से ढकते हुए फ़ुसफ़ुसाई- मैं सही कह रही हूँ पापा ! आपका सच में नील के से ड्योढ़ा तो है ही !
इस बात से बिल्कुल बेखबर कि उसकी पत्नी उसके पिता के लण्ड की बात कर रही है, नील ने उसे और अंदर तक घुसाने के लिये उकसाया- और अन्दर तक ले ना सोनू ! पूरा अन्दर घुसा ले !
“हाँ मेरे राजा हाँ !” सोनम हांफ़ते हुए से बोली और मुझे अपना लण्द उसकी चूत में और अन्दर घुसाने के लिए इशारा किया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने अपनी जांघों को एक झटका दिया और मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा मेरी बहू सोनम की चूत के अन्दर था।

“ओ… मा… मर गईइ मैं… पापा जी आह मम्मा !”सोनम जोर से सीत्कारते हुए असली दर्द से चिल्लाई तो उसके मुँह से पापा निकल गया। और शायद अपनी इस भूल को छिपाने केल इये बाद में मम्मा बोली थी।

उधर मेरे बेटा खिलखिला कर हंसते हुए बोला- अपने मम्मी पापा को क्यों बुला रही हो? बुलाना है तो मेरे पापा को बुला ले ना ! तेरी फ़ाड़ कर रख देंगे वो !

“हट… ! बेशरम ! गन्दे कहीं के ! तुम्हारे पापा क्या फ़ाड़ेंगे मेरी चूत ! अब तो बुड्ढे हो गये वो !” मेरी तरफ़ तिरछी नजर से देख कर आँख़ मारते हुए सोनम बोली।
“अरे ! इस गलत फ़हमी में मत रहना ! मेरे पापा का लौड़ा इस डिल्डो का भी बाप है !”
“तो सुनो नील ! अब मैं यह कल्पना कर रही हूँ कि मेरी चूत में यह डिल्डो नहीं, तुम्हारे पापा का लौड़ा है !”
नील खिलखिलाया- ठीक है ! तुम यही सोच कर डील्डो से चुदो कि तुम मेरे पापा से चुद रही हो ! मैं भी सुनूँ कि मेरी रानी कैसे चुदती है अपने ससुर से !

नील इस मजाक पर मजा लेकर खूब जोर से हंसा।

सोनम ने एक वासना भरी सिसकारी लेते हुए कहा- अब मैं अपनी आँखें बन्द करके तुम्हारे पापा को अपने अन्दर महसूस कर रही हूँ। अरविन्द अब मेरे नंगे बदन के ऊपर लेटे हुए हैं, उनका लण्ड मैं अपनी चूत में महसूस कर रही हूँ, पापा के हाथ मेरी चूचियों पर हैं। अब सोनम ने मेरी तरफ़ अधीरता से देखा- हाँ पापा ! और पेलिये ना॥ रुक क्यों गये ! घुसाइए ! पूरा बाड़ दीजिए !अपने मोटे लौअड़े से अपने बेटे की पत्नी की चूत की धज्जियाँ उड़ा दीजिए !

मुझे फ़ोन पर अपने बेटे की वासना भरी सिसकारती आवाज सुनाई दी- ओह मेरी रानी… तुमने मेरा लण्ड पूरा सख्त कर दिया ! क्या कल्पना की है तुमने !

सोनम ने बोलना जारी रखा- नील्… तुम सही कह रहे थे… तुम्हारे पापा का लण्ड सच में लाजवाब है। इसने मेरी बुर फ़ैला कर रख दी ! और यह अभी भी थोड़ा मेरी फ़ुद्दी से बाहर दिख रहा है।

तब सोनम ने मुझे देखते हुए कहा- पेलिये ना अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत के अन्दर पापा ! यह बाकी क्या मेरी ननदों के लिए बचा कर रखा हुआ है?

“पापा आप बड़े हरामी हैं ! आपने अपनी दोनों सालियों की चूत फ़ाड़ी और अब अपनी बहू की फ़ुद्दी को भी नहीं छोड़ा ! आपको शर्म आनी चाहिए पापा ! आप बहूचोद बन गए !”
उधर नील सुन सुन कर पागल हुए जा रहा था। उसकी आह ऊह साफ़ सुनाई दे रही थी फ़ोन पर !

“जब आपने अपने बेटे की दुल्हन पर हाथ साफ़ कर ही दिया तो अब अपना पूरा लौड़ा दे दीजिए ना उसे !”

नील उधर से बोला- अरे सोनम ! दरवाजे खिड़कियाँ तो अच्ची तरह बन्द कर लिए थे ना ! पापा घर में ही होंगे ! कहीं उन्होंने यह सब सुन लिया तो वे सच में ही ना… !
“घबराओ मत डार्लिंग ! मेरी शातिर बहू ने उत्तर दिया- कोई भी गैर मर्द हमारी बातें नहीं सुन सकता !

“रानी… तुम्हारी कल्पना शक्ति नायाब है ! मेरा लौड़ा तो तुम्हारी बातें सुन कर ऐसे टनटना गया कि क्या बताऊँ !”

“अरे नील राजा… यह तो अभी शुरुआत है ! आगे आगे देखो कि तुम्हारा चुदक्कड़ बाप अपनी बहू को कैसे कैसे चोदता है !”

” ठीक है सोनू… अपनी कल्पना चालू रखो !

और चुदो मेरे पापा से ! उनसे कहो कि तुम्हारी पूरी तसल्ली कर दें !”

अब सोनम ने अपनी चूचियों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- पापा मेरी चूचियाँ अपने मुँह से चूसो ना !

मैंने सोनम की चूचियों को आपस में इस तरह दबाया कि उनके निप्पल पास पास हो जाएँ और फ़िर मैंने दोनों चुचूकों को एक साथ अपने मुँह में ले लिया।

सोनम चहकी- अबे ओ नील ! देख तेरा बाप कैसे मेरे दोनों निप्पल एक साथ चूस रहा है। देख कैसे सालीचोद अपनी बहू की चूचियाँ चूस चूस कर उसे चोद रहा है अपने मोटे लौड़े से !
नील से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था- आज तुम मुझे मार ही दोगी सोनम ! मैं यहाँ अपने ऑफ़िस में बैठ कर मुट्ठ मार रहा हूँ। पर रुकना मत ! तुम बहुत बढ़िया ड्रामा कर रही हो !

“आई पापा ! काटो मत ! दुखता है !” जैसे ही मैंने सोनम के एक निप्पल को अपने दाँतों से काटा तो वो चिल्लाई।

“पापा… ये अक्षरा या आलिया मौसी के नहीं मेरे चुचूक हैं ! इन्हें प्यार से चूसो ! और मेरे होंठों को भी तो चूसो पापा ! अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल कर मेरे मुंह की चुदाई करो !”
“सुनो नील ! तुम्हारे पापा अब मेरी चुम्मी ले रहे हैं।” और सच में सोनम ने ऐसी आवाजें निकाली जैसी चूमा चाटी में आती हैं।
और मैं यह सोच रहा था कि कितनी शैतान दिमाग की है मेरी बहू ! अपने ससुर से सच में चुद रही है और अपने पति को फ़ोन पर अपनी चुदाई का आँखों देखा हाल सुना रही है। कैसे बाप बेटे दोनों को एक साथ सेक्स का मजा दे रही है।
अब वो खुल कर सिसकारियाँ भर रही थी, आनन्द से चीख रही थी, खुल कर मुझ से चुद रही थी बिना किसी डर के !
मुझे लग रहा था कि वो अब उस शिखर पर पहुँच रही है जिसे प्राप्त करने के लिये उसने इतने पापड़ बेले थे।
अपनी बहू के चरमोत्कर्ष का भान होते ही मेरे अन्दर भी जैसे एक ज्वालामुखी फ़टने को हुआ और मेरा लण्ड और गर्म और फ़ूलने लगा।
मेरे लण्ड की यह हलचल मेरी बहू सोनम ने भांप ली और वो फ़ोन पर बोली- नील, तेरे पापा मेरी चूत में झड़ना चाहते हैं ! क्या करूँ? झड़ने दूँ अन्दर या बाहर निकालने को कहूँ?
मेरे बेटे ने आनन्द से कहा- सोनू झड़ने दे पापा को अपनी चूत में ही !
“मगर मेरे को बच्चा ठहर गया तो?”

फ़िर आगे बोली- फ़िर तो मेरी चूत से तुम्हारा भाई पैदा हो जाएगा ! सोच लो ! नील खुल कर हंसा, फ़िर बोला- कोई बात नहीं ! तू अपनी चूत से मेरा भाई पैदा कर या मेरा बेटा ! जोरू तो तू मेरी ही रहेगी ना !

” तो ठीक है !”

सोनम मुझे देखते हुए और अपने पति को सुनाते हुए बोली- पापा, आपके बेटे ने मुझे इज़ाज़त दे दी कि मैं अपनी फ़ुद्दी में से उसका भाई पैदा करूँ ! आप मेरे गर्भ में अपना बीज बो दीजिए ! मेरी चूत अपने वीर्य के सराबोर कर दीजिए। मुझे गर्भवती कर दीजिए मुझे मेरे पति के भाई की माँ बना दीजिए !

ऐसा कहते हुए सोनम ने अपने पैर बिस्तर पर टिका कर अपने कूल्हे ऊपर झटकाए ताकि मेरा पूरा लण्ड उसकी पूरी गहराई में जाकर अपना बीज छोड़ सके और जानबूझ कर जोर से चीखते हुए भद्दी आवाज में बोली- आह पापा ! आपने मुझे चोद दिया आज ! चुदाई का इत्ना मजा मुझे कभी नहीं मिला ! मुझे आपसे प्यार हो गया है पापा ! मुझे आपके लौड़े से प्यार हो गया है पापा ! अब से नील के सामने मैं आपकी बहू हूँ और नील के पीछे आपकी रखैल !

यह बोलते बोलते सोनम एक बार फ़िर झड़ गई और साथ ही मेरे लण्ड ने अपना झरना उसकी योनि के सबसे गहरे स्थान में बहा दिया।

उसने मुझे अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया और चिल्लाई- नील… देखो… तुम्हारे पापा ने अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया। तेरे बाप ने मुझे चोद दिया !

मैं फ़ोन की दूसरी तरफ़ से अपने बेटे की वासना भरी सिसकारियाँ सुन पा रहा था, जाहिर था कि वो मुट्ठ मार रहा था।

मैं बड़े आराम से यह अनुमान लगा सकता था कि आज का दिन मेरे लिए, मेरे बेटे के लिये और सबसे ज्यादा मेरी बहू सोनम के लिए पूरे जीवन में कभी ना भूलने वाला दिन रहा।

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